रामनगर की विश्वप्रसिद्ध भोर की आरती देख श्रद्धालु भावविभोर

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रामनगर की विश्वप्रसिद्ध भोर की आरती देख श्रद्धालु भावविभोर


वाराणसी, 27 अक्टूबर (हि.स.)। विश्व प्रसिद्ध रामनगर की रामलीला में चौदह वर्ष बाद लंका जीत कर अयोध्या लौटे भगवान श्रीराम के राज्याभिषेक की झांकी और भोर की आरती देखने के लिए लाखों श्रद्धालु रातभर जागते रहे।

शुक्रवार की भोर राज्याभिषेक की झांकी और अविस्मरणीय आरती देख श्रद्धालु आह्लादित दिखे। मुक्तकंठ से राजा रामचंद्र की जय का जयकारा गूंजता रहा। विश्व प्रसिद्ध भोर की आरती में शामिल होने के लिए लोग शहर से आधीरात के बाद ही रामनगर दुर्ग पहुंचने लगे थे। भोर में रामनगर चौराहे से दुर्ग होते हुए शास्त्री चौक तक कहीं कदम रखने की जगह नहीं बची थी। आरती के समय मशाल की रोशनी में किले से नंगे पांव पूर्व काशी नरेश के वंशज महाराज डॉ. अनंत नारायण सिंह अयोध्या के लिए निकले तो हर-हर महादेव का जयघोष गूंज उठा। इस दौरान धक्कामुक्की के बावजूद भगवान के दर्शन की श्रद्धा में आतुर लोग टस से मस नहीं हुए। लाल सफेद महताबी रोशनी में भगवान की आरती होने के साथ ही रामनगर का कोना-कोना हर-हर महादेव के गगनभेदी जयकारों से गूंज उठा। दुर्ग के आसपास और इस ओर जाने वाले मकानों के छतों से लेकर मुंडेर और चबूतरों, मंदिरों के गेट पर लोग डटे रहे।

पूरब में अरुणोदय की लाली दिखते ही किले के द्वार पर डंका बजने लगा। मशालची मशाल लेकर चल पड़े। उनके पीछे काशिराज नंगे पांव आरती स्थल के लिए सड़क के दोनों किनारों पर खड़ी कतारबद्ध भीड़ का अभिवादन करते निकले। भीड़ के बीच से सुरक्षा घेरे में उनको अयोध्या जी के मैदान पहुंचाया गया। काशिराज के अयोध्या पहुंचने के बाद महताबी रोशनी में राम दरबार की आरती हुई।

अयोध्या से पंचवटी निकले काशिराज

भोर की आरती के बाद काशिराज अपनी कार से पंचवटी की ओर रवाना हो गए। उधर, राम, लक्ष्मण, भरत, शत्रुघ्न, सीता समेत पांचों स्वरूपों को सेवकों ने अपने कंधों पर बैठा कर गंगा दर्शन कराया। इसके बाद भगवान के स्वरूप बलुआघाट स्थित धर्मशाला में ले जाए गए।

उल्लेखनीय है कि रामनगर की विश्वप्रसिद्ध लीला में श्रीराम राज्याभिषेक के बाद भोर में होने वाली आरती सर्वाधिक पुण्यदायी और महत्वपूर्ण मानी जाती है। इसके लिए रात्रिपर्यंत लीला प्रेमी अयोध्या मैदान में डटे रहे। रात के तीसरे प्रहर से तो मानो रेला ही उमड़ पड़ा। स्थिति यह कि श्रद्धा के आगे विशाल मैदान कम पड़ा। परंपरा अनुसार महाराजा अनंत नारायण सिंह दुर्ग से पैदल लीला स्थल पहुंचे। आसमान में भगवान भाष्कर की लालिमा छायी माता कौशल्या ने अयोध्या के सिंहासन पर विराजमान श्री राम सीता साथ में खड़े भरत, लक्ष्मण, शत्रुघ्न तथा श्री राम के चरणों में नतमस्तक भक्त शिरोमणि हनुमान जी की आरती उतारी। कुंवर अनंत नारायण सिंह ने भी अपने पूर्वजों द्वारा स्थापित परंपराओं का बखूबी निर्वहन किया। प्रतीक रूप से अयोध्या के राज सिंहासन पर विराजमान प्रभु श्रीराम, माता जानकी समेत चारों भाईयों व हनुमानजी की माता कौशल्या ने आरती उतारी। इसके साथ ही पूरा क्षेत्र प्रभु की जयकार से गूंज उठा। इस लीला में रामनगर दुर्ग से पैदल चलकर लीला स्थल तक पहुंचे काशिराज परिवार के अनंत नारायण सिंह जमीन पर बैठते हैं। वह श्रीराम का तिलक कर उन्हें भेंट देते हैं। बदले में श्रीराम अपने गले की माला उतार कर कुंवर को पहना देते हैं। उस दौरान समूचा अयोध्या मैदान राजा रामचंद्र के उद्घोष से गूंज उठा।

हिन्दुस्थान समाचार/श्रीधर/दिलीप

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