डाला छठ : अस्ताचलगामी भगवान भास्कर को व्रती महिलाओं ने दिया पहला अर्घ्य
वाराणसी,19 नवम्बर (हि.स.)। बाबा विश्वनाथ की नगरी में लोक आस्था के महापर्व डाला छठ (सूर्य षष्ठी) पर रविवार को 36 घंटे का निर्जला व्रत रख महिलाओं और उनके परिजनों ने अस्ताचलगामी भगवान भास्कर की आराधना की। चार दिवसीय लोक पर्व में तीसरे दिन लाखों व्रती महिलाओं के साथ उनके परिजनों ने पूरे आस्था और विश्वास के साथ गंगा तट, कुंडों, तालाबों, अस्थाई तालाबों पर कमर तक पानी में जाकर अस्ताचलगामी भगवान भास्कर को दूध और जल का पहला अर्घ्य दिया।
साफ-सफाई और शुद्धता से बने विविध पकवानों और मौसमी फलों से सजे सूप के आगे से अर्घ्य देकर व्रतियों ने भगवान सूर्य और छठी मइया से परिवार में मंगल, वंश वृद्धि, संतति की कामना की। इस दौरान गंगा घाटों सहित सरोवरों, कुंडों, जलाशयों पर महिलाओं, पुरुषों व बच्चों की भारी भीड़ जुटी रही। अर्घ्य देने के पूर्व गंगा घाटों पर व्रती महिलाएं जहां वेदी का पूजन कर फल से भरे बांस के सूप को हाथ में लेकर कमर भर पानी में खड़ी होकर भगवान सूर्य की मौन उपासना कर रही थीं। वहीं, उनके साथ आईं महिलाएं छठी मइया का परम्परागत गीत गा रही थीं।
अस्ताचलगामी भगवान भाष्कर को अर्घ्य देने के बाद महिलाएं छठी मइया का गीत गाते डाल व सूप लेकर घर लौटते समय कलश पर जलता हुआ दीपक हाथ में ले रखा था। सड़क पर भीड़ के धक्के से दीपक को बचाने के लिए परिवार के अन्य सदस्य उस दीपक के चारों ओर घेरा बना कर चल रहे थे। महाव्रत का पारण सोमवार तड़के उदयाचलगामी सूर्य को अन्तिम अर्घ्य देने के बाद होगा।
इसके पूर्व दोपहर बाद से ही गंगा तट, कुंड सरोवरों पर 36 घंटे का कठिन उपवास रख व्रती महिलाएं समूह में परिजनों के साथ छठ मइया की पारम्परिक गीत गाते हुए पहुंचने लगीं। परिजन भी लाल और पीले कपड़ों की पोटली में रखे डाल दउरी (पूजन सामग्री, फल, फूल) सिर पर रख गाजे बाजे के साथ चल रहे थे। इस दौरान बच्चों और युवाओं का आस्था और जोश देखते बन रहा था। घाट पर पहुंचने के बाद व्रती महिलाओं ने दीप प्रज्ज्वलित कर वेदी पूजन कर छठ मईया की पूजा की। इसके बाद एक दीप गंगा मईया और एक दीप भगवान भास्कर को अर्पित किया। फिर गंगा में कमर भर पानी में जाकर खड़ी हो गईं। भगवान भास्कर के अस्ताचलगामी होने पर उन्हें अर्घ्य दिया। छठी मइया की विधिवत पूजा के बाद मन्नत पूरी होने पर कोसी भी भरी। इसमें उनके परिवार, रिश्तेदार और परिचित शामिल हुए।
पर्व पर सामनेघाट, अस्सीघाट, तुलसी घाट, हनुमान घाट से लेकर मान सरोवर पांडेय घाट, दरभंगा घाट, मीरघाट, सिंधिया घाट, गायघाट, भैसासुर तक सिर्फ छठी मइया के भक्त नजर आ रहे थे। सर्वाधिक भीड़ दशाश्वमेध घाट, अस्सी घाट, पंचगंगा, सामने घाट पर रहा। इस दौरान घाटों पर एनडीआरफ की पूरी बटालियन, जल पुलिस भी चौकस नजर आई। पर्व पर बीएलडब्ल्यू स्थित सूर्य सरोवर, सूरज कुंड, लक्ष्मीकुंड, ईश्वरगंगी तालाब, पुष्कर तालाब, संकुलधारा पोखरा, पिशाचमोचन तालाब, रामकुंड के साथ घरों और कालोनियों में बने अस्थाई कुंडों पर अर्घ्यदान के लिए व्रती महिलाएं और उनके परिजन जुटे रहे। इन कुंडों तालाबों के आसपास आकर्षक सजावट भी की गई थी। गंगा तट और सूर्य सरोवर के आसपास विभिन्न सामाजिक संगठनों की ओर से सहायता एवं सेवा शिविर भी लगाए गए थे।
हजारों महिलाएं घाट पर रुकीं
डाला छठ के तीसरे दिन रविवार को अस्ताचल गामी सूर्य को अर्घ्य देने के लिए गंगा तट पर पहुंची हजारों महिलाएं भगवान भास्कर को अर्घ्य देने के बाद घाटों पर ही रुक गईं। लगभग 36 घंटे तक निराजल रहने वाली व्रती महिलाएं पूरी रात गंगा तट पर खुले आसमान के नीचे रात्रि जागरण कर भजन कीर्तन के बीच सोमवार तड़के उदीयमान सूर्य को अर्घ्य देकर घर लौटेंगी। महिलाओं के इस आस्था और विश्वास को देख हर कोई इनके प्रति आदर का भाव दिखाता रहा।
हिन्दुस्थान समाचार/श्रीधर/दिलीप
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