वर्चस्व की कहानी बयां कर रही है यूपीसीए के सचिवों के बीच बढ़ी तकरार!

वर्चस्व की कहानी बयां कर रही है यूपीसीए के सचिवों के बीच बढ़ी तकरार!
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वर्चस्व की कहानी बयां कर रही है यूपीसीए के सचिवों के बीच बढ़ी तकरार!


कानपुर, 29 मार्च (हि.स.)। उत्तर प्रदेश क्रिकेट एसोसिएशन के सचिवों के बीच बढ़े विवाद के पीछे वर्चस्व की कहानी सामने आ रही है। जहां एक ओर वर्तमान सचिव यूपीसीए को एक खेल का संघ मानते हुए उसे नियमित तरीके से चलाने का कार्य करने की मंशा रखतें हैं तो वहीं पूर्व सचिव इसे मेरठ का विश्वविद्यालय समझने की भारी भूल।

पूर्व सचिव विश्वविद्यालय वाली प्रशासनिक व्यवस्था सभी पर थोपने का कार्य करने का प्रयास करते आ रहें हैं। वह कर्मचारियों और पदाधिकारियों के अलावा भी सभी लोगों पर अपना पूरी तरह से नियंत्रण रखना चाहते हैं। ऐसा इसलिए भी कहा जा सकता है कि पूर्व सचिव मेरठ विश्वविद्यालय में प्राचार्य पद पर कार्यरत रह चुके हैं तो उनके मन मष्तिस्क पर इस प्रकार की आदतें गहरा प्रभाव छोड रहीं है। वर्तमान सचिव खेल संघ के नियमों के तहत ही उस पर अपना नियंत्रण रखने का प्रयास करते हैं और वह अपने छोटे और बड़े सभी कर्मचारी व पदाधिकारी को सामंजस्य में लेकर निर्णय लेना पसंद करते हैं।

पूर्व सचिव युद्धवीर सिंह और वर्तमान सचिव अरविंद श्रीवास्तव के बीच वर्चस्व की कहानी के लिए यह कोई नई पहेली नहीं है। यह पहली बार नहीं हुआ है कि दोनों के मतभेद सामने आए हों, लेकिन इस मामले ने ज्यादा ही तूल पकड़ लिया है। दोनों के बीच विवादों का सिलसिला साल 2021 से निरंतर चला आ रहा है जब वर्तमान सचिव कोषाध्यक्ष के पद पर नियुक्त थे और दूसरे सचिव के पद पर। पूर्व सचिव के किए गए फैसलों पर भी क्रिकेट संघ के सदस्य हो या पदाधिकारी में एक राय नहीं थी लेकिन वह सभी को अपने प्रभाव और अरदब में लेकर अपना वर्चस्व कायम रखे थे। उनके वर्चस्व के आगे सभी नतमस्तक रहा करते थे उनके खिलाफ कोई भी कर्मचारी या फिर पदाधिकारी कुछ भी बोलने की हिम्मत नहीं जुटा पाते थे।

गौरतलब है कि कानपुर के ग्रीन पार्क से मैच स्थानांतरित करवाने को लेकर भी उन्होंने अपने प्रभाव और वर्चस्व को कायम रखा जिससे ग्रीन पार्क मैच विहीन हो गया। इकाना का प्रभार मिलने के बाद से यह प्रक्रिया निरंतर जारी है जबकि सचिव अरविंद श्रीवास्तव उसके यूपीसीए जैसी प्रतिष्ठित संस्था के नाममात्र सिग्नेटरी अथॉरिटी हैं। बीते साल के मार्च महीने में भी पूर्व सचिव और वर्तमान सचिव के बीच एक चिठ्ठी हस्ताक्षर मामले पर ठन गयी थी तो हाईकमान ने मध्यस्थता करवाकर मामले का रूख दूसरी ओर मुड़वा दिया था।

यूपीसीए के एक पदाधिकारी ने बताया कि पूर्व सचिव युद्धवीर सिंह संघ में अपना कार्यकाल आगे बढ़वाना चाहते थे लेकिन वह वर्तमान सचिव के चुनाव में उतरने के चलते दोबारा सचिव का पद नहीं पा सके थे। दोनों के बीच प्रभाव और वर्चस्व को लेकर आए मतभेद की यह भी एक मुख्य वजह हो सकती है।

हिन्दुस्थान समाचार/अजय/मोहित

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