आक्रांताओं के लाख प्रयास के बावजूद आज भी भारत में हिन्दू बहुसंख्यक है : मिथलेश नारायण


कानपुर, 09 जून (हि.स.)। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ अपने निर्माण के 100वे वर्ष में चल रहा है। अगामी विजयादशमी से हम शताब्दी वर्ष मनाएगें। गुरु दुनिया ने भारत को विश्व गुरु कहा था। सावरकर जी ने कहा था कि टिड्डी दल की तरह भारत में लुटेरे आते रहे। कभी शक बनकर, कभी हूड़ बनकर, कभी मुगलों के रूप में आदि। उनका संकल्प था कि हम हिन्दू समाज को मिटाएंगे लेकिन हिंदू समाज की सजगता व स्वाभिमान के कारण हिन्दू आज नष्ट नहीं हुआ। अपितु आज भी हिन्दू बहुसंख्यक है। यह बातें सोमवार को आरएसएस संघ क्षेत्र बौद्धिक शिक्षण प्रमुख, पूर्वी उत्तर प्रदेश मिथिलेश नारायण ने कही।
राष्ट्रीय स्वंयसेवक संघ (आरएसएस) कानपुर प्रांत का संघ शिक्षा वर्ग (सामान्य) का समापन कार्यक्रम आज सीएचएस गुरुकुलम, मेहरबान सिंह का पुरवा इलाके में आयोजित हुआ। कार्यक्रम को संबोधित करते हुए मुख्य वक्ता मिथिलेश नारायण ने कहा कि डाॅ साहब ने 1925 में संघ का एक दीप जलाया था। जिसमें संकल्प था कि समाज के हर व्यक्ति में राष्ट्र चेतना जागृत हो। उस समय उन्हें और संघ को कोई नहीं जानता था। लोग व्यंग करते थे कि हिन्दू कभी एक नहीं हो सकता है। वह कहते थे कि चार हिन्दू एक साथ तभी चलते थे, जब वह एक मुर्दे को कंधा पर रखते थे। लेकिन डॉक्टर साहब ने उद्देश्य बनाया कि न हो साथ कोई अकेले चले हम तथा एक दीप से जलते दीप अनेक और यह विशाल संगठन खड़ा किया।
विभाजन के समय उन्होंने ने कहा था कि भारत माता तो अब खंडित हो जाएंगी लेकिन हिन्दुओं को सुरक्षित वापस लाने के लिए पूरा प्रयास किया जाना चाहिए। संघ के लोग पाकिस्तान से वापस आये। संघ पर पहला प्रतिबंध 1948 में लगा और दूसरा प्रतिबंध 1975 में लगा। प्रथम प्रतिबंध के समय जेल जाने लगे, तो उन्होंने स्वयंसेवकों को संदेश दिया कि सत्य कभी पराजित नहीं हो सकता। साल 1962 के युद्ध के समय स्वयंसेवकों ने तत्कालीन भारत सरकार का पूरा सहयोग किया।
संघ के स्वयंसेवक भारत माता तेरी जय हो, यही संकल्प लेकर चलते रहे और आज जिधर देखो उधर ही संघ का कार्य क्षेत्र दिखता है। विरोधी भी हमारी जय जयकार करते हैं। मन के सुख से ही शरीर का सुख होता है, यही एकात्म मानववाद है। वेदों में कहा गया है कि मेरे जीवन की पहली गुरु माता तथा पहली पाठशाला मेरा परिवार है। यह गुरुनानक, गुरु तेगबहादुर, बाबा साहब अम्बेडकर, सावरकर, भगत सिंह तथा आजाद का देश है।
मुख्य अतिथि बाबा नामदेव जी गुरूद्वारा, किदवई नगर, कानपुर के प्रधान सेवक सरदार नीतू सिंह ने कहा कि धर्म हमको जोड़ता है। देश की मिट्टी से भी जोड़ता है। 1925 में बोया गया बीज आज 100 वर्ष बाद एक वृक्ष बन गया है, जो फल दे रहा है और उसकी लकड़ी भी काम आ रही है। खेल तथा बौद्धिक के माध्यम से बहुमुखी विकास हो रहा है। सिख का अर्थ है सीख अर्थात् सीखना होता है। यह वर्ग का समापन नहीं प्रारम्भ है। भारत विश्वगुरु है और रहेगा।
सम्बोधन से पूर्व शिक्षार्थियों ने 15 दिन वर्ग में रहकर जो शारीरिक अभ्यास किया, उसका सार्वजनिक प्रदर्शन हुआ। कार्यक्रम में प्रमुख रूप से प्रांत संघ चालक भवानी भीख, प्रान्त प्रचारक श्रीराम, सह प्रान्त प्रचारक मुनीश, प्रान्त प्रचार प्रमुख डॉक्टर अनुपम, प्रान्त कार्यवाह रामकेश, सह प्रान्त कार्यवाह प्रदीप भदौरिया, सह प्रान्त व्यवस्था प्रमुख विकास, विभाग प्रचारक बैरिस्टर, सह विभाग कार्यवाह अंकुर दीक्षित, विभाग प्रचार प्रमुख आशीष व वर्ग बौद्धिक प्रमुख अनिल तिवारी आदि प्रमुख कार्यकर्ता उपस्थित रहे।
मंच पर मुख्य अतिथि बाबा नामदेव जी गुरूद्वारा, किदवई नगर, कानपुर के प्रधान सेवक सरदार नीतू सिंह, मुख्य वक्ता आरएसएस के क्षेत्र बौद्धिक शिक्षण प्रमुख, पूर्वी उत्तर प्रदेश मिथिलेश नारायण, कानपुर दक्षिण के भाग संघचालक राधेश्याम व संघ शिक्षा वर्ग (सामान्य) के सर्वाधिकारी रामलखन उपस्थित रहे।
हिन्दुस्थान समाचार / रोहित कश्यप