विद्युत व्यथा निवारण फोरमों को सक्रिय करने के लिए उपभोक्ता परिषद ने उठाई मांग

विद्युत व्यथा निवारण फोरमों को सक्रिय करने के लिए उपभोक्ता परिषद ने उठाई मांग
WhatsApp Channel Join Now
विद्युत व्यथा निवारण फोरमों को सक्रिय करने के लिए उपभोक्ता परिषद ने उठाई मांग


लखनऊ, 12 फरवरी (हि.स.)। उपभोक्ता परिषद ने पूरे उत्तर प्रदेश में नवगठित 1758 विद्युत व्यथा निवारण फोरमों में 95 प्रतिशत फोरम गठित होने के बाद केवल कागजों पर सीमित उनको गतिशील बनाने के लिए विद्युत नियामक आयोग में प्रस्ताव दाखिल किया और हस्तक्षेप करने की मांग उठाई। इससे पहले उपभोक्ता परिषद उप्र सरकार से भी जल्द हस्तक्षेप करने की मांग कर चुका है।

उपभोक्ता परिषद ने विद्युत नियामक आयोग से कहा कि नवगठित फोरमों को तत्काल चालू कराया जाय। अन्यथा पूर्व में कार्यरत 22 कमिश्नरी स्तर के फोरमों को चालू कराएं, जिससे उपभोक्ताओं की परेशानी दूर हो सके। उपभोक्ता परिषद ने नवगठित फोरमों के लिए बन रहे नियम के समय ही सवाल उठा दिया था। उपभोक्ताओं परिषद ने कहा था कि ये फोरम उपभोक्ताओं के लिए काला कानून साबित होंगे।

पूरे प्रदेश के लगभग 3 करोड 30 लाख विद्युत उपभोक्ताओं की बिलिंग मीटरिंग उपभोक्ता सेवा संबंधी कनेक्शन संबंधी जिन समस्याओं का समाधान बिजली कंपनियां नहीं करतीं। उनके समाधान के लिए फोरमों में अर्जी लगाने का प्रावधान है। उसके बाद पीड़ित लोकपाल तक मामला ले जा सकता है।

वर्तमान में उत्तर प्रदेश में नवगठित 1758 विद्युत वितरण निवारण फोरम में से प्रत्येक बिजली कंपनी में दो-चार फोरम ही काम कर रहे हैं, जिसको लेकर उत्तर प्रदेश राज्य विद्युत उपभोक्ता परिषद के अध्यक्ष व राज्य सलाहकार समिति के सदस्य अवधेश कुमार वर्मा ने सोमवार को विद्युत नियामक आयोग को विद्युत अधिनियम 2003 की धारा 42 ( 5) के तहत यह प्रस्ताव भेजा है कि विद्युत नियामक आयोग पूरे इस गंभीर मामले पर हस्तक्षेप करते हुए नवगठित विद्युत व्यथा निवारण फोरम को सुचार रूप से गतिशील कराए। यदि ऐसा नहीं होता है तो पूर्व में बने कमिश्नरी स्तर पर 22 विद्युत व्यथा निवारण फोरमो को फिलहाल अविलंब चालू कराया जाय।

उत्तर प्रदेश राज्य विद्युत उपभोक्ता परिषद के अध्यक्ष अवधेश कुमार वर्मा ने कहा कि विद्युत नियामक आयोग जब नए कानून के तहत इस व्यवस्था को आगे बढा रहा था तो उपभोक्ता परिषद ने इसका विरोध किया था। पूरे देश में एक दो राज्यों को छोडकर कहीं भी इस प्रकार के फोरम गठित नहीं किये जा रहे हैं, जिसमें उपखंड अधिकारी, अधिशासी अभियंता, अधीक्षण अभियंता, मुख्य अभियंता और कंपनी का अधिकारी ही हों, जिससे उपभोक्ता अपनी समस्या को लेकर परेशान है। उसी के सामने उसे अपील करना पडे यह कैसा न्याय है।

हिन्दुस्थान समाचार/उपेन्द्र/बृजनंदन

हमारे टेलीग्राम ग्रुप को ज्‍वाइन करने के लि‍ये  यहां क्‍लि‍क करें, साथ ही लेटेस्‍ट हि‍न्‍दी खबर और वाराणसी से जुड़ी जानकारी के लि‍ये हमारा ऐप डाउनलोड करने के लि‍ये  यहां क्लिक करें।

Share this story