डीआर टीबी की नयी औषधियों को लेकर प्रशिक्षित हुए जिले भर के कर्मी

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डीआर टीबी की नयी औषधियों को लेकर प्रशिक्षित हुए जिले भर के कर्मी


डीआर टीबी की नयी औषधियों को लेकर प्रशिक्षित हुए जिले भर के कर्मी


डीआर टीबी की नयी औषधियों को लेकर प्रशिक्षित हुए जिले भर के कर्मी


डीआर टीबी की नयी औषधियों को लेकर प्रशिक्षित हुए जिले भर के कर्मी


गोरखपुर, 5 अप्रैल (हि.स.)। ड्रग रेजिस्टेंट (डीआर) टीबी की छह माह की नयी औषधियों की विशेषताओं और इससे समुदाय को जोड़ने के लिए जिला क्षय रोग केंद्र में पूरे जिले के राष्ट्रीय टीबी उन्मूलन कार्यक्रम से जुड़े कर्मियों को शनिवार को प्रशिक्षित किया गया। इस अवसर पर जिला क्षय उन्मूलन अधिकारी (डीटीओ) डॉ गणेश यादव ने बीपाल एम रेजिमन की औषधियों की खूबियों के बारे में विस्तार से जानकारी दी। उन्होंने बताया कि शीघ्र ही जिले के चिकित्सा अधिकारियों को भी इस बारे में प्रशिक्षित किया जाएगा।

डीटीओ डॉ यादव ने बताया कि बीपाल एम रेजिमन की दवाओं पर प्रत्येक मरीज के इलाज में सरकार करीब दो लाख रुपये खर्च कर रही है। इन दवाओं की खासियत यह है कि इनसे डीआर टीबी मरीज सिर्फ छह महीने में ठीक हो जाता है। इसके विपरीत पुरानी दवाओं से मरीज को ठीक होने में डेढ़ से दो साल का समय लगता है। पुरानी दवाएं देर तक चलने और अपेक्षाकृत जटिलताएं बढ़ने के कारण मरीज अक्सर उन्हें बीच में छोड़ देते थे। इससे उनके जीवन पर तो खतरा रहता ही था, समाज में डीआर टीबी के संक्रमण की आशंका भी बनी रहती है। अब प्रशिक्षित स्टॉफ ऐसे मरीजों को सीधे बीआरडी मेडिकल कॉलेज से नई रेजिमन की दवाएं शुरू करने के लिए प्रेरित करेगा। दवा चलने के दौरान आवश्यकतानुसार उनको परामर्श भी देता रहेगा।

उप जिला क्षय उन्मूलन अधिकारी डॉ विराट स्वरूप श्रीवास्तव ने नई रेजिमन की शुरूआत के प्रति बरती जाने वाली सतर्कता आदि के बारे में भी विस्तार से जानकारी दी। उन्होंने स्टॉफ को बताया कि हाल ही में बीपाल एम रेजिमन की करीब दस मरीजों की खुराक मेडिकल कॉलेज में आई है । कुछ मरीजों को नई रेजिमन की खुराक शुरू भी की गई है। एक बार सभी लोगों का प्रशिक्षण होने के बाद डीआर टीबी के सभी मरीजों के लिए इस नई रेजिमन की डोज मंगा ली जाएगी।

इस अवसर पर डीपीसी धर्मवीर प्रताप सिंह, पीपीएम समन्वयक अभय नारायण मिश्रा, मिर्जा आफताब बेग, इंद्रनील, कमलेश गुप्ता, अमित नारायण मिश्रा समेत जिले भर के एसटीएस, एसटीएलएस और सुपरवाईजर मौजूद रहे।

कल्चर टेस्ट निभाएगा अहम भूमिका*

डीटीओ ने बताया कि जिन डीआर टीबी के मरीजों की दो महीने तक दवा चल चुकी है और अगर कल्चर टेस्ट में उनमें रेजिस्टेंट बरकरार मिलता है तो उन्हें नई रेजिम की दवा शुरू कर सकते हैं। जिनका रेजिस्टेंट समाप्त हो गया होगा और अगर उन्हें पुरानी दवा चल रही है तो पुरानी दवा को ही जारी रखेंगे।

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हिन्दुस्थान समाचार / प्रिंस पाण्डेय

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