रेलवे के नोटिस से बेघर हुए लोगों के साथ धरने पर बैठे पूर्व केंद्रीय मंत्री
- बैक फुट पर आए रेलवे प्रशासन ने 31 मार्च तक का दिया समय
झांसी 11 दिसंबर(हि.स.)। उत्तर मध्य रेलवे के झांसी रेल मंडल ने रेलवे आवासों के आउटहाउस में रहकर अधिकारियों की सेवा करने वाले लोगों को घर खाली करने का नोटिस दिया है। सर्दी के मौसम में घर खाली करने के मिले आदेश के खिलाफ सोमवार को बड़ी संख्या में पीड़ित डीआरएम कार्यालय के बाहर धरने पर बैठ गए। उनका साथ देते हुए पूर्व केंद्रीय मंत्री प्रदीप जैन आदित्य भी इनके उतर आए। धरने में महिलाएं भी बड़ी संख्या में शामिल रहीं। हालांकि स्थिति को देखते हुए लोगों को मार्च तक का समय दिया गया।
पीड़ितों ने डीआरएम को दिए ज्ञापन में बताया कि लोग रेलवे आवासों में बने आउटहाउसों में पिछले 40-50 साल से परिवार सहित रह रहे हैं। चार दिन पहले ही उन्हें घर खाली करने का आदेश रेलवे की ओर से दिया गया था। रेलवे आवास बंगलों के आधार पर इन लोगों ने आधार, वोटर आईडी और राशन कार्ड भी बनाये गये हैं और अब उन्हें अवांछित बताया जा रहा हैं। पीड़तों ने ज्ञापन में मांग की है कि उन्हें सर्दी के इस मौसम में कम से कम तीन माह का समय दिया जाएं ताकि वह अपने परिवार की कहीं और व्यवस्था कर पायें।
पीड़ितों का आरोप है कि वह लंबे समय से रेलवे आवासों में बने आउटहाउस में रहकर अधिकारियों की सेवा करते आये हैं। कुछ परिवारों की तो तीन तीन पीढ़िया इस काम में लगकर भरण पोषण करती आयीं है और अब रेलवे की ओर से अचानक उनके मकानों के बाहर घर खाली करने का नोटिस चस्पा कर दिया गया है।केवल नोटिस ही नहीं रोज ब रोज उन्हें जल्द से जल्द घर खाली करने के लिए बोला भी जा रहा है। महिलाओं ने सवाल किये कि बिना हमारे आवास की कोई स्थायी व्यवस्था कर यूं अचानक सर्दी के मौसम में घर खाली करने के आदेश उनके लिए किसी तुगलकी फरमान से कम नहीं हैं।
अपने हितों के लिए सड़क पर संघर्ष कर रहे इन लोगों के समर्थन में कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और पूर्व केंद्रीय मंत्री प्रदीप जैन आदित्य भी आये। श्री जैन इन लोगों के समर्थन में धरने पर बैठे और कहा कि जब सरकार कहती है कि हर किसी के सिर पर छत हो तो फिर सर्दी के मौसम में इन लोगों को बेघर क्यों किया जा रहा है। इस आदेश से पहले इन लोगों को समय दिया जाना चाहिए था।
कांग्रेसी नेता ने कहा कि अगर यह लोग अवांछनीय हैं तो फिर 40-50 साल से यह सब यहां क्या कर रहे हैं, इन्हें पहले क्यों नहीं हटाया गया। इन आवासों के आधार पर उनके आधार, चुनाव,आयुष्मान और राशन कार्ड कैसे बना दिये गये। इन्हें उज्जवला योजना के तहत गैस के सिलेंडर किस आधार पर दिये गये। सरकार की जिम्मेदारी है घर खाली करने से पहले इन्हें नया घर बनाने या तलाशने का समय दिया जाए।
उन्होंने रेलवे प्रबंधन से प्रभावितों को पर्याप्त समय देने की मांग की साथ ही कहा कि रेलवे की खाली पड़ी जमीन पर वहां इन्हे रहने का स्थायी ठिकाना दिया जाए। यदि रेल प्रशासन यह नहीं कर पा रहा है तो जिला प्रशासन को इनकी व्यवस्था करनी चाहिए क्योंकि सरकार का भी यह कहना है कि हर सिर पर छत होनी चाहिए। उन्होंने आरोप लगाया कि कई अधिकारी इन लोगों से किराया भी वसूलते थे लेकिन आज अचानक इनको बेघर करने की कार्रवाई शुरू कर दी गयी है।
31 मार्च तक का दिया समय
मामले को तूल पकड़ता देख रेलवे के अधिकारियों सीनियर जीईएम आशुतोष चौरसिया, आरपीएफ कमांडेंट विवेकानंद मिश्रा ने श्री जैन संग प्रभावितों से मुलाकात की और 31 मार्च तक का समय घर खाली करने के लिए दिया। उन्होंने आश्वासन दिया कि 31 मार्च से पहले उनसे घर खाली नहीं कराये जायेंगे।
हिन्दुस्थान समाचार/महेश/राजेश
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