आधुनिक कृषि व पराली प्रबंधन के लिए सुपरसीडर यंत्र का किसान करें उपयोग : मृदा वैज्ञानिक
कानपुर, 13 दिसंबर (हि. स.)। किसान फसल अवशेष प्रबंधन के लिए आधुनिक कृषि उपकरणों का उपयोग करें। इन उपकरणों के उपयोग से फसल अवशेष नष्ट होकर खाद्य में तब्दील हो जाती है, जिससे मिट्टी की उर्वरता बढ़ती है। यह बातें शनिवार को चंद्रशेखर आजाद कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय के अधीन संचालित कृषि विज्ञान केंद्र दिलीप नगर ने ग्राम जसापुर में सुपर सीडर से गेहूं बुवाई का प्रदर्शन के दौरान मृदा वैज्ञानिक डॉ खलील खान ने कही।
मृदा वैज्ञानिक डॉ खलील खान ने बताया कि फसल अवशेष जलाने से मिट्टी को होने वाले नुकसान और धुएं से होने वाला पर्यावरण प्रदूषण भी नहीं होता है।
उन्होंने कहा कि किसान धान व अन्य फसलों के फसल अवशेष खेत से हटाने के लिए सुपरसीडर और हैप्पीसीडर का उपयोग करें। ये उपकरण किसी भी ट्रैक्टर जो 50 एच पी के हों उसमे आसानी से फिट हो जाते हैं।
उन्होंने बताया कि इनके उपयोग से एक ही बार मे फसल अवशेष नष्ट होने के साथ-साथ खेत की जुताई और बुवाई हो जाती है।
कृषि विज्ञान केंद्र के वैज्ञानिक ने बताया कि धान के फसल यदि हार्वेस्टर से कटाई की जाती है तो खेत में फसल के अवशेष रह जाते हैं। जिनकी सफाई के बिना बुवाई करना बहुत बड़ी चुनौती रहती है , लेकिन सुपरसीडर एक ऐसी मशीन है जो बिना सफाई के आसानी से गेहूं या चना की बुवाई कर सकती है। फसल अवशेष जलाने से मिट्टी में उत्पन्न होने वाले कार्बनिक पदार्थ में कमी आ जाती है।
उन्होंने कहा अवशेष जलाने से सूक्ष्म जीव जलकर नष्ट हो जाते है, जिसके फलस्वरूप जैविक खाद का निर्माण बंद हो जाता है। भूमि की ऊपरी परत में ही पौधों के लिए आवश्यक पोषक तत्व उपलब्ध रहते है। आग लगाने के कारण ये पोषक तत्व जलकर नष्ट हो जाते हैं। सुपर सीडर एक साथ तीन काम करती है जिससे हार्वेस्टर के बाद बचे फसल अवशेष को बारीक काटकर मिट्टी में मिला देता है जिससे मिट्टी में कार्बन कंटेंट बढ़ेगा। मिटटी उपजाऊ होगी और खेत में कटाई उपरांत तुरंत बुवाई का कार्य हो जायेगा।
हिन्दुस्थान समाचार / मो0 महमूद

