समाज की सच्ची अभिव्यक्ति है कला : रवि शंकर खरे
गोरखपुर, 21 दिसंबर (हि.स.)। राज्य ललित कला अकादमी, लखनऊ (उत्तर प्रदेश संस्कृति विभाग) एवं महायोगी गोरखनाथ विश्वविद्यालय, गोरखपुर के संयुक्त तत्वाधान में आयोजित क्षेत्रीय कला प्रदर्शनी, गोरखपुर के उद्घाटन सत्र का आयोजन अत्यंत गरिमामय, प्रेरणादायी एवं कलात्मक वातावरण में संपन्न हुआ। इस अवसर पर कला, संस्कृति और शिक्षा जगत से जुड़े कला साधकों ने प्रदर्शनी का अवलोकन किया।
प्रदर्शनी का उद्घाटन मुख्य अतिथि कुलपति प्रो पूनम टंडन, दीन दयाल उपाध्याय गोरखपुर विश्विद्यालय गोरखपुर ने कलाकारों को उत्साहित करते हुए कहा कि कला किसी भी समाज की आत्मा होती है। कला के माध्यम से न केवल सौंदर्यबोध का विकास होता है, बल्कि सामाजिक चेतना, मानवीय संवेदनाओं और सांस्कृतिक मूल्यों का भी संरक्षण होता है। उन्होंने कहा कि विश्वविद्यालय का दायित्व केवल शैक्षणिक गतिविधियों तक सीमित नहीं है, बल्कि संस्कृति और कला के संरक्षण एवं संवर्धन में भी उसकी महत्वपूर्ण भूमिका है।
प्रो. टंडन ने राज्य ललित कला अकादमी, लखनऊ द्वारा निरंतर आयोजित की जा रही क्षेत्रीय कला प्रदर्शनियों की सराहना करते हुए कहा कि ऐसे आयोजन स्थानीय एवं नवोदित कलाकारों को मंच प्रदान करते हैं और उनकी प्रतिभा को व्यापक पहचान दिलाने में सहायक होते हैं। उन्होंने विद्यार्थियों से आह्वान किया कि वे प्रदर्शनी का गंभीरतापूर्वक अवलोकन करें और कला की विभिन्न विधाओं को समझने का प्रयास करें।
कार्यक्रम में विशिष्ट अतिथि के रूप में डॉ. मिथिलेश तिवारी, उपाध्यक्ष, बिरजू महाराज कत्थक संस्थान (संस्कृति विभाग, उत्तर प्रदेश) तथा रवि शंकर खरे, पूर्व अध्यक्ष, भारतेंदु नाट्य अकादमी, लखनऊ उपस्थित रहे। कार्यक्रम का शुभारंभ दीप प्रज्वलन एवं सरस्वती वंदना के साथ हुआ, जिसके पश्चात अतिथियों का पुष्पगुच्छ एवं अंगवस्त्र भेंट कर स्वागत किया गया।
विशिष्ट अतिथि डॉ. मिथिलेश तिवारी, उपाध्यक्ष, बिरजू महाराज कत्थक संस्थान ने अपने उद्बोधन में भारतीय शास्त्रीय एवं ललित कलाओं की समृद्ध परंपरा पर विस्तार से प्रकाश डाला। उन्होंने कहा कि उत्तर प्रदेश कला और संस्कृति की भूमि है, जहाँ संगीत, नृत्य, नाट्य और चित्रकला की गौरवशाली परंपरा रही है। डॉ. तिवारी ने कहा कि क्षेत्रीय कला प्रदर्शनी जैसे आयोजन कलाकारों और दर्शकों के बीच सेतु का कार्य करते हैं।उन्होंने इस बात पर विशेष जोर दिया कि आज के डिजिटल युग में भी पारंपरिक कलाओं का संरक्षण अत्यंत आवश्यक है। सरकार एवं संस्कृति विभाग द्वारा संचालित संस्थानों का दायित्व है कि वे युवा पीढ़ी को अपनी सांस्कृतिक जड़ों से जोड़े रखें। उन्होंने बिरजू महाराज कत्थक संस्थान द्वारा किए जा रहे प्रयासों की जानकारी देते हुए कहा कि संस्थान नृत्य एवं अन्य कलाओं के माध्यम से भारतीय संस्कृति को जीवंत बनाए रखने का कार्य कर रहा है।
कार्यक्रम में विशिष्ट अतिथि श्री रवि शंकर खरे, पूर्व अध्यक्ष, भारतेंदु नाट्य अकादमी ने अपने संबोधन में रंगमंच, दृश्य कला और समाज के आपसी संबंधों पर प्रकाश डाला। उन्होंने कहा कि कला समाज की सच्ची अभिव्यक्ति है और कलाकार अपने समय की संवेदनाओं, संघर्षों और आकांक्षाओं को अपनी रचनाओं के माध्यम से प्रस्तुत करता है। श्री खरे ने कहा कि दृश्य कलाओं को बढ़ावा देने का कार्य किया है और राज्य ललित कला अकादमी के साथ मिलकर ऐसे आयोजन कला आंदोलन को नई दिशा प्रदान करते हैं। उन्होंने गोरखपुर जैसे सांस्कृतिक रूप से समृद्ध नगर में इस प्रकार की प्रदर्शनी के आयोजन को अत्यंत सराहनीय बताया।
विशिष्ट अतिथि कुलसचिव डॉ. प्रदीप कुमार राव ने कहा कि क्षेत्रीय कला प्रदर्शनियाँ युवा एवं वरिष्ठ कलाकारों को अपनी प्रतिभा प्रस्तुत करने का सुअवसर प्रदान करती हैं तथा कला को जन-जन तक पहुँचाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं। डॉ. राव ने यह भी कहा कि विश्वविद्यालय और अकादमिक संस्थान जब कला संस्थाओं के साथ मिलकर ऐसे आयोजन करते हैं, तो यह शिक्षा और संस्कृति के बीच सेतु का कार्य करता है। उन्होंने सभी प्रतिभागी कलाकारों को शुभकामनाएँ देते हुए आशा व्यक्त की कि यह प्रदर्शनी रचनात्मक संवाद और नवाचार को प्रेरित करेगी।
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हिन्दुस्थान समाचार / प्रिंस पाण्डेय

