गोबर से बन रहे कंडे, जैविक खाद की मांग बढ़ी - जयकृष्ण
लखनऊ, 21 नवम्बर(हि.स.)। लखनऊ उत्तर भाग के जानकी नगर में गोपाष्टमी कार्यक्रम के अवसर पर राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के विभाग संघचालक जयकृष्ण सिन्हा ने कहा कि गाय के गोबर का उपयोग कथा कराते हुए गौरी-गणेश बनाने के लिए होता रहा है। पूजन में गोबर से बने गणेश में भगवान पधारते हैं। अब गोबर के कंडे बन रहे हैं। इसका उपयोग शवदाह के लिए हो रहा है। गोबर से ही बनी जैविक खाद की आवश्कता में प्रतिदिन बढ़ोतरी हो रही है। गोबर की मांग भी बढ़ती जा रही है।
जयकृष्ण सिन्हा ने कहा कि गोपाष्टमी में गौ आश्रय पर छोटे बड़े कार्यक्रम आयोजित कर गौ पूजन अवश्य करना चाहिए। गाय का चित्र लगाकर नहीं, गाय का प्रत्यक्ष पूजन करना चाहिए। इस वर्ष संघ की गतिविधि गौ सेवा के कार्यकर्ताओं ने प्रत्यक्ष रूप से गाय का पूजन किया है। इसी तरह प्रत्येक वर्ष इस परम्परा को आगे बढ़ाते रहना है।
इसी कार्यक्रम में उपस्थित रहे वरिष्ठ प्रचारक और गौ सेवा के प्रांत प्रमुख सर्वजीत ने कहा कि जर्सी गाय का दूध सही मायने में दूध जैसा नहीं है। जर्सी गाय तो सूअर, यार्क और यास्क के क्रास से बनी है। उसका दूध फिर कैसे दूध हो सकता है। उसे पीने से तमाम प्रकार की बीमारियां हो जाये। देशी गाय का दूध पीना चाहिए। इससे बल बुद्धि का विकास होता है। अपने देश में देशी गाय की 182 प्रकार की प्रजातियां थीं। इसमें अब 42 प्रकार की प्रजातियां ही बच सकी हैं, वह भी संघ के कार्यकर्ताओं के कारण। भीलवाड़ा में ये सभी प्रजातियों की गाय आज भी हैं।
उन्होंने कहा कि गतिविधि गौ सेवा के कार्यकर्ताओं ने लखनऊ विभाग के 44 नगरों में गौ पूजन का लक्ष्य लिया और उसे पूरा कर दिखाया है। सभी नगरों में पूरे उत्साह के साथ गौ पूजन कार्यक्रम हुए हैं। गाय माता की आरती करने के बाद फल, सब्जी, गुड़, रोटी खिलाकर और पुष्प अर्पित कर पूजन सम्पन्न किया गया है। इस दौरान महिलाओं ने भी बढ़चढ़ कर कार्यक्रम में भागीदारी की है।
गोपाष्टमी कार्यक्रम में विभाग संयोजक शरद चंद्र, विभाग प्रशिक्षण टोली सदस्य डाॅ. रविशंकर, भाग प्रशिक्षण संयोजक ओमप्रकाश, सह नगर संघचालक सुनील, नगर संयोजक मनोज, सह नगर संयोजक शेखर शरन और बड़ी संख्या में महिलाओं सहित 50 लोग उपस्थित रहे।
हिन्दुस्थान समाचार/शरद/दिलीप
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