स्मीयर माइक्रोस्कोपी से छूट जाते हैं कई टीबी केस : डॉ. आशुतोष दुबे

WhatsApp Channel Join Now
स्मीयर माइक्रोस्कोपी से छूट जाते हैं कई टीबी केस : डॉ. आशुतोष दुबे


लखनऊ, 28 दिसंबर (हि.स.)। ट्यूबरक्लोसिस (टीबी) के लिए सबसे ज़्यादा इस्तेमाल होने वाले डायग्नोस्टिक टेस्ट, स्मीयर माइक्रोस्कोपी की सीमित संवेदनशीलता के कारण बड़ी संख्या में टीबी के मामले बिना पता चले रह जाते हैं। इस बात पर ऑल इंडिया इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज (एम्स), गोरखपुर द्वारा किए गए और इंटरनेशनल जर्नल ऑफ माइकोबैक्टीरियोलॉजी में प्रकाशित हालिया अध्ययन में ज़ोर दिया गया है।

यह अध्ययन स्मीयर माइक्रोस्कोपी पर लगातार निर्भरता के बारे में चिंताएं पैदा करता है। खासकर उन मरीज़ों में जिनमें बैक्टीरिया का लोड कम होता है, बीमारी शुरुआती दौर में होती है, एक्स्ट्रा-पल्मोनरी टीबी होती है, या एचआईवी और डायबिटीज़ जैसी सह-बीमारियां होती हैं। इन समूहों में पारंपरिक डायग्नोस्टिक तरीकों से बीमारी का पता न चलने का खतरा ज़्यादा होता है, जिससे इलाज में देरी होती है और बीमारी फैलती रहती है।

अध्ययन के अनुसार, 4,249 पल्मोनरी और एक्स्ट्रा-पल्मोनरी नमूनों के विश्लेषण से पता चला कि स्मीयर माइक्रोस्कोपी ने केवल 4.3 प्रतिशत मामलों में टीबी का पता लगाया। इसकी तुलना में, TrueNat माइकोबैक्टीरियम टीबी/रिफैम्पिसिन (आरआईएफ) टेस्ट ने 13.7 प्रतिशत नमूनों में इन्फेक्शन की पहचान की, जो इसकी बेहतर संवेदनशीलता को दर्शाता है।

लखनऊ सिविल अस्पताल के सीनियर टीबी रोग विशेषज्ञ डॉ. आशुतोष दुबे ने रविवार काे बताया, स्मीयर माइक्रोस्कोपी सस्ती और आसानी से उपलब्ध है, लेकिन इसकी संवेदनशीलता सीमित है। खासकर शुरुआती बीमारी, एक्स्ट्रा-पल्मोनरी टीबी, एचआईवी को-इंफेक्शन या डायबिटीज वाले मरीजों में।

डॉ. आशुतोष के अनुसार, सही इलाज शुरू करने और आगे संक्रमण को रोकने के लिए दवा प्रतिरोध का शुरुआती पता लगाना बहुत ज़रूरी है। उन्होंने इस बात पर ज़ोर दिया कि पारंपरिक माइक्रोस्कोपी को मॉलिक्यूलर डायग्नोस्टिक्स के साथ मिलाने से सीमित संसाधनों वाले व ज़्यादा बोझ वाले क्षेत्रों में टीबी नियंत्रण प्रयासों को काफी मज़बूत किया जा सकता है।

इस अध्ययन के अनुसार शुरुआती पहचान को बढ़ाना, दवा प्रतिरोध की तुरंत पहचान करना और समय पर इलाज सुनिश्चित करना संचरण को कम करने, रोगी के परिणामों में सुधार करने और देश को टीबी-मुक्त भविष्य के करीब लाने में मदद कर सकता है।------------

हिन्दुस्थान समाचार / बृजनंदन

Share this story