माँ लक्ष्मी के स्वागत पर छूटे पटाखे, आतिशबाजी से जगमगाया हमीरपुर
हमीरपुर, 12 नवम्बर (हि.स.)। हमीरपुर जिले में अज्ञानता दूर कर जीवन में ज्ञान का प्रकाश लाने वाला रोशनी का महापर्व दीवाली हर्षाेल्लास के माहौल में मनाया जा रहा है। जिला मुख्यालय से लेकर जिले के ग्रामीण इलाके दीपावली में झिलमिल रोशनी में जगमगा गए। एक अनुमान के मुताबिक बुन्देलखण्ड क्षेत्र में दीपावली पर करोड़ों के पटाखे भी दगेंगे। लक्ष्मी की अगवानी के लिये आतिशबाजी के पटाके छुड़ाने का दौर भी शुरू हो गया है।
जिले में शाम होते ही दीपावली पर्व की तैयारियां घर-घर शुरू हो गयी थी। गरीबों और मध्य वर्ग के लोगों के घरों में जहां मिट्टी से बने लक्ष्मी और गणेश की मूर्तियां पूजी गयीं, वहीं अमीरों ने चांदी से बनी मूर्तियां दीपावली पर्व पर विधि विधान से पूजी।
रोशनी के पर्व पर पूजा और अर्चना होते ही हमीरपुर शहर में आतिशबाजी के पटाखे दगने लगे। पूरा आसमान झिलमिल रोशनी से नहा उठा। नगर के रमेड़ी, पटकाना, अमनशहीद, नौबस्ता, कालपी चौराहा, पतालेश्वर, काजियाना, पुराना जमुना घाट, बेतवा घाट, बस स्टाप, यज्ञशाला, तहसील कालोनी, पुलिस परेड कालोनी, सुनराही गली, बंगाली मुहाल, किंग रोड, सुभाष बाजार व विवेकनगर सहित पूरे इलाके दीपावली की आतिशबाजी से झिलमिला उठे वहींजिले के सुमेरपुर, कुरारा, झलोखर, मौदहा, मुस्करा, राठ व सरीला समेत जिले के ग्रामीण क्षेत्रों में भी अबकी बार दीवाली की धूम मच गयी है।
अबकी बार दीपावली पर्व पर बाजार में दुकानों पर मिठाई के विशेष डिब्बे तैयार किये गये थे। इसमें मिठाई को खास तरीके से रखकर उसे सुन्दर ढंग से पैक किया गया था। देखा जाये तो मिठाई के डिब्बों को गिफ्ट पैक का रूप दे दिया गया था। जिनकी कीमत एक हजार रुपये से तीन हजार रुपये तक थी। इस बार मिठाई के गिफ्ट पैक जमकर बिके हालांकि महंगाई जरूर हावी रही। ड्राईफरुट्स के पैकेट भी इस बार लोगों ने खरीदें। इनमें काजू, किसमिस, बादाम, अखरोट आदि रखे गये थे। इसकी कीमत भी छह सौ रुपये से लेकर डेढ़ हजार रुपये तक की थी। बाजार में खुली पैकेटों पर लोगों की भीड़ टूट पड़ी।
ऐसी डिमाण्ड बढ़ी की सोनपापड़ी बाजार से गायब हो गयी। मिलावटी मावा की मिठाईयों की मार होने के बावजूद भी लोग इसे खरीदने के लिये लम्बी-लम्बी लाइनें भी दुकानों में लगाये रहे। अबकी मर्तबा पुलिस और प्रशासन के आला अधिकारियों के यहां भी दीपावली पर्व की धूम मची रही। रंग बिरंगी झालरों से उनके बंगले में रोशन करते रहे। लोगों का अनुमान है कि बुन्देलखण्ड में सबसे पिछड़ा जनपद होने के बावजूद भी यहाँ कई करोड़ मूल्य के पटाखे दगेंगे।
दूने-तिगुने दामों में खुलेआम बिके पटाके
निर्धारित रेट से भी कई गुना कीमत में पटाखे खुलेआम बिकने के बावजूद अधिकारी हरकत में नहीं आये। झुरझुरियां का एक छोटा पैकेट जो कभी बीस रुपये में बिकता था, वह दीपावली पर्व पर पचास से सौ रुपये में बेचा गया। जबकि चकरी 70 रुपये व अन्य आइटम भी दूने-तिगुने दामों में बेचे गये। आम लोग मजबूरी में आतिशबाजी के पटाखे खरीदने को विविश हो गये। पटाखे की दुकानें भी अबकी बार चौरादेवी मंदिर परिसर के पास लगाई गयी थी, जहां सुरक्षा के कोई भी इंतजाम नहीं नजर आये।
हिन्दुस्थान समाचार/पंकज/राजेश
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