सभी थानों पर साइबर हेल्प डेस्क स्थापित हों: पुलिस आयुक्त

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सभी थानों पर साइबर हेल्प डेस्क स्थापित हों: पुलिस आयुक्त


साइबर अपराध की रोकथाम व जनजागरूकता को लेकर की समीक्षा बैठक

वाराणसी,22 अप्रैल (हि.स.)। पुलिस कमिश्नरेट वाराणसी के पुलिस आयुक्त मोहित अग्रवाल ने मंगलवार को साइबर सेल और साइबर थाने की मासिक समीक्षा बैठक की। इस दौरान उन्होंने साइबर अपराध की रोकथाम, पीड़ितों को त्वरित सहायता और जनजागरूकता बढ़ाने के लिए कई अहम दिशा-निर्देश दिए। उन्होंने सभी थानों में साइबर हेल्प डेस्क स्थापित करने के आदेश दिए, जिनमें प्रशिक्षित पुलिसकर्मी तैनात रहेंगे।

बैठक में साइबर थाना के उल्लेखनीय कार्यों को बताया गया। इनमें अंतर्राष्ट्रीय एवं अंतर्राज्यीय स्तर पर सक्रिय साइबर अपराधियों के गिरोह के 90 अपराधियों की गिरफ्तारी कर 3,60,65,019 रूपयों की रिकवरी की जानकारी साझा की गई। अफसरों ने बताया कि न्यायालय में प्रभावी पैरवी के माध्यम से साइबर फ्रॉड के दो आरोपियों को 07-07 वर्ष की सश्रम कारावास की सज़ा भी दिलाई गई। इसके अलावा अन्तर्राज्यीय साइबर अपराधियों के विरूद्ध गैंगस्टर एक्ट की कार्यवाही हुई। कमिश्नर ने सभी थानों पर साइबर हेल्प डेस्क स्थापित करने को कहा। जिसमें प्रशिक्षित पुलिसकर्मियों की नियुक्ति, साइबर अपराध के मामलों में शिकायतों का पंजीकरण, प्रारंभिक जाँच और साइबर सेल के साथ समन्वय स्थापित कर पीड़ित की मदद पर बल लिए। सीपी ने सभी पुलिसकर्मियों को वर्तमान समय में घटित हो रहे साइबर अपराधों के मोडस ऑपरेंडी एवं उनके अनावरण एवं रोकथाम के लिए समय-समय पर प्रशिक्षित किए जाने की बात कही।

साइबर-थाना और साइबर सेल में नियुक्त पुलिसकर्मियों को डिजिटल फॉरेंसिक विशेषज्ञ, साइबर इंटेलिजेंस एनालिस्ट और डेटा एनालिटिक्स आदि में प्रशिक्षित किये जाने,तकनीकी संस्थानों के सहयोग से नियमित प्रशिक्षण दिये जाने के​ लिए हिदायत दी। शैक्षणिक संस्थानों (स्कूलों, कॉलेजों, विश्वविद्यालय) में समय-समय पर कार्यशालाएं आयोजित कर छात्रों को लाइव डेमो व केस स्टडी के जरिए सतर्क करने को भी कहा। बच्चों और किशोरों को साइबर सेफ किड्स के माध्यम से उन्हें अंजान ऑनलाइन दोस्तों और गेमिंग प्लेटफॉर्म्स पर ठगी से बचाने,सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म (एक्स, फेसबुक, इंस्टाग्राम आदि) पर वीडियो इंफोग्राफिक्स व शॉर्ट टिप्स प्रसारित कर जागरूकता के लिए अफसरों को प्रेरित किया। सीपी ने कहा कि ग्रामीण व शहरी क्षेत्रों में एनीमेटेड वीडियो और नुक्कड़ नाटक के माध्यम से साइबर सुरक्षा संदेश प्रभावी व मनोरंजक ढंग से प्रसारित कराए। डिजिटल वॉरियर कार्यक्रम के तहत युवाओं को प्रशिक्षण दिया जाये जिससे आमजन को जागरूक करने में सक्रिय भूमिका निभा सकें।

—कैसे करें बचाव

फर्जी कॉल्स, डिजिटल गिरफ्तारी जैसे स्कैम से सावधान रहें। पुलिस व अन्य संस्थायें ऑनलाइन गिरफ्तारी नहीं करती है। किसी भी संदिग्ध मैसेज या पैसे मांगने वाले उदाहरण- आपका खाता बन्द हो जायेगा, आपके खिलाफ केस दर्ज है जैसे कॉल पूरी तरह फर्जी है ऐसे कॉल की सूचना तत्काल पुलिस को दें। साइबर अपराधी अक्सर भावनात्मक दबाव उदाहरण- आपका बेटा या परिजन मुसीबत में है, मैं मुसीबत में हूँ मुझे पैसे चाहिये आदि का प्रयोग करते है तो उसकी सत्यता की पुष्टि फोन कॉल या व्यक्तिगत संपर्क से करें। लुभावने ऑफर, जॉब ऑफर, लॉटरी या निवेश योजनाएं जो अवास्तविक लाभ (कई गुणा लाभ) का वादा करती हों, अक्सर साइबर ठगी का हिस्सा होती है। अंजान लिंक पर क्लिक करने से बचे, ये मालवेयर या डेटा चोरी का साधन हो सकते हैं, इससे आपके व्यक्तिगत डाटा साइबर अपराधियों को प्राप्त हो सकते है।

निजी जानकारी, बैंक खाता विवरण, ओटीपी, पासवर्ड, आदि किसी के साथ साझा न करें। मजबूत पासवर्ड, दो चरणीय-सत्यापन (टू-फैक्टर ऑथेंटिकेशन) और विश्वसनीय एंटीवायरस सॉफ्टवेयर का उपयोग करें।

—साइबर फ्रॉड/अपराध की स्थिति में क्या करें

सीपी ने कहा कि प्रथम 24 घण्टे अत्यंत महत्वपूर्ण होते हैं, तुरंत साइबर हेल्पलाइन 1930 पर कॉल करें या निकटतम थाने जाकर रिपोर्ट दर्ज करें। साइबर क्राइम.गोव.इन पर शिकायत दर्ज करें। यह पोर्टल हिन्दी और अंग्रेजी दोनों भाषाओं में उपलब्ध है।

सम्बन्धित बैंक को तुरंत सूचित कर खाता फ्रीज़ कराएं और संदिग्ध लेन-देन की जानकारी दें। स्क्रीनशॉट, मैसेज, कॉल रिकॉर्ड और ई-मेल जैसे साक्ष्य सुरक्षित रखें ये जाँच में सहायक सिद्ध होते हैं। बैठक में पुलिस आयुक्त अपराध राजेश सिंह , पुलिस उपायुक्त अपराध प्रमोद कुमार आदि अफसर भी मौजूद रहे।

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हिन्दुस्थान समाचार / श्रीधर त्रिपाठी

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