मिट्टी के दीयों को 'रोशनी' का इंतजार

मिट्टी के दीयों को 'रोशनी' का इंतजार
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मिट्टी के दीयों को 'रोशनी' का इंतजार


मीरजापुर, 10 नवम्बर (हि.स.)। दीपावली का त्योहार मिट्टी के दीयों के बिना अधूरा है। दीयों से न सिर्फ दीपावली रोशन होती है बल्कि उनकी रोशनी से मन में एक सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है, लेकिन चाइनीज दीयों और झालरों की चकाचौंध रोशनी ने मिट्टी के दीयों की रोशनी छीन ली है। हर बार की तरह इस बार भी दीपावली पर मिट्टी के दीयों को रोशनी का इंतजार है।

शहर भर में मिट्टी के दीयों की कई दुकानें सजी हैं। इन दुकानों में इक्का-दुक्का ही ग्राहक खरीदारी के लिए पहुंच रहे हैं। लोग दीयो के बजाय चाइनीज आइटमों से घरों को सजाना ज्यादा पसंद कर रहे हैं। कारण, चाइनीज आइटम बेहद सस्ते हैं और आकर्षक भी हैं। मिट्टी के दीयों का इस्तेमाल सिर्फ शगुन के तौर पर हो रहा है।

हर बार कलाकार दीपावली से एक महीने पहले दीये बनाने में जुट जाते हैं। लोगों को आकर्षित करने के लिए रंग-बिरंगे दीयों के साथ आकर्षक मंदिर और भगवानों की मूर्तियां बनाई जाती हैं, जिनकी कीमत ज्यादा नहीं होती। फिर भी इन कलाकारों के चेहरे मुरझाए हुए हैं। क्योंकि, बिक्री बहुत कम है।

मांग घटती गई, खूबसूरती बढ़ती गई

एक ओर जहां मिट्टी के दीयों की मांग घट रही है। वहीं कलाकार अपनी मेहनत से दीयों की खूबसूरती को निखारने में जुटे हैं। इस बार दुकानों में मिट्टी के साधारण दीयों के अलावा कलरफुल दीये उपलब्ध हैं। जिनकी खूबसूरती देखते बनती है। एक दीये की कीमत मात्र 10 रुपये है। इसके अलावा भगवान लक्ष्मी-गणेश, शिव-पार्वती, हनुमान, काली मां की आकर्षक मूर्तियां भी दुकानों में उपलब्ध हैं।

हिन्दुस्थान समाचार/कमलेश्वर शरण/पदुम नारायण

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