साइबर स्पेस मानवीय जीवन का एक अभिन्न अंग : प्रो. मनोज कुमार

साइबर स्पेस मानवीय जीवन का एक अभिन्न अंग : प्रो. मनोज कुमार
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साइबर स्पेस मानवीय जीवन का एक अभिन्न अंग : प्रो. मनोज कुमार
















- हिंदू कॉलेज मुरादाबाद में भारतीय सामाजिक विज्ञान अनुसंधान परिषद के तहत दो दिवसीय राष्ट्रीय संगोष्ठी का शुभारंभ

मुरादाबाद, 10 फरवरी (हि.स.)। हिंदू कॉलेज मुरादाबाद के समाजशास्त्र विभाग द्वारा भारतीय सामाजिक विज्ञान अनुसंधान परिषद के तहत शनिवार को दो दिवसीय राष्ट्रीय संगोष्ठी का आयोजन हुआ। जिसका शीर्षक साइबर सुरक्षा और भारतीय समाज अवधारणा, प्रकार्य एवं समउन्नति रहा। संगोष्ठी में ऑनलाइन मोड में 33 शोधार्थियों ने अपने शोध पत्र प्रस्तुत किया, जबकि ऑफलाइन बोर्ड में 22 शोधार्थियों ने अपने शोध पत्र प्रस्तुत किये।

मुख्य अतिथि के रूप में गवर्नमेंट ऑफ इंडिया न्यू दिल्ली डीआरडीओ डायरेक्टर डॉ. एस एस किरार ने कहा कि साइबर सुरक्षा किसी विशेष बैंकिंग क्षेत्र से ही नहीं संबंधित है बल्कि इसका क्षेत्र काफी व्यापक है। यह इस रक्षा क्षेत्र एवं शिक्षा को भी समाहित करती है। एक समस्या के रूप में ब्रेन ड्रेन के तहत यहां के बेहतरीन दिमाग जो देश के बाहर चले जाते हैं उनका इस्तेमाल साइबर परिधि को तोड़ने में किया जाता हैं। इस विषय में राष्ट्र को प्रथम रखने की बात कही है।

प्रथम मुख्य वक्ता के रूप में जेएनयू के प्रो मनोज कुमार के अनुसार साइबर स्पेस मानवीय जीवन का एक अभिनं अंग है। समाजशास्त्री के रूप में व्यक्ति अलगाव में नहीं रह सकता बल्कि इसे समायोजित करने की जरूरत होती है। उन्होंने इंटरनेट को एक माध्यम एवं एक तकनीक के रूप में देखा है। उन्होंने मोबाइल और कार को महत्वपूर्ण अन्वेषण माना है। जिसमें मोबाइल पढ़ने देखने एवं नियंत्रण का साधन बन गया हैं। डिजिटल नेटवर्कों के जरिए व्यक्तिगत से लेकर लेकर वैश्विक जुड़ाव राज्य एवं बाजार के बीच होता है इसके जरिए एक नेटवर्क सोसाइटी का जन्म होता है जो तकनीक का इस्तेमाल कर अर्थव्यवस्था को जोड़ने का कार्य करता हैं।

दूसरे मुख्य वक्ता के रूप में महर्षि दयानंद विश्वविद्यालय रोहतक डॉ. सुमित गिल ने बताया कि हम आंकड़े स्वेच्छा से देते हैं यह आपको निर्णय करना है कि आप अपनी डाटा स्वेच्छा से किसे देना है। इसका चयन स्वयं करना है एवं इसके बचाव के लिए एक सामान्य फोन जो बैंकिंग के लिए इस्तेमाल हो एवं दूसरा अन्य काम के लिए प्रयोग में लाया जाना चाहिए जिससे व्यक्ति की डाटा सुरक्षित रह सके।

डॉ डीपीएस तोमर ने साइबर अपराध को एक सफेदपोश अपराध बताया है। उनके अनुसार समाज संक्रमण के दौर से गुजर रहा है और इसमें कई सामाजिक वर्गीकरण मौजूद है जो उन्हें ज्यादा सुभेद बनाता है। हिंदू कॉलेज के प्राचार्य प्रोफ़ेसर सत्यव्रत सिंह रावत ने ने साइबर सुशासन को बेहतर बनाने की मांग की। डॉ सुबह सिंह यादव के द्वारा यह बताया गया कि जी-20 की अध्यक्षता में भारत ने अपनी चिंता व्यक्त की हैं इस पर वैश्विक सहयोग की अपील की।

दिल्ली विश्वविद्यालय के हिंदू कॉलेज के प्रो. डॉ अरविंद चौधरी ने अभी के समाज को ज्ञानवर्धक समाज माना हैं। जिसमें सूचना का स्रोत कंप्यूटर एवं आधारित सामग्रियां हैं। वही दिल्ली विश्वविद्यालय के दयाल सिंह कॉलेज के प्रोफेसर विजय कुमार वर्मा ने समाज में आदमी को तकनीक का पर्याय नहीं माना उन्होंने कहा है कि तकनीक व बाजार को नियमित नहीं किया जा सकता इस वैश्वीकरण ने समाज में एक खंडित व्यक्ति को पैदा किया है जिसमें बहुत अंतर विरोध पाया जाता है।

समाजशास्त्र विभाग हिंदू कॉलेज के प्रभारी प्रोफेसर रमाकांत ठाकुर ने बताया कि यह राष्ट्रीय संगोष्ठी आने वाले युवाओं के लिए बहुत महत्वपूर्ण है और इसमें और अधिक शोध कार्य की आवश्यकता है।

राष्ट्रीय सेमिनार में डॉ. चंद्रजीत कुमार यादव, डॉ. अरुण कुमार वर्मा, डॉ जावेद अंसारी, डॉ. आलोक यादव, डॉ विवेक कृष्ण, डॉ अमित वेश, डॉ बृजेश तिवारी का महत्वपूर्ण सहयोग रहा। सभी शोधार्थियों के लिए तकनीकी सत्र के दौरान अलग-अलग क्षेत्र में विभाजित कर उन शोध पत्रों का प्रस्तुतीकरण किया गया।संगोष्ठी का संचालन संगोष्ठी के संयोजक डॉ एस बी यादव ने किया।

इस अवसर पर समाजशास्त्र विभाग के शोधार्थी श्री कमलनयन, मोहम्मद शमशाद, प्रीति, राजेश कुमार, वीर बहादुर सिंह, बोधन सिंह का महत्वपूर्ण सहयोग रहा।

हिन्दुस्थान समाचार/निमित जायसवाल/मोहित

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