असमय बारिश से बांदा सहित बुंदेलखंड में 80 फीसदी धान की फसल चौपट
- जेडीयू नेत्री शालिनी पटेल ने मुख्यमंत्री से मांगा राहत पैकेज
बांदा, 3 नवंबर (हि.स.)। उत्तर प्रदेश के जनपद बांदा सहित बुंदेलखंड क्षेत्र में इस बार की असमय और लगातार हुई बारिश ने किसानों की मेहनत पर पानी फेर दिया। खेतों में पकने को तैयार धान की फसलें जलमग्न होकर सड़ चुकी और कई जगहों पर बालियों में अंकुर फूट आए हैं। इस तरह से लगभग 80 फीसदी धान की फसल पूरी तरह बर्बाद हो गई है। स्थिति की गंभीरता को देखते हुए जनता दल यूनाइटेड (जेडीयू) उत्तर प्रदेश की प्रदेश उपाध्यक्ष एवं बुंदेलखंड प्रभारी शालिनी सिंह पटेल ने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को डाक के माध्यम से साेमवार काे पत्र भेजकर किसानों के लिए तात्कालिक राहत और मुआवज़े की मांग की है।
अपने पत्र में शालिनी सिंह पटेल ने लिखा है कि, यह केवल फसलों का नुकसान नहीं, बल्कि किसानों के जीवन और भविष्य का प्रश्न है। जिस किसान की मेहनत पर प्रदेश की अन्न-व्यवस्था टिकी है, आज वही किसान असहाय खड़ा है। विशेष रूप से बुंदेलखंड क्षेत्र, जो पहले से ही सूखा, पलायन और आर्थिक पिछड़ेपन की मार झेल रहा है। यह आपदा किसानों के जीवन में विनाश बनकर आई है। खेतों में पानी भर जाने से न सिर्फ धान बल्कि मसूर, चना और आलू जैसी आगामी फसलों की तैयारी भी रुक गई हैं। हजारों किसान अब बीज और खाद खरीदने की स्थिति में नहीं हैं। कई किसानों के घरों में अन्न का संकट गहराने लगा है और ग्रामीण अर्थव्यवस्था चरमराने लगी है।
शालिनी सिंह पटेल ने बताया कि अपने पत्र में उन्हाेंने मुख्यमंत्री से चार प्रमुख मांगें की हैं। पहली मांग राजस्व और कृषि विभाग की संयुक्त टीमें तुरंत सर्वे करें। सरकार प्रभावित किसानों को राहत राशि और मुआवज़ा दें। अगली फसल के लिए ब्याजमुक्त ऋण, बीज और खाद की सहायता भी उपलब्ध कराया जाए। प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना की जमीनी समीक्षा कर उसका लाभ किसानों तक पहुंचाया जाए।
जेडीयू की प्रदेश उपाध्यक्ष ने कहा कि उन्होंने स्वयं कई गांवों का दौरा कर खेतों की स्थिति देखी है। धान की करीब 80 प्रतिशत फसल पूरी तरह खराब हो चुकी है। पकी हुई फसलें पानी में डूबकर अंकुरित हो गई हैं। किसानों के चेहरों पर निराशा और असहायता साफ झलक रही है। उन्होंने कहा कि बुंदेलखंड का किसान हर बार विपरीत परिस्थितियों में भी उम्मीद का बीज बोता है, लेकिन इस बार बेमाैसम बारिश ने उसकी सारी मेहनत तबाह कर दी। गांवों में अब यह सवाल उठ रहा है कि आने वाले महीनों में परिवार का गुजारा कैसे होगा।
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हिन्दुस्थान समाचार / अनिल सिंह

