यूपी में कृषि और ग्रामीण पर्यटन की असीम संभावनाएं: देवेश चतुर्वेदी
- किसानों की आय बढ़ाने में कृषि पर्यटन का हो सकता बड़ा योगदान
लखनऊ, 16 मई (हि.स.)। उत्तर प्रदेश पर्यटन की ओर से 16 मई को विश्व कृषि पर्यटन दिवस पर कार्यशाला का आयोजन किया गया। लखनऊ के गोमतीनगर स्थित इंदिरा गांधी प्रतिष्ठान में आयोजित किया गया। कार्यशाला में कृषि और ग्रामीण पर्यटन से जुड़े हित धारक और विशेषज्ञों ने अनुभव साझा किया।
कार्यशाला में मुख्य अतिथि अपर मुख्य सचिव (नियुक्ति और कार्मिक विभाग) देवेश चतुर्वेदी ने कहा कि हमारा देश कृषि प्रधान है। यहां कृषि और ग्रामीण पर्यटन में असीमित अवसर हैं। किसानों की आय बढ़ाने में इस क्षेत्र का बहुत बड़ा योगदान हो सकता है। उन्होंने कहा कि उत्तर प्रदेश में इस क्षेत्र में असीमित संभावनाएं हैं। सरकार पहल कर रही है, लोगों को भी आगे आना चाहिए।
एस.सी.एस. कृषि और ग्रामीण पर्यटन के विकास के लिए तीन बिंदु सुझाए। उन्होंने कहा कि पहला-गांवों में चार-पांच दिन या इससे ज्यादा ठहरने की अच्छी व्यवस्था होनी चाहिये। इससे लाभ यह होगा कि जो आर्थिक रूप से संपन्न लोग हैं वह भ्रमण व ठहरने के लिए आकर्षित होंगे। इस वर्ग के गांवों में रुख करने से किसानों की आय में अच्छी वृद्धि होगी। दूसरा-पर्यटन विभाग को शिक्षा विभाग से वार्ता कर छात्र-छात्राओं के गांवों में भ्रमण की व्यवस्था बनानी चाहिए। इससे बड़ा लाभ यह होगा कि जो विद्यार्थी ग्रामीण परिवेश से दूर हो चुके हैं उन्हें ग्रामीण जीवन और वहां की खूबियों का व्यावहारिक ज्ञान होगा। इससे उनका सोचने-समझने का दृष्टिकोण बदलेगा, साथ ही ग्रामीणों की आय बढ़ेगी।
उन्होने कहा कि अयोध्या, प्रयागराज, मथुरा, आगरा समेत जो अन्य पर्यटन स्थल हैं वहां बड़ी संख्या में पर्यटक जाते हैं। यदि रास्ते में कृषि और ग्रामीण पर्यटन स्थल उपलब्ध हों तो लोग निश्चित रूप से पर्यटन न केवल जाएंगे बल्कि ठहरेंगे भी। यदि पर्यटक गांवों में जाएंगे तो जो लोग प्रत्यक्ष रूप से पर्यटन क्षेत्र से जुड़े हैं उनको तो रोजगार मिलेगा ही साथ में स्थानीय उत्पाद तैयार करने वालों की आय भी बढ़ेगी। ग्रामीणों के सामने रोजगार का द्वार खुलेगा। उन्होंने कहा कि नीति आयोग भी मानता है कि पर्यटन क्षेत्र में अधिक रोजगार हैं। इसमें जितना निवेश करेंगे उसका अच्छा रिटर्न मिलता है।
प्रमुख सचिव पर्यटन एवं संस्कृति मुकेश कुमार मेश्राम ने कहा कि हमारा हिंदुस्तान गांवों में बसता है। शुद्ध हवा-जल गांवों में ही मिलता है। गांवों में पहुंचते ही अनेक बीमारियां गायब हो जाती है। वर्तमान समय में कृषि और ग्रामीण पर्यटन में बहुत अधिक संभावनाएं हैं। क्योंकि शहरों में रहने वाले लोग गांवों में घूमना पसंद करते हैं। वह वहां की जीवनशैली देखना चाहते हैं। शहरों में रहने वाली नई पीढ़ी को खेती किसानी को केवल किताबों में ही पढ़ रहे हैं। जमीनी हकीकत देखने के लिए गांवों की ओर रुख कर रहे हैं। पर्यटन विभाग प्रदेश में कृषि पर्यटन और ग्रामीण पर्यटन के क्षेत्र में तेजी से कार्य कर रहा है। इसमें लोग खुद भी आगे आएं।
विशेष सचिव, गृह योगेश कुमार ने कहा कि पर्यटन हमें बताता है कि छुट्टियां बिताने के लिए नहीं, बल्कि घूमने समझने और सीखने के लिए होती हैं। बच्चों को छुट्टियों के दिनों में घुमाना चाहिए ताकि वह ज्यादा से ज्यादा अपनी संस्कृति से जुड़े और सीखें। इससे उनका सर्वांगीण विकास होगा। उनको कहा कि पर्यटन में वृद्धि के लिए जरूरी है कि हम पर्यटकों की वस्तुस्थिति से भी परिचित हों। इस दौरान अपने मनरेगा के लंबे अनुभवों को भी साझा किया।
विशेष सचिव पर्यटन ईशा प्रिया ने कहा कि ग्रामीण पर्यटन विकास के लिए राज्य के 75 जिलों, 18 मंडलों में से 229 गांवों को चयनित किया गया है। यहां ठहरने की व्यवस्था स्थानीय समुदाय द्वारा होमस्टे के रूप में प्रदान की जाएगी।
इस कार्यशाला में पर्यटन विकास निगम के प्रबन्ध निदेशक रवि रंजन, निदेशक पर्यटन प्रखर मिश्रा, उपनिदेशक डा कल्याण सिंह, उपनिदेशक दिनेश कुमार, उपनिदेशक वीरेश कुमार सहित अन्य अधिकारी गण मौजूद रहे।
हिन्दुस्थान समाचार/बृजनन्दन/मोहित
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