मक्का,बाजरा एवं ज्वार में लगने वाले प्रमुख कीटों पर प्रभावी नियंत्रण आवश्यक: डॉ. अजय सिंह


कानपुर, 19 सितम्बर (हि.स.)। मक्के में 70 प्रतिशत कार्बोहाइड्रेट और 10 प्रतिशत प्रोटीन के अतिरिक्त अन्य पोषक पदार्थ भी पाए जाते हैं, जिससे यह मनुष्य उपयोग के साथ ही पशु आहार के रूप में प्रयोग किया जाता है। तना छेदक कीट मक्के के साथ-साथ ज्वार एवं बाजरे को हानि पहुंचाता है, जिससे सुरक्षित करना बहुत जरूरी है। यह जानकारी मंगलवार को चंद्रशेखर आजाद कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय कानपुर के कृषि विज्ञान केंद्र दलीप नगर के कृषि वैज्ञानिक डॉ अजय कुमार सिंह ने दी।
डॉ अजय कुमार ने बताया कि किसान भाइयों को इन फसलों को हानिकारक कीट से सुरक्षा करना बहुत आवश्यक है। ध्यान देने वाली बात यह है कि इस कीट की सुंडियां 20 से 25 मिमी लम्बी और स्लेटी सफेद रंग की होती है, जिसका सिर काला होता है और चार लम्बी भूरे रंग की लाइन होती है। इस कीट की सुंडियाँ तनों में छेद करके अन्दर ही अन्दर खाती रहती हैं। फसल के प्रारम्भिक अवस्था में प्रकोप के फलस्वरूप मृत गोभ बनता है, परन्तु बाद की अवस्था में प्रकोप अधिक होने पर पौधे कमजोर हो जाते हैं और भुट्टे छोटे आते हैं एवं हवा चलने पर पौधा बीच से टूट जाता है।
फॉल आर्मीवर्म कीट से मक्का, ज्वार एवं बाजरे की कैसे करें सुरक्षा
कृषि वैज्ञानिक डॉ. सिंह ने बताया कि मक्का की फसल में संतुलित मात्रा में उर्वरकों का प्रयोग करें। इसके रासायनिक नियंत्रण हेतु क्यूनालफास 25 प्रतिशत, ई.सी. 1.5 ली. को 500 से 600 लीटर पानी में घोलकर छिडक़ाव करेें। फॉल आर्मीवर्म ऐसा कीट है जो एक मादा पतंगा अकेले या समूहों में अपने जीवन काल में एक हजार से अधिक अंडे देती है। इसके लार्वा पत्तियों को किनारे से पत्तियों की निचली सतह और मक्के के भुट्टे को भी खाते हैं। इसकी लार्वा अवस्था ही मक्का की फसल को बहुत नुकसान पहुंचाती है।
उन्होंने बताया कि संतुलित मात्रा में रासायनिक उर्वरकों का सही प्रयोग करें। खेत में पड़े पुराने खरपतवार और अवशेषों को नष्ट करें। इस कीट के नियंत्रण के लिए रासायनिक कीटनाशक जैसे ट्रानिलिप्रोएल 05 प्रतिशत 0.4 मिली की दर से प्रति लीटर पानी या स्पिनेटोरम 11.7 प्रतिशत एस.सी. 0.5 मिली की दर से प्रति लीटर पानी या थायोमेथोक्जाम 12.6 प्रतिशत लेम्डा सिहलोथ्रिन मिक्चर 9.5 प्रतिशत जेड. सी. 0.25 मिली प्रति लीटर पानी में घोलकर छिड़काव करें अथवा इमामे ट्रिन बेंजोएट 01 ग्राम, 01 लीटर पानी में घोलकर छिड़काव कर दें। मक्का, ज्वार तथा बाजरे की फसल के चारों तरफ गेंदा या लोबिया की बुआई करने से भी कीट का नियंत्रण किया जा सकता है। हरे भुट्टे हेतु बोई फसल में भुट्टा तोड़ने के 15 दिन पहले दवा का छिड़काव बंद कर दें।
उन्होंने बताया कि खरीफ मक्का 14049 हेक्टेयर, ज्वार 14676 हेक्टेयर एवं बाजरा की खेती जनपद में 21956 हेक्टेयर क्षेत्रफल में की जाती है।
हिन्दुस्थान समाचार/राम बहादुर/पदुम नारायण
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