ईवीएम भरोसेमंद नहीं, मतपत्र से ही मतदान होना चाहिए : संदीप पाण्डेय
पत्रकार वार्ता में ईवीएम हटाओ सेना व राइट टू रिकाल पार्टी के पदाधिकारी ने इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन का किया प्रदर्शन
वाराणसी,30 अप्रैल (हि.स.)। ईवीएम(इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन ) को लेकर देश की शीर्ष अदालत ने भले ही दो टूक कहा कि चुनाव आयोग इन दिनों भारत में लोकसभा चुनाव पूरी निष्पक्षता के साथ करा रहा है और माना कि ईवीएम और वीवीपैट से छेड़छाड़ संभव नहीं है। सुप्रीम कोर्ट ने विपक्षी दलों को ईवीएम हैक करने की चुनौती को खारिज कर दिया। इसके बावजूद ईवीएम हटाओ सेना व राइट टू रिकाल पार्टी का दावा है कि ईवीएम भरोसेमंद नहीं, मतपत्र से ही मतदान होना चाहिए। मंगलवार को गोलघर स्थित पराड़कर भवन में आयोजित पत्रकार वार्ता में राइट टू रिकाल पार्टी के भीलवाड़ा, राजस्थान के पवन कुमार शर्मा ने एक इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन का प्रदर्शन किया।
प्रदर्शन के बीच दो बार लगातार केला चिन्ह पर बटन दबाने पर दोनों बार काले शीशे वाली वी.वी.पी.ए.टी. मशीन में दिखा तो केला ही लेकिन प्रिंटर के अंदर एक पर्ची केला की छपी और दूसरी सेब की। उन्होंने दावा किया कि यह मशीन भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान दिल्ली के इंजीनियर और अमरीका से स्नातकोत्तर डिग्री हासिल किए हुए अहमदाबाद के रहने वाले राहुल चिमनभाई मेहता ने बनाई है । जो खुद हमारे संगठन से जुड़े हुए हैं। यह मशीन दिखाती है कि यदि कोई चाहे तो इ.वी.एम. से आसानी से मत लूट सकता है। यदि दूसरा मतदाता भी केला को ही मत देता है तो उसे भी 7 सेकेंड के लिए वी.वी.पी.ए.टी. में पहले वाले ही मतदाता की केला की पर्ची दिखाई पड़ेगी, किंतु रोशनी बुझने पर तीसरे मतदाता के आने से पहले ही प्रिंटर सेब छाप देगा। यह न तो मतदाता को पता चलेगा न ही किसी वहां मौजूद अधिकारी को। अधिकारी भी काले शीशे वाली वी.वी.पी.ए.टीे. मशीन से अनभिज्ञ हैं। पवन ने बताया कि इस प्रदर्शन का उद्देश्य मात्र इतना है कि ई.वी.एम. के बारे में भारत का निर्वाचन आयोग जो दावे कर रहा है कि ई.वी.एम. में कोई गड़बडी नहीं हो सकती । हम उसको गलत साबित कर रहे हैं। सर्वोच्च न्यायालय ने अपने एक फैसले में ई.वी.एम. व वी.वी.पी.ए.टी. से ही चुनाव को जायज ठहराया है और मतपत्र के विकल्प पर वापस जाने के सुझाव को सिरे से खारिज कर दिया है। शीर्ष अदालत ने वी.वी.पी.ए.टी. के काले शीशे के पीछे हेराफेरी हो सकती है इस सम्भावना पर विचार ही नहीं किया। उन्होंने कहा कि ई.वी.एम. के प्रति गहरे असंतोष को देखते हुए राइट टू रिकॉल पार्टी और सोशलिस्ट पार्टी (इण्डिया) दोनों मानती हैं कि ई.वी.एम. की जगह मतपत्र से चुनाव कराना ही सही विकल्प है । जिसमें गड़बड़ी कम से कम कैमरे में पकड़ी तो जा सकती है। चण्डीगढ़ के महापौर के चुनाव में हमने देखा किस तरह मतपत्र में की जा रही गड़बड़ी को कैमरे के माध्यम से पकड़ लिया गया। यदि यही गड़बड़ी प्रोग्राम के माध्यम से ई.वी.एम,वी.वी.पी.ए.टी. में की जा रही होती तो कैमरे में नहीं पकड़ में आती और न ही वहां मौजूद अधिकारी पकड़ पाते। वार्ता में विजय नारायण, राष्ट्रीय समिति सदस्य, सोशलिस्ट पार्टी (इण्डिया),राईट टू रिकाल पार्टी के भीलवाड़ा से प्रत्याशी पवन कुमार और सोशलिस्ट पार्टी इण्डिया के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष संदीप पाण्डेय ने भी ईवीएम को लेकर अपनी आंशका दोहराई।
हिन्दुस्थान समाचार/श्रीधर/सियाराम
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