नकली खाद्य पदार्थ से पाचन तंत्र पर सीधा असर, दुर्लभ रोग का भी खतरा : सतीश राय

नकली खाद्य पदार्थ से पाचन तंत्र पर सीधा असर, दुर्लभ रोग का भी खतरा : सतीश राय
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नकली खाद्य पदार्थ से पाचन तंत्र पर सीधा असर, दुर्लभ रोग का भी खतरा : सतीश राय


प्रयागराज, 19 फरवरी (हि.स.)। भोजन सभी के लिए जरूरी है उसी से शरीर को पोषक तत्वों की प्राप्ति होती है। शारीरिक व मानसिक विकास एवं स्वस्थ रहने के लिए खाद्य पदार्थ का शुद्ध होना आवश्यक है। इस बदलते परिवेश में ज्यादा पैसा कमाने की लालच में कुछ लोग खाद्य सामग्रियों में सस्ते और नुकसान करने वाले पदार्थों की मिलावट करते हैं जो शरीर पर गम्भीर दुष्प्रभाव डालते हैं। एसकेआर योग एवं रेकी शोध प्रशिक्षण और प्राकृतिक संस्थान रेकी सेंटर पर प्रख्यात स्पर्श चिकित्सक सतीश राय ने कही।

--दुर्लभ रोग होने का बढ़ता खतरा

उन्होंने कहा कि नकली खाद्य पदार्थ खाने से शरीर में होने वाले दुष्प्रभाव में आंखों की रोशनी जाना, हृदय रोग, लीवर का खराब होना, कुष्ठ रोग, लकवा, कैंसर एवं एकाएक दुर्लभ रोग होने का खतरा बढ़ जाता है। उन्होंने बताया कि दुर्लभ रोगों में जीवन 4 से 6 महीने ही होता है। ज्यादा कमाने के लिए जानलेवा मुनाफे के इस खेल पर रोक लगना अति आवश्यक है।

--हानिकारक सामग्रियों का खुलकर हो रहा प्रयोग

सतीश राय ने कहा कि खाद्य पदार्थों का स्वाद बढ़ाने में भी मिलावटी व हानिकारक सामग्रियों का खुलकर प्रयोग हो रहा है। अनाज, फल-सब्जियों से लेकर दूध, घी तक सब में मिलावट हो रही है। इनके लगातार इस्तेमाल से गम्भीर बीमारियां हो रही हैं। मिलावट का सबसे ज्यादा असर हमारी पाचन क्रिया पर पड़ता है। इसी कारण रह-रह कर बीमारियों की बाढ़ सी आ रही है जो मानव जीवन में पूरा असर डाल रहा है।

--दुग्ध उत्पाद से बनी सामग्रियों में सबसे ज्यादा मिलावट

सतीश राय ने बताया कि मिलावट का सबसे ज्यादा असर दूध उत्पादन व उससे बनी सामग्रियों में है। इसमें खतरनाक चीजे मिलाई जाती है। शहर में 60 से 70 प्रतिशत दूध ग्रामीण क्षेत्र से आता है। पैकिंग दूध का कारोबार सिर्फ 40 प्रतिशत है। ऐसे में शहर की आबादी लगभग 15 लाख में से लगभग 9 लाख लोग खुले दूध का सेवन कर रहे हैं। नकली दूध को मिठाइयां, पनीर, मावा बनाने में अधिक खपाया जा रहा है। नकली दूध से बने सामग्रियों का ज्यादातर इस्तेमाल शादी ब्याह एवं ग्रामीण क्षेत्रों में भी धड़ल्ले से हो रहा है। उन्होंने बताया कि नकली दूध की पहचान के लिए असली दूध स्टोर करने पर रंग नहीं बदलता जबकि नकली दूध कुछ समय बाद पीला पड़ जाता है। असली दूध को हाथों के बीच में रगड़ने पर चिकनाहट महसूस नहीं होती जब कि नकली दूध को हाथों के बीच में रगड़ने पर डिटर्जेंट जैसी चिकनाहट महसूस होती है।

--मिलावट खोरों के खिलाफ ठोस कार्रवाई की जरूरत

सतीश राय ने कहा कि खाद्य पदार्थों में मिलावट रोकने के लिए समय-समय पर शासन स्तर पर अभियान चलाकर नमूने लिए जाते हैं। सम्बंधित विभाग जब त्यौहार आते हैं, उस समय खानापूर्ति करने के लिए निकलते हैं। इन मिलावट खोरों के खिलाफ कोई ठोस कार्रवाई नहीं होती। इसीलिए इन पर लगाम नहीं लग पा रहा।

हिन्दुस्थान समाचार/विद्या कान्त/पदुम नारायण

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