गर्मी में खेतों की गहरी जुताई करने से होता है अधिक लाभ: डॉ खलील खान
कानपुर, 21 मई (हि.स.)। ग्रीष्मकालीन गहरी जुताई करने से आगामी फसल में अच्छी पैदावार होती है। अनुसंधान के परिणामों में यह पाया गया है कि गर्मी की जुताई से भूमि कटाव में 66.5 प्रतिशत तक की कमी आई है। यह जानकारी मंगलवार को चन्द्रशेखर आजाद कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय कानपुर के मृदा वैज्ञानिक डॉ.खलील खान ने दी।
उन्होंने बताया कि आगामी फसल से अच्छी पैदावार लेने के लिए रबी फसल की कटाई के तुरंत बाद गहरी जुताई कर ग्रीष्म ऋतु में खेत को खाली रखना लाभप्रद होता है। उन्होंने कहा कि जहां तक संभव हो सके किसान मिट्टी पलटने वाले हल से गहरी जुताई कर दें। खाली खेत में गहरी जुताई मई माह में अवश्य कर लें। इस गहरी जुताई से जो ढेला बनते हैं वे धीरे-धीरे हवा व बरसात के पानी से टूटते रहते हैं। साथ ही जुताई से मिट्टी की सतह पर पड़ी फसल अवशेष की पत्तियां पौधों की जड़ें एवं खेत में उगे हुए खरपतवार आदि नीचे तक जाते हैं। जो सड़ने के बाद खेत की मिट्टी में कार्बनिक खादों/जीवांश पदार्थ की मात्रा में बढ़ोतरी करते हैं इससे भूमि में वायु संचार एवं जल धारण क्षमता बढ़ जाती है।
गहरी जुताई से गर्मी में तेज धूप के कारण कीड़े मकोड़े एवं बीमारियों के जीवाणु खत्म हो जाते हैं। ग्रीष्मकालीन जुताई से जलवायु का प्रभाव सुचारु रुप से मिट्टी में होने वाली प्रक्रियाओं पर पड़ता है और वायु तथा सूर्य के प्रकाश की सहायता से मिट्टी में विद्यमान खनिज अधिक सुगमता से पौधे भोजन के रूप में ले लेते हैं।
उन्होंने बताया कि किसान भाइयों को गर्मी की जुताई दो-तीन वर्ष में एक बार अवश्य कर देनी चाहिए। अनुसंधान के परिणामों में यह पाया गया है कि गर्मी की जुताई से भूमि कटाव में 66.5 प्रतिशत तक की कमी आई है।
हिन्दुस्थान समाचार/ राम बहादुर/मोहित
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