गेहूं बुवाई से पूर्व जलवायु एवं मृदा का परीक्षण करायें : डॉ. राजेश राय
कानपुर,20 नवम्बर (हि.स.)। गेहूं की 15 प्रजातियों का जलवायु एवं मृदा की उपयुक्तता के परीक्षण करने हेतु गेहूं की क्रॉप कैफेटेरिया लगाई जा रही हैं। देख कर सीखो, एवं करके सीखने की परिकल्पना को साकार करते किसान यहां प्रजातियों का प्रदर्शन एवं उत्पादन के आधार पर देख कर उपयुक्त प्रजाति चयन कर लाभ ले सकते हैं। यह जानकारी सोमवार को चंद्रशेखर आजाद कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय कानपुर के अधीन संचालित कृषि विज्ञान केंद्र दिलीप नगर के डॉ राजेश राय ने दी।
उन्होंने बताया कि विश्व के सभी प्रायद्वीपों में गेहूं उगाया जाता है। विश्व की बढ़ती जनसंख्या के लिए गेहूँ लगभग 20 प्रतिशत आहार कैलोरी की पूर्ति करता है। कानपुर देहात में लगभग 15000 से 18000 हेक्टेयर भूमि ऊसर प्रभावित है, जबकि किसान जानकारी के अभाव में ऐसी प्रजातियों का चयन कर लेते हैं जो ऊसर भूमियों के लिए सहनशील नहीं होती, जिससे उत्पादन प्रभावित होता है।
उन्होंने कहा कि कृषि विज्ञान केंद्र ने गेहूं की 15 प्रजातियों का जलवायु एवं मृदा की उपयुक्तता के परीक्षण करने हेतु गेहूं की क्रॉप कैफेटेरिया लगाई जा रही हैं, देख कर सीखो, व कर के सीखो की परिकल्पना को साकार करते किसान यहां प्रजातियों का प्रदर्शन, एवं उत्पादन के आधार पर देख कर कर उपयुक्त प्रजाति चयन कर लाभ ले सकते हैं । गेहूं के उत्पादन में राज्य का महत्वपूर्ण योगदान है कानपुर देहात में भी गेहूं रबी में सबसे ज्यादा उगाई जाने वाली फसल है ऐसे में सिर्फ प्रजाति के सही चयन से उत्पादन 20-30 प्रतिशत बढ़ जाता है।
हिन्दुस्थान समाचार/ राम बहादुर/बृजनंदन
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