शीत लहर को लेकर जिला प्रशासन ने लोगों को किया अलर्ट
मेरठ, 12 दिसम्बर (हि.स.)। धीरे-धीरे बढ़ती सर्दी बढ़ती जा रही है। जिला प्रशासन ने लोगों को शीत लहर को लेकर अलर्ट किया है। लोगों को सर्दी में अंगीठी, अलाव आदि जलाने में सावधानी बरतने की हिदायत दी है।
देर से ही सही, सर्दी ने अपनी दस्तक दे दी है। रात में सर्द हवाएं चलने से लोगों को सर्दी का अहसास हो रहा है। सर्दी से लोगों को बचाने के लिए जिला प्रशासन ने अलर्ट जारी किया है। अपर जिलाधिकारी वित्त एवं राजस्व सूर्यकान्त त्रिपाठी ने बताया कि वित्तीय वर्ष 2023-24 में जनपद मेरठ में शीत लहर को देखते हुए ’क्या करें, क्या न करें’ को लेकर दिशा-निर्देश जारी किए गए हैं।
लोगों को यह उपाय अपनाने चाहिए
मौसम की जानकारी बराबर लेते रहे। लंबे समय तक ठंड के संपर्क में रहने से बचें। अपने शरीर को सूखा रखें एवं गर्म कपड़ों से ढक कर रखें। अपने सर, गर्दन, हाथ एवं पैरों को मुख्य रूप से ढकें। गर्म पेय पदार्थों एवं पौष्टिक आहार का सेवन करें। सामानों की आवश्यक आपूर्ति और पर्याप्त पानी का भंडारण करें। हीटर, ब्लोअर, कोयले की अंगीठी चलाते वक्त थोड़ी खिड़की खोलें। सोने से पहले सभी हीटर, ब्लोअर, अंगीठी को बंद कर दें। घर के अंदर बंद कमरों में कोयला न जलाएं। शरीर के अंगों के सुन्न पड़ने, हाथ-पैरों, कान एवं नाक पर सफ़ेद या पीले रंग के दाग इत्यादि पड़ने पर तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें। शीत लहर के समय बुजुर्गाें नवजात शिशुओं तथा बच्चों का विशेष ध्यान रखें। ठंड से प्रभावित स्थान पर किसी प्रकार का मसाज या मालिश न करें। प्रभावित स्थान को सीधे आग के संपर्क में लाने से बचें।
मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ. अखिलेश मोहन के अनुसार, शीत लहर या पाला पड़ने से पहले सर्दियों के पर्याप्त कपड़े स्टॉक करें। कपड़ों की कई परतें अधिक सहायक होती हैं। आपातकालीन आपूर्ति तैयार रखें। ठंड के समय फ्लू, नाक बहना या शीतदंश जैसी विभिन्न बीमारियों की संभावना बढ़ जाती है, जो आमतौर पर ठंड के लंबे समय तक संपर्क में रहने के कारण होती हैं। ऐसे लक्षणों के लिए तुरंत डॉक्टर से परामर्श करें।
हाइपोथर्मिया के लक्षण होने पर क्या करें?
व्यक्ति को गर्म स्थान पर ले जाएं और कपड़े बदलें। व्यक्ति के शरीर को त्वचा से त्वचा के संपर्क, कंबल, कपड़े, तौलिये या कंबल की सूखी परतों से गर्म करें। शरीर का तापमान बढ़ाने में मदद करने के लिए गर्म पेय दें, शराब कदापि न दें। हालत ज्यादा बिगड़ने पर डॉक्टर का परामर्श लें।
कसानों को भी भीषण सर्दी में सावधानी बरतनी चाहिए। शीत लहर और पाला फसलों को बीमारी के कारण नुकसान पहुंचाता है जिसमें ब्लैक रस्ट, व्हाइट रस्ट, लेट ब्लाइट आदि शामिल है। शीत लहर अंकुरण विकास, फूल, उपज और भंडारण जीवन में कई तरह के शारीरिक व्यवधान का कारण बनती है।
क्या करें- शीत लहर के दौरान लहर के दौरान जहां भी संभव हो, हल्की और लगातार सतही सिंचाई करें। हो सके तो स्प्रिंकलर सिंचाई का प्रयोग करें, ठंड प्रतिरोधी पौधों, फसलों, किस्मों की खेती करें। बागवानी और बागों में इंटरकॉपिंग खेती का उपयोग करें। सब्जियों की मिश्रित फसल जैसे टमाटर, बैंगन, सरसों, अरहर जैसी लंबी फसल ठंडी हवाओं (ठंड से बचाव) के लिए आवश्यक आश्रय प्रदान करेगा।
पशुपालन-शीत लहर के दौरान पशुओं और पशुओं को भरण-पोषण के लिए अधिक भोजन की आवश्यकता होती है क्योंकि ऊर्जा की आवश्यकता बढ़ जाती है। भैसों, मवेशियों के इष्टतम प्रजनन काल के दौरान तापमान में अत्यधिक भिन्नता पशुओं में प्रजनन दर को प्रभावित कर सकती है।
क्या करें-ठंडी हवाओं के सीधे संपर्क से बचने के लिए रात के समय जानवरों के आवास को चारों तरफ से ढक दें। पशुधन और कुक्कुट को ठंडे मौसम से अंदर रखकर सुरक्षित रखे और ढकें। उच्च गुणवत्ता वाले चारे या चरागाहों का उपयोग, वसा की खुराक प्रदान करें। फ्रीड सेवन, खिलाने और चबाने के व्यवहार पर ध्यान केंद्रित करें। सर्दियों के दौरान जानवरों के नीचे कुछ बिस्तर सामग्री जैसे सूखा पुआल लगाएं।
क्या न करें-शीत लहर के दौरान पशुओं को खुले में न बांधे। शीत लहर के दौरान पशु मेले आयोजित न करें। पशुओं को ठंडा चारा और ठंडा पानी देने से बचें। पशु आश्रय में नमी और धुआं इकट्ठा न होने दें। मृत पशुओं के शवों को पशुओं के नियमित चरने वाले मार्गों पर नहीं फेंकना चाहिए।
हिन्दुस्थान समाचार/ डॉ. कुलदीप/सियाराम
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