डायट प्रवक्ताओं ने दो दिवसीय कार्यशाला में सीखे क्षमता संवर्द्धन के गुर

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डायट प्रवक्ताओं ने दो दिवसीय कार्यशाला में सीखे क्षमता संवर्द्धन के गुर


लखनऊ, 27 सितम्बर (हि.स.)। प्रदेश के 14 जिला शिक्षा एवं प्रशिक्षण संस्थानों (डायट) के 42 प्रवक्ताओं को शैक्षिक शोध एवं नवाचार के टिप्स दिए गए। इस दौरान डायट प्रवक्ताओं ने क्षमता संवर्द्धन के गुर सीखे। एससीईआरटी उत्तर प्रदेश द्वारा आईपीईएल के सहयोग से आयोजित इस कार्यक्रम में भाग लेने वाले प्रवक्ता अब 2024-25 के लिए आवंटित शोध कार्यों पर काम करेंगे।

राज्य शैक्षिक अनुसंधान और प्रशिक्षण परिषद (एससीईआरटी), उत्तर प्रदेश ने इण्डिया पार्टनरशिप फॉर अर्ली लर्निंग (आईपीईएल) के सहयोग से प्रदेश के 14 जिला शिक्षा एवं प्रशिक्षण संस्थानों (डायट) के 42 प्रवक्ताओं के लिए दो दिवसीय कार्यशाला का आयोजन किया। कार्यशाला में शामिल होने वाले प्रवक्ताओं में आजमगढ़, सुल्तानपुर, बरेली, गौतम बुद्ध नगर, उन्नाव, गाज़ीपुर, कौशांबी, भदोही, मथुरा, फिरोजाबाद, श्रावस्ती, कानपुर नगर, हाथरस और प्रतापगढ़ शामिल हैं।

बता दें कि प्रत्येक डायट से चुनिंदा तीन-तीन प्रवक्तओं ने इस कार्यशाला में भाग लिया और अपनी शोध एवं नवाचार क्षमताओं को विकसित किया।

26 और 27 सितंबर को लखनऊ के एक निजी होटल में आयोजित इस कार्यशाला में दिल्ली विश्वविद्यालय, लखनऊ विश्वविद्यालय, अजीम प्रेमजी विश्वविद्यालय, टाटा इंस्टीट्यूट ऑफ सोशल साइंसेज और अम्बेडकर विश्वविद्यालय के विशेषज्ञों ने शोध और नवाचार पर आधारित सत्रों में भाग लिया। इस दौरान विशेषज्ञों ने नवाचार और शैक्षिक शोध की तकनीकों पर व्याख्यान दिए। सेन्टर फॉर बजट एंड पॉलिसी स्टडीज के विशेषज्ञों ने भी कार्यशाला में प्रवक्ताओं का मार्गदर्शन किया। इस कार्यशाला ने उत्तर प्रदेश में शिक्षा अनुसंधान को सशक्त करने के साथ-साथ प्रौद्योगिकी और नवाचार के समन्वय का मजबूत आधार तैयार किया है, जिससे राज्य के शैक्षिक परिदृश्य में गुणात्मक सुधार की संभावनाएं बढ़ गई हैं।

प्रवक्ताओं को कार्यशाला में नई शैक्षिक चुनौतियों से निपटने और नवाचार के माध्यम से शिक्षा में सुधार के लिए सशक्त प्रयासों के गुर सीखने का मौका मिला। इस आयोजन से उत्तर प्रदेश के शिक्षकों को अपनी शोध क्षमताओं को बढ़ाने और नए दृष्टिकोण अपनाने का अवसर मिला। यह प्रयास निश्चित रूप से शिक्षा क्षेत्र में सकारात्मक बदलाव का साक्षी बनेगा। दो दिवसीय कार्यशाला में भारतीय संदर्भ में शिक्षा अनुसंधान की महत्ता पर चर्चा की गई। साक्ष्य-आधारित शिक्षा नीति निर्माण और क्षेत्रीय अनुसंधान के माध्यम से स्कूली शिक्षा की चुनौतियों का समाधान करने के उपायों पर विशेष ध्यान दिया गया।

राज्य शैक्षिक अनुसंधान और प्रशिक्षण परिषद (एससीईआरटी) के संयुक्त निदेशक डॉ. पवन सचान ने कहा कि उत्तर प्रदेश ने दिमाग को सशक्त बनाना, भविष्य को आकार देना मिशन के तहत शिक्षा के क्षेत्र में कई सुधारात्मक पहलों की शुरुआत की है। डायट संस्थान शिक्षकों के प्रशिक्षण और पाठ्यक्रम विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहे हैं। इन संस्थानों के माध्यम से प्राथमिक और उच्च प्राथमिक स्तर के शिक्षकों को आधुनिक शिक्षण विधियों से लैस करने, अनुसंधान और सर्वेक्षण करने तथा शिक्षण सामग्री विकसित करने का कार्य किया जा रहा है। एससीईआरटी ने 14 डायट को उत्कृष्टता केंद्र के रूप में नामित किया है, जो राज्य के शैक्षिक परिणामों में सुधार के लिए शोध और नवाचार को बढ़ावा देने के दिशा में एक प्रमुख कदम है।

इन विषयों पर मिले टिप्स

- शैक्षिक प्रणाली में सुधार और गुणवत्तापूर्ण शिक्षा को बढ़ावा।

- शिक्षा में अनुसंधान को सशक्त करना।

- शिक्षा अनुसंधान के उभरते रुझान और प्रौद्योगिकी-संचालित नवाचारों पर जोर।

- शिक्षण-अधिगम नवाचार लाने में अनुसंधान की भूमिका।

- उत्तर प्रदेश में शैक्षिक अनुसंधान की चुनौतियाँ और अवसर।

- अनुसंधान के प्रत्येक चरण में समस्या की पहचान, परिकल्पना, डेटा संग्रह और निष्कर्ष तक व्यवस्थित कार्य करना।

- एआई, मशीन लर्निंग और डेटा एनालिटिक्स के उपयोग की संभावनाओं और सीमाओं पर विचार।

- ओपन सोर्स टूल्स और प्लेटफॉर्म्स के माध्यम से डेटा संग्रह, विश्लेषण और रिपोर्टिंग को अधिक प्रभावी बनाना।

- कम लागत में सुलभ तकनीक के माध्यम से उच्च गुणवत्ता वाले परिणाम प्राप्त करने के तरीके।

हिन्दुस्थान समाचार / दीपक वरुण

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