गाय माता हमारे डीएनए में है - के.ई.एन. राघवन

गाय माता हमारे डीएनए में है - के.ई.एन. राघवन
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गाय माता हमारे डीएनए में है - के.ई.एन. राघवन


लखनऊ, 17 मार्च(हि.स.)। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की गतिविधि गौ सेवा के अखिल भारतीय प्रशिक्षण प्रमुख के.ई.एन. राघवन ने कहा कि हमारे डीएनए में गाय है। गाय के दूध, दही और मक्खन को खाकर हमारा शरीर मजबूत हुआ है। गाय की महिमा ऐसी है कि उसके दिये गोबर और गौमूत्र से खेत लहराते हैं। खेत में उगने वाली शुद्ध उपज को खाकर हमारा शरीर और भी मजबूत होता है।

के.ई.एन. राघवन ने कहा कि हम अमृत पुत्र है। हम सभी की एक संस्कृति और एक प्रकृति है। संस्कृति का मतलब गाय है तो प्रकृति का अर्थ पृथ्वी है। हम सभी गौ सेवा के कार्यकर्ताओं को उद्देश्य घर घर में गाय और हर घर में दूध है। विश्व में कोई निर्दोष है तो वह गाय ही है। गाय को पूर्णिमा के दिन भोजन कराने से देवी देवता प्रसन्न होते है। वहीं अमावस्या को भोजन कराने से कराने वाले के पूर्वज प्रसन्न रहते है।

शहरों के लिए छत पर बागवानी के बारे में प्रशिक्षण प्रमुख ने कहा कि जो पौधों के लिए वेस्ट है, वह हमारे लिए बेस्ट है। जैसे बैगन का पौधे पर बैगन होने के बाद उसे ना तोड़िये तो वह गिर कर खराब अर्थात वेस्ट हो होता है। वहीं बैगन हम तोड़कर भुनकर खाये तो हमारे लिए बेस्ट अर्थात उत्तम होता है। पेड़ पौधों के लिए जो फल सब्जी हैं, वे वेस्ट है। वहीं हमारे लिए हरी भरी सब्जियां बेस्ट है।

उन्होंने कहा कि इसे घर में उगाने का प्रयास करना चाहिए। घर में लगने वाली सब्जियों में लौकी, कद्दू, हरी मिर्च, नींबू, करैला, टमाटर लगाया जा सकता है। इसको लगाना आसान है। एक प्रशिक्षण लेकर स्वयं से अभ्यास करने पर बहुत कम समय में हरी सब्जियां उगाने में हर व्यक्ति सफल हो जायेगा।

हिन्दुस्थान समाचार/ शरद/बृजनंदन

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