सीएसजेएमयू के कुलपति प्रो. विनय कुमार पाठक ने संभाला एआईयू प्रेसिडेंट का कार्यभार

सीएसजेएमयू के कुलपति प्रो. विनय कुमार पाठक ने संभाला एआईयू प्रेसिडेंट का कार्यभार
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सीएसजेएमयू के कुलपति प्रो. विनय कुमार पाठक ने संभाला एआईयू प्रेसिडेंट का कार्यभार


-हैदराबाद में हुई असोसिएशन ऑफ इंडियन यूनिवर्सिटीज (एआईयू) की सालाना बैठक में बनाए गए थे प्रेसिडेंट

कानपुर, 01 जुलाई (हि.स.)। छत्रपति शाहू जी महाराज विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. विनय कुमार पाठक ने सोमवार को असोसिएशन ऑफ इंडियन यूनिवर्सिटीज के प्रेसिडेंट के तौर पर कार्यभार संभाला है। प्रो. पाठक को हाल ही में हैदराबाद में एआईयू की बैठक में प्रेसिडेंट चुना गया था। उन्होंने एआईयू के 103वें अध्यक्ष के रूप में पदभार संभाला और देशभर के शिक्षाविदों ने शुभकामनाएं दी।

इस अवसर पर उन्होंने कहा कि विकसित भारत की संकल्पना में विश्वविद्यालयों की महत्वपूर्ण भूमिका होगी और विश्वविद्यालयों की समाज एवं राष्ट्र निर्माण में अहम जिम्मेदारी होगी।

एसोसिएशन ऑफ इंडियन यूनिवर्सिटीज के नई दिल्ली स्थित कार्यालय में सोमवार को प्रो. विनय कुमार पाठक ने प्रेसिडेंट के तौर पर चार्ज ग्रहण किया। इस अवसर पर एआईयू के महासचिव समेत सभी सदस्य उपस्थित रहे। प्रो. पाठक के अध्यक्ष का पदभार संभालने की सूचना मिलते ही सीएसजेएमयू में खुशी का माहौल है। विश्वविद्यालय के शिक्षकों, कर्मचारियों एवं छात्र-छात्राओं ने एक दूसरे को बधाई दी। उन्होंने कहा कि भारतीय विश्वविद्यालय संघ पूरे देश में विश्वविद्यालयों में बेहतर अकादमिक माहौल के साथ-साथ शिक्षा के क्षेत्र में विकास के लिए प्रतिबद्ध है। एआईयू के माध्यम से यूनिवर्सिटीज के मध्य सांस्कृतिक, अकादमिक, स्पोर्ट्स, शोध, अकादमिक गतिविधयों के उच्च स्तरीय कंपटीशिन आयोजित कराए जाते हैं। साथ ही यह संघ विश्वविद्यालयों के एक साथ मिलकर कार्य करने के लिए अवसर उपलब्ध कराता है।

कानपुर के लिए गौरव का क्षण

प्रो. पाठक के भारतीय विश्वविद्यालय संघ के अध्यक्ष का कार्यभार संभालने पर विश्वविद्यालय के पूर्व छात्रों ने भी खुशी जताई। विश्वविद्यालय के पूर्व छात्रों ने अपने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर भी इसे लेकर पोस्ट किया। जिसमें उन्होंने इसे कानपुर के लिए गौरव का क्षण बताया। एआईयू के अध्यक्ष का पदभार संभालने के उपरांत प्रो. पाठक ने सभी को धन्यवाद देते हुए कहा कि विकसित भारत के विजन में विश्वविद्यालयों का योगदान सबसे अहम है। हमें इस प्रकार की संस्कृति विकसित करनी है कि भारतीय शिक्षा व्यवस्था पूरी दुनिया में अपनी अमिट छाप छोड़ सके। हमें तकनीक के साथ अपनी संस्कृति, गौरवमय इतिहास और बेहतर भविष्य के निर्माण का कार्य करना होगा। विश्वविद्यालयों के पास समाज एवं राष्ट्र निर्माण की अहम जिम्मेदारी है, हमें यह केंद्र में रखकर कार्य करना होगा।

हिन्दुस्थान समाचार/अजय/दीपक/आकाश

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