सीने में हो रहे दर्द को गैस का दर्द मानकर न करें लापरवाही : सीएमओ

सीने में हो रहे दर्द को गैस का दर्द मानकर न करें लापरवाही : सीएमओ
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सीने में हो रहे दर्द को गैस का दर्द मानकर न करें लापरवाही : सीएमओ


वाराणसी, 27 अप्रैल (हि.स.)। मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ संदीप चौधरी ने कहा कि सीने में दर्द को गैस का दर्द मानकर लापरवाही ना करें । यदि सीने में दर्द के साथ घबराहट एवं पसीने आ रहे हो तो तत्काल अपने नजदीकी सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में पहुंचकर अपनी समस्याओं से चिकित्सकों को अवगत कराते हुए अपना इलाज करायें। यदि समय के अंतर्गत चिकित्सालय में पहुंचते हैं तो तत्काल इलाज कर रोगी का जान बचाई जा सकती है।

मुख्य चिकित्सा अधिकारी ने बताया कि जनपद के राजकीय चिकित्सालयों और सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्रों (सीएचसी) पर संचालित हृदयाघात देखभाल परियोजना (स्टेमी केयर प्रोजेक्ट) के तहत प्रदान की जा रही इलैक्ट्रो कार्डियोग्राफी (ईसीजी) व थ्रंबोलिसिस प्रक्रिया हृदयाघात रोगियों के लिए कारगर साबित हो रही है। तीन राजकीय चिकित्सालय क्रमशः डीडीयू चिकित्सालय पाण्डेयपुर, एसएसपीजी मंडलीय चिकित्सालय कबीर चौरा, एसवीएम राजकीय चिकित्सालय भेलूपुर व 11 सीएचसी पर ईसीजी व थ्रंबोलिसिस की सुविधा उपलब्ध है।

सीएमओ ने बताया कि जनपद में आईसीएमआर की हृदयाघात परियोजना (स्टेमी केयर प्रोजेक्ट) को बनारस हिन्दू विश्वविद्यालय (बीएचयू) के कार्डियोलॉजी विभाग के प्रो. धर्मेंद्र जैन व रिसर्च साइंटिस्ट डॉ पायल सिंह के सहयोग से संचालित किया जा रहा है। परियोजना के तहत बीएचयू ‘हब’ एवं जनपद के सभी राजकीय चिकित्सालय एवं सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र ‘स्पोक’ के रूप में कार्य कर रहे है। रिसर्च साइंटिस्ट डॉ पायल सिंह ने बताया कि सामुदायिक स्वास्थ्य केदों एवं जनपद स्तरीय चिकित्सालयों में ईसीजी जांच की जा रही है। इसके साथ ही 25 दिसंबर से अब तक गंभीर 66 हृदयाघात के मरीजों को थ्रंबोलिसिस प्रक्रिया से नया जीवन दिया गया।

उन्होंने बताया कि ईसीजी के माध्यम से हृदयाघात के मरीज की जांच की जाती है। व्यक्ति को सीने में अचानक से तेज दर्द होने पर यदि वह एक घंटे के अंदर गोल्डन आवर में ही चिकित्सालय पहुँच जाता है तो उसे थ्रंबोलिसिस प्रक्रिया के अंतर्गत एक विशेष प्रकार के इंजेक्शन देकर उसे स्थिर किया जा सकता है। वहीं, व्यक्ति को सीने में लगातार दर्द हो रहा हो तथा वह चार से छह घंटे में चिकित्सालय पहुँच जाता है तो उस विन्डो पिरीयड में थ्रंबोलिसिस प्रक्रिया पूर्ण की जा सकती है तथा मरीज की जान बचाई जा सकती है। यदि रोगी के सिने में लगातार दर्द हो रहा है तो ऐसी स्थिति में भी मरीज 12 घंटे के अंदर चिकित्सालय पहुँच जाता है तो उस पीरियड में भी थ्रंबोलिसिस प्रक्रिया के अंतर्गत एक विशेष प्रकार के इंजेक्शन देकर से उसे स्थिर किया जा सकता है।

थ्रंबोलिसिस प्रक्रिया के अंतर्गत लगाए जाने वाला इंजेक्शन, मरीज के नसों में रक्त के अवरुद्ध प्रवाह को दूर करने की प्रक्रिया को पूरा करता है। इससे मरीज स्थिर हो जाता है और उसकी जान बच जाती है। हार्ट अटैक आने या मरीज में हृदयाघात की समस्या दिखाई देने पर उसे थ्रंबोलाइसिस थेरेपी दी जाती है, इससे मरीज ठीक हो जाता है। आवश्यकता पड़ने पर इससे मरीज को समय मिल जाता है तथा मरीज नजदीकी बड़े केंद्र पर जाकर आवश्यकतानुसार एंजियोप्लास्टी या अन्य जरूरी उपचार करा सकता है।

—मरीजों के परिजनों के अनुभव

शुक्रवार रात करीब दस बजे 60 वर्षीय रामजी को अचानक सीने में तेज दर्द उठा। घबराहट के साथ पसीना आने लगा। इसके बाद घरवाले उन्हें नजदीक के ही जिला चिकित्सालय रामनगर ले गए। वहाँ उन्हें तुरंत भर्ती कर ईसीजी किया गया। एक घंटे के अंदर पहुँचने पर उन्हें तत्काल थ्रंबोलिसिस प्रक्रिया के तहत इंजेक्शन लगाया गया, जिससे उनकी जान बच गई। अब वह पूरी तरह स्वस्थ हैं। इसी तरह शनिवार दोपहर दो बजे 59 वर्षीय राजेंद्र यादव सीने में दर्द के साथ सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र नरपतपुर में भर्ती हुए।

वहां पर प्रारंभिक इलाज के बाद शहरी सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र सारनाथ संदर्भित किया गया। जहां सबसे पहले उनका ईसीजी किया गया, तत्पश्चात थ्रंबोलिसिस प्रक्रिया से उनकी जान बचाई गई। डॉ एन के यादव की टीम ने एलबीएस चिकित्सालय और डॉ शैलेश की टीम ने सारनाथ सीएचसी में कार्य किया।

हिन्दुस्थान समाचार/श्रीधर/बृजनंदन

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