डॉ. श्यामा प्रसाद मुखर्जी का व्यक्तित्व समर्पण, निष्ठा और राष्ट्रप्रेम से भरा था : डॉ. पुष्कर मिश्रा

डॉ. श्यामा प्रसाद मुखर्जी का व्यक्तित्व समर्पण, निष्ठा और राष्ट्रप्रेम से भरा था : डॉ. पुष्कर मिश्रा
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डॉ. श्यामा प्रसाद मुखर्जी का व्यक्तित्व समर्पण, निष्ठा और राष्ट्रप्रेम से भरा था : डॉ. पुष्कर मिश्रा


डॉ. श्यामा प्रसाद मुखर्जी का व्यक्तित्व समर्पण, निष्ठा और राष्ट्रप्रेम से भरा था : डॉ. पुष्कर मिश्रा






















- भाजपा जिला व महानगर इकाई ने पंडित श्यामा प्रसाद मुखर्जी के बलिदान दिवस के उपलक्ष्य में चल रहे पखवाड़े के तहत समर्पण दिवस पर किया संगोष्ठी का आयोजन

- मुख्य अतिथि के रूप में रामपुर स्थित रजा लाइब्रेरी एवं म्यूजियम के निदेशक डॉ पुष्कर मिश्रा ने किया संबोधित

मुरादाबाद, 30 जून (हि.स.)। भारतीय जनता पार्टी मुरादाबाद महानगर एवं जिला इकाई के संयुक्त तत्वावधान में जनसंघ के संस्थापक पंडित श्यामा प्रसाद मुखर्जी के बलिदान दिवस के उपलक्ष में चल रहे पखवाड़े के तहत रविवार को समर्पण दिवस पर संगोष्ठी का आयोजन हुआ। सर्वप्रथम सभी ने डॉ. श्यामा प्रसाद मुखर्जी के चित्र पर माल्यार्पण किया एवं उनके कृतित्व पर चर्चा की। कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के रूप में रामपुर स्थित रजा लाइब्रेरी एवं म्यूजियम के निदेशक डॉ. पुष्कर मिश्रा रहे। अध्यक्षता भाजपा जिला अध्यक्ष आकाश पाल ने की संचालन महानगर महामंत्री श्याम बिहारी शर्मा ने किया।

मुख्य अतिथि डॉ. पुष्कर मिश्रा ने कहा कि डॉ. श्यामा प्रसाद मुखर्जी का व्यक्तित्व समर्पण, निष्ठा और राष्ट्रप्रेम से भरा था। उनके विचार आज भी हमारे लिए प्रेरणदायी हैं। उनके दृढ़ सिद्धांतों और चिंतन ने युवाओं को नई दिशा दिखाई। वे अगाध राष्ट्र प्रेम और राष्ट्र की एकता-अखंडता के लिए समर्पित भावना के कारण सदैव चिरस्मरणीय रहेंगे। उनके आदर्शों पर चलते हुए हम समृद्ध और सशक्त भारत के निर्माण के लिए संकल्पित हैं। उन्होंने आगे बताया कि श्यामा प्रसाद मुखर्जी ने जम्मू-कश्मीर के श्रीनगर जेल में संदिग्ध हालत में अंतिम सांस ली। जिस संदिग्ध हालत में उनकी जान गई, वह आज भी हम सभी के लिए एक प्रश्नवाचक चिह्न बनकर रहा है।

डॉ. पुष्कर मिश्रा ने आगे कहा कि उनका जीवन एक देशभक्त, शिक्षाविद् और सामाजिक न्याय दिलाने वाले नेता के रूप में हम सब जानते हैं। श्यामा प्रसाद मुखर्जी कलकत्ता विश्वविद्यालय के सबसे युवा कुलपतियों में से एक थे। बहुआयामी प्रतिमा के मालिक थे। उन्होंने देशभक्ति के कारण राजनीति में प्रवेश किया और आज हम कह सकते हैं कि वर्तमान पंजाब और वर्तमान पश्चिम बंगाल उन्हीं की देन है। विभाजन के वक्त मुस्लिम लीग ने जब सारा पंजाब और बंगाल लेने की ठानी थी तो उस समय श्यामा प्रसाद मुखर्जी ने जन आंदोलन से जनता को जागृत करने का काम किया था।

डाॅ. पुष्कर मिश्रा ने बताया कि श्यामा प्रसाद मुखर्जी ने एक विचारधारा के लिए अपना पूरा जीवन लगाया। वे कभी सत्ता पर बैठने के लिए नहीं आए थे। वे अनेक बार सत्ता में आए और हमेशा विचारधारा के लिए सत्ता को त्यागा। बंगाल में मंत्री पद विचारधारा के लिए त्याग दिया था। पंडित नेहरू की पहली कैबिनेट में मुखर्जी उद्योग मंत्री बने। उन्होंने जवाहर लाल नेहरू के छद्म धर्म निरपेक्षता के खिलाफ आवाज उठाई थी। नेहरू के सामने मुखर्जी ने जम्मू-कश्मीर का मुद्दा उठाया था और कहा कि कोई कारण नहीं है कि आप अनुच्छेद 370 को लागू करें। इसके बाद उन्होंने इस्तीफा दे दिया और नारा दिया कि एक देश, दो निशान, दो विधान और दो प्रधान नहीं चलेंगे। उन्होंने इस नारे के साथ सत्याग्रह किया।

अध्यक्षता करते हुए भाजपा जिला अध्यक्ष आकाश पाल नेकहा कि डॉ. श्यामा प्रसाद मुखर्जी का ओजस्वी व्यक्तित्व भावी पीढ़ियों को प्रेरित करता रहेगा। उन्होंने मां भारती की सेवा में उन्होंने अपना जीवन समर्पित कर दिया। उनका ओजस्वी व्यक्तित्व देश की हर पीढ़ी को प्रेरित करता रहेगा।

हिन्दुस्थान समाचार/निमित/सियाराम

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