वर्तमान समय में भी सनातन विरोधियों का विनाश सुनिश्चित : महामण्डलेश्वर स्वामी विशोकानन्द
संस्कृति संसद में संतों ने भरी हूंकार, सजग होकर सनातन के विरोध का हमें प्रतिकार करना चाहिए
वाराणसी, 03 नवम्बर (हि.स.)। सनातनी हिन्दू को वर्तमान समय में समर्थ और सतर्क रहने की आवश्यकता है। समर्थ और सतर्क होने के कारण 90 लाख इजराईली, दुनिया में अपनी पहचान रखते हैं, परन्तु उदासीनता के कारण 90 करोड़ सनातनी हिन्दू हाशिये पर हैं।
यह उदगार महामण्डलेश्वर स्वामी विशोकानन्द शुक्रवार को सिगरा स्थित रुद्राक्ष कन्वेंशन सेंटर में आयोजित संस्कृति संसद के उद्घाटन सत्र को सम्बोधित कर रहे थे। अध्यक्षता करते हुए स्वामी विशोकानन्द ने कहा कि सनातन परमात्मा और भगवती का नाम सनातनी है। भगवती सनातनी ने सनातन धर्म की रक्षा के लिए मधु-कैटभ, शुम्भ, निशुम्भ तथा महिषासुर का वध किया। भगवान राम ने सनातन विरोधी रावण का वध किया। इसी तरह द्वापर में भगवान श्रीकृष्ण ने शिशु पाल जैस सतानत विरोधियों का संहार किया। इसी तरह वर्तमान समय में भी सनातन विरोधियों का विनाश सुनिश्चित है, क्योंकि सनातन का विरोध करने वालों का विनाश ईश्वर ने सदा ही किया हैै। इसके उदाहरण पुराणों, रामायण एवं महाभारत में है।
अखिल भारतीय सन्त समिति, अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद, श्रीकाशी विद्वत परिषद् के संयुक्त बैनर तले आयोजित संस्कृति संसद में विषय प्रस्तावना करते हुए स्वामी जीतेन्द्रानन्द सरस्वती ने कहा कि जाॅर्ज सोरोस जैसे पश्चिमी पूंजीपतियों ने अपने धन-बल से पूरी दुनिया में सनातन हिन्दू विरोधी वातावरण बनाया। उसने भारत देश में सनातन विरोधी कई समूह भी खड़े किए। जो लोग दक्षिण भारत में हजारों मन्दिरों पर कब्जा किए हैं, वही लोग भारत में सेक्युलरिज्म की बात करते हैं। यह बड़ा और गम्भीर प्रश्न है, इसका भी उत्तर इस संस्कृति संसद से दिया जायेगा।
उन्होंने कहा कि सनातन विरोधी सभी प्रश्नों का उत्तर देश के विभिन्न भागों से आए सन्तों द्वारा दिया जाएगा। उन्होंने कहा कि बाइबिल एवं कुरान में भारत का भूगोल दर्ज नहीं है, लेकिन हमारे वेदों, पुराणों आदि ग्रन्थों में भारत की नदियों, पर्वतों, वनों तीर्थाें आदि का स्पष्ट उल्लेख है। इसलिये यह भारत सनातनियों का ही है।
उद्घाटन सत्र में आए सन्तों एवं अतिथियों का स्वागत एक अखबार समूह के सम्पादक संजय गुप्त ने किया। उद्घाटन सत्र में विश्व हिन्दू परिषद के कार्यकारी अध्यक्ष आलोक कुमार, श्रीरामजन्मभूमि ट्रस्ट के महासचिव चम्पत राय, परिषद के संरक्षक दिनेश, श्री काशी विश्वनाथ मन्दिर ट्रस्ट के अध्यक्ष प्रो. नागेन्द्र पांडेय, परिषद के केन्द्रीय मंत्री अशोक तिवारी एवं विधायक कैलाश खैरवार आदि भी उपस्थित रहे। मंच पर मुनिजी महाराज, गोपाल चैतन्य, हरिहरानन्द सरस्वती, शाश्वतानन्द , स्वामी प्रखरजी महाराज, महामंडलेश्वर अभयानन्द महाराज आदि की उपस्थिति रही। संस्कृति संसद में पूरे दिन सात सत्रों के साथ समानान्तर सत्र चला।
हिन्दुस्थान समाचार/श्रीधर/राजेश
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