अमेठी और रायबरेली के कांग्रेस कार्यकर्ता दिनभर लगाये रहे टक-टकी, मिली निराशा

अमेठी और रायबरेली के कांग्रेस कार्यकर्ता दिनभर लगाये रहे टक-टकी, मिली निराशा
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अमेठी और रायबरेली के कांग्रेस कार्यकर्ता दिनभर लगाये रहे टक-टकी, मिली निराशा


लखनऊ, 28 अप्रैल (हि.स.)। अमेठी और रायबरेली के कांग्रेस कार्यकर्ता शनिवार दिनभर दिल्ली की तरफ निगाह लगी रहीं। उन्हें उम्मीद थी कि कांग्रेस का उम्मीदवार मिल जाएगा, लेकिन रात तक फिर घोषणा नहीं हो पायी। इससे कार्यकर्ताओं में निराशा आ गयी। हालांकि अमेठी में दिल्ली से पहुंची तीन गाड़ियों ने कार्यकर्ताओं की चिंताओं को कुछ कम कर दिया। उधर रायबरेली के असमंजस से निराशा बढ़ती जा रही है।

उधर रात में कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे को सुपुर्द कर दिया गया कि इन दोनों सीटों पर वही फैसला करेंगे, लेकिन कांग्रेस सूत्रों के अनुसार सब कुछ सोनिया गांधी के हाथ में है। यह सीट रूकने का कारण भी सोनिया गांधी है। असल में बात वर्चस्व की है। कांग्रेस में हमेशा राहुल का वर्चस्व बनाये रखने की कोशिश हो रही है। इसी का नतीजा है कि अमेठी से पुन: राहुल गांधी को लाने की कोशिश हो रही है, जिससे राबर्ट वाड्रा का दावा यहां से काटा जा सके।

वहीं दूसरी तरफ कांग्रेस प्रियंका गांधी वाड्रा को लड़ाने में असमंजस में है। सोनिया गांधी शुरू से ही प्रियंका को दबाने और राहुल को बढ़ाने के लिए समय-समय पर आगे आती रही हैं। वे चाहती हैं कि पूरी कांग्रेस की कमान हमेशा राहुल के हाथ में रहे। यदि प्रियंका गांधी रायबरेली से लड़ती हैं और वे जीत गयीं तथा राहुल हार गये तो फिर प्रियंका को आगे बढ़ने से कोई रोक नहीं पाएगा।

कांग्रेस सूत्रों के अनुसार राहुल के अमेठी से आने के पूरे आसार हैं, लेकिन प्रियंका का लड़ना असमंजस है। उन्हें पार्टी को जोड़ने और राहुल का सहयोग करने मात्र भर पार्टी में रखना ही हाईकमान की मंशा है। हालांकि वहां फैसला जो हो, लेकिन रायबरेली और अमेठी के कार्यकर्ताओं की स्थिति खराब होती जा रही है।

हिन्दुस्थान समाचार/उपेन्द्र/मोहित

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