सम्पूर्णानन्द संस्कृत विश्वविद्यालय और कवि कुलगुरु कालिदास संस्कृत विश्वविद्यालय में शैक्षणिक करार
-दोनों संस्कृत संस्थानों के समझौते से देवभाषा संस्कृत एवं प्राच्यविद्या के ज्ञानराशि का चतुर्दिक विकास होगा
वाराणसी, 10 जून (हि.स.)। सम्पूर्णानन्द संस्कृत विश्वविद्यालय, वाराणसी एवं कविकुलगुरु कालिदास संस्कृत विश्वविद्यालय (केकेएसयू), रामटेक, नागपुर (महाराष्ट्र)के बीच सोमवार को शैक्षणिक करार हुआ। शैक्षणिक समझौते पर हस्ताक्षर कर तीन वर्षों के लिये एमओयू किया गया। दोनों विश्वविद्यालयों के कुलपति प्रो. बिहारी लाल शर्मा एवं प्रो. हरेराम त्रिपाठी ने शैक्षणिक समझौता पत्र पर हस्ताक्षर कर बताया कि केकेएसयू संस्कृत की उन्नत शिक्षा के लिए समर्पित एक संस्थान है, जो महाराष्ट्र का पहला संस्कृत विश्वविद्यालय है। विश्वविद्यालय में नियमित पाठ्यक्रम कार्य प्रदान करने के साथ-साथ, केकेएसयू प्रकृति में अद्वितीय है जो संस्कृत भाषा के लिए आधुनिक दृष्टिकोण पर ध्यान केंद्रित करता है। पारंपरिक संस्कृत को संरक्षित करने के अलावा, यह प्राचीन भारत में विज्ञान और प्रौद्योगिकी के अध्ययन पर जोर देता है। कुलपति प्रो. त्रिपाठी के अनुसार वैदिक ज्ञान और विज्ञान का परस्पर संबंध जोड़कर एक नवीन अन्वेषण तक पंहुचने का सरल मार्ग मिलेगा।
केकेएसयू और संपूर्णानंद संस्कृत विश्वविद्यालय के एमओयू का उद्देश्य प्रशिक्षण कार्यक्रम, छात्र और संकाय विनिमय कार्यक्रम, कौशल विकास कार्यक्रम, पारस्परिक रूप से अल्पकालिक पाठ्यक्रम संचालित करना, पांडुलिपियों का अध्ययन और संपादन, अनुवाद कार्य, संयुक्त अनुसंधान, साइट का दौरा और ऐसे सभी कार्यक्रमों का विकास करना है। इस सहयोग का लक्ष्य राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 (एनईपी- 2020) के लक्ष्यों और उद्देश्यों को पूरा करना और आपसी क्षमताओं का लाभ उठाकर तेजी से बढ़ती शैक्षिक आवश्यकता को पूरा करना और आपसी क्षमताओं का लाभ उठाकर तेजी से बढ़ती शैक्षिक आवश्यकता को पूर्ण करना है। इसके अतिरिक्त बैठकों और चर्चाओं के माध्यम से अनुसंधान इसके संबद्ध विषयों से संबंधित अन्य स्रोतों पर जानकारी का आदान-प्रदान और परियोजनाओं के माध्यम से प्रत्यक्ष योगदान। साथ ही, संस्थागत विकास के लिए शैक्षिक एवं प्रशिक्षण कार्यक्रमों का विकास। व्यावहारिक प्रशिक्षण और कार्यशालाओं के माध्यम से अनुभवात्मक शिक्षा छात्रों को करके सीखने के माध्यम से ज्ञान प्राप्त करने के लिए कौशल कार्यक्रमों में भाग लेने के लिए प्रोत्साहित किया जाएगा।
कुलपति प्रो. शर्मा ने बताया कि दोनों संस्थाओं के साथ जुड़कर कार्यशाला, सेमिनार, संगोष्ठी एवं विभिन्न तरह के विषय विशेषज्ञों के साथ जुड़कर नवाचार करना, विभिन्न प्रकार के सम्मेलन को साझा किया जाएगा। यह समझौता तीन वर्षों तक लागू रहेगा, आगे जुड़ने के लिए पहल कर समय/करार वृद्धि किया जा सकेगा। कोई भी पक्ष दूसरे पक्ष को छह माह पहले लिखित सूचना देकर इस करार ज्ञापन को समाप्त कर सकता है।
हिन्दुस्थान समाचार/श्रीधर/आकाश
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