भक्तों ने सिर पर छाबरिया रखकर अन्नकूट प्रसाद गिरिराज प्रभु को अर्पित किया
मथुरा, 14 नवम्बर(हि.स.)। गिरिराज प्रभु के आंगन में भारतीय परिधान में सजी विदेशी संस्कृति भी सात कोस वारे का गुणगान करती रही दुनिया भर का वैभव गोवर्धन में सिमट कर रह गया। गिरिराजजी की शिलाओं पर सुबह एक बार दूध का अभिषेक शुरू हुआ तो धार ने देर शाम तक रुकने का नाम ही नहीं लिया। भक्तों ने सिर पर छाबरिया रखकर अन्नकूट प्रसाद प्रभु को समर्पित किया।
मंगलवार को गोवर्धन पूजा महोत्सव अपनी दिव्यता में समाहित भव्यता के कारण धार्मिक इतिहास के पन्नों पर स्वर्णिम अक्षरों में अंकित हो गया। श्रद्धा के अनवरत बहते सैलाब से तलहटी, कलियुग के देव गोवर्धन महाराज का वैभव देख मुस्कराती रही। समूचा ब्रज मंडल अपने देव का यशोगान करता रहा। परिक्रमा मार्ग में भजनों की धुनों पर नृत्य करते भक्त बेसुध होकर झूमते हुए परिक्रमा लगाने लगे। गौड़िय भक्तों ने स्वामी नारायण दास महाराज के सानिध्य में आन्यौर परिक्रमा में गिरिराजजी का दूध आदि से पंचामृत अभिषेक कर अन्नकूट भोग समर्पित किया।
स्थानीय पुरोहित नीरज शर्मा ने वेद मंत्रोच्चारण कर पूजा संपन्न कराई। राधाकुंड मार्ग स्थित गौड़ीय मठ से भी तमाम भक्त छबरिया लेकर भोग लगाने पहुंचे इतिहास में अंकित आन्यौर का अन्नकूट स्थल आज फिर द्वापर युगीन परंपरा का गवाह बना। ब्रज निष्ठ संत कन्हैया बाबा के सानिध्य में नंदगांव बरसाना गोवर्धन आन्यौर जतीपुरा राधाकुंड परासौली के ब्रजवासी अपने अपने घरों से विभिन्न कच्चे पक्के पकवान लेकर पहुंचे और गिरिराजजी को अन्नकूट प्रसाद समर्पित किया। शाम की बेला में मुकुट मुखारविंद मंदिर रिसीवर कपिल चतुर्वेदी के निर्देशन में मुकुट मुखारविंद मंदिर सेवायत परिवार की महिलाओं ने अन्नकूट प्रसाद सिर पर रख शोभायात्रा निकाली और प्रभु को भोग समर्पित किया। दानघाटी मंदिर पर सेवायत ने अन्नकूट समर्पित किया।
हिन्दुस्थान समाचार/महेश/राजेश
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