महाअष्टमी पूजा के साथ श्रद्धालुओं ने मां अन्नपूर्णा,मंगला गौरी के दरबार में लगाई हाजिरी


— सुहागिन महिलाओं ने देवी को नारियल और अड़हुल फूल की माला के साथ सुहाग की सामग्री समर्पित की
वाराणसी, 05 अप्रैल (हि.स.)। वासंतिक चैत्र नवरात्र के अवसर पर श्री काशी विश्वनाथ की नगरी शनिवार को महाअष्टमी पूजा के साथ आदिशक्ति की आराधना में आकंठ डूबी रही। नवरात्र के आठवें दिन श्रद्धालुओं ने नवगौरी के दर्शन में मंगला गौरी और नवदुर्गा के दर्शन के क्रम में महागौरी मां अन्नपूर्णा के दरबार में पूरे श्रद्धा के साथ हाजिरी लगाई और विधि विधान से दर्शन पूजन किया।
महागौरी मां अन्नपूर्णा के दरबार में आधी रात के बाद से ही श्रद्धालु पहुंचने लगे थे। श्री काशी विश्वनाथ धाम परिसर के समीप स्थित माता अन्नपूर्णा के मंदिर में पीठाधीश्वर महंत शंकरपुरी महाराज ने भोर में देवी के विग्रह को पंचामृत स्नान कराकर विधिपूर्वक श्रृंगार किया। विग्रह को नवीन वस्त्र, आभूषण और अड़हुल के 108 फूलों वाली माला से अलंकृत किया गया। इसके पश्चात महंत ने वैदिक मंत्रोच्चार के मध्य मां अन्नपूर्णा की महाआरती की। इसके बाद मंदिर के द्वार श्रद्धालुओं के लिए खोल दिए गए और भोर से ही भक्तों की कतारें लग गईं। श्रद्धालुओं ने देवी के दरबार में 11 से 108 बार तक परिक्रमा (फेरी) लगा सुख समृद्धि की कामना की।
काशी में मान्यता है कि सच्चे मन से महागौरी की पूजा करने से सभी पाप समाप्त हो जाते हैं और माता की कृपा से लौकिक और अलौकिक सिद्धियाँ प्राप्त होती हैं।इसी क्रम में, श्रद्धालु पंचगंगा घाट के निकट स्थित मंगला गौरी के दरबार में भी पहुंचे। मंगलकारिणी मंगला गौरी के दरबार में श्रद्धालुओं का तांता लगा रहा। भोर में मंदिर के महंत के सानिध्य में अर्चकों ने देवी के विग्रह को पंचामृत स्नान कराकर उन्हें नवीन वस्त्र और आभूषण पहनाए। इसके बाद देवी को भोग अर्पित किया गया और महाआरती की।
काशी में मां मंगला गौरी को सुहाग की देवी के रूप में पूजा जाता है। इस अवसर पर सुहागिन महिलाएं नारियल और अड़हुल की माला के साथ सुहाग की सामग्री अर्पित कर अखंड सौभाग्य की प्राप्ति के लिए माता से आशीर्वाद मांग रही थीं।
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हिन्दुस्थान समाचार / श्रीधर त्रिपाठी