बीएचयू के 13 निलंबित छात्रों के समर्थन में कांग्रेस और सपा,निलंबन की निंदा

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—बीएचयू प्रशासन के निर्णय के विरोध में राजनीति शुरू

वाराणसी,03 अक्टूबर (हि.स.)। नवंबर, 2023 में आईआईटी-बीएचयू की छात्रा के साथ हुए गैंग रेप के विरोध में धरने पर बैठे विद्यार्थियों के बीच जमकर मारपीट मामले में 13 छात्र-छात्राओं के निलंबित होने पर राजनीति गर्माने लगी है। बीएचयू प्रशासन के निर्णय के विरोध में कांग्रेस के साथ समाजवादी पार्टी भी मुखर है। कांग्रेस के वाराणसी महानगर अध्यक्ष राघवेंद्र चौबे ने गुरुवार को छात्रों के निलंबन की निंदा की। और कहा कि अत्याचार और अन्याय के खिलाफ मुखर छात्रों पर कार्यवाही महामना की ​बगिया को कलंकित करने जैसा है। चौबे ने कहा कि एक तरफ अपराधी जो भाजपा पदाधिकारी है, वह जमानत पर रिहा हो रहा है। आरोपियों का माला फूल पहना कर स्वागत हो रहा है। वहीं, दूसरी ओर आंदोलन करने वाले छात्रों पर निलंबन की कार्यवाही हाे रही है। यह नैतिकता,मानवीय मूल्यों ,मानवता,न्याय के हनन जैसा कृत्य है। बीएचयू प्रशासन ने विरोध की आवाजों को दबाते हुए छात्रों के बीच दहशत का माहौल बनाने के लिए कार्यवाही की है। यह सीधे तौर पर अपराधियों को शह और समर्थन देना है और न्याय की मांग कर रहे लोगों को दबाने की कोशिश है। कांग्रेस पार्टी छात्रों संग न्याय के लिए खड़ी है। हम सड़क से संसद तक इस प्रकरण का विरोध करेंगे। समाजवादी पार्टी के मीडिया सेल ने ट्वीट कर कहा कि बहन—बेटियों के लिए न्याय की आवाज उठाने वाले छात्रों को निलंबित करवा रही सरकार। वाराणसी में आईआईटी बीएचयू गैंगरेप का विरोध करने वाले 13 छात्रों का निलंबन निंदनीय,भाजपा सरकार के इशारे पर वि​श्वविद्यालय की तानाशाही बेहद शर्मनाक। न्याय की आवाज उठाने वाले वाले सभी छात्रों का निलंबन हो रद्द।

गौरतलब हो कि घटना के 11 महीने बाद ​बीएचयू प्रशासन ने 13 छात्र-छात्राओं को निलंबित किया है। निलंबित छात्रों में 13 ऐसे छात्र हैं, जिन पर पहले से ही 35 से अधिक मामले दर्ज हैं। जिन छात्रों के खिलाफ निलंबन की कार्रवाही हुई है। उनमें कुछ भगत सिंह मोर्चा, आईसा और एनएसयूआई के कार्यकर्ता भी हैं। निलंबित विद्यार्थियों में 06 छात्राओं और दो छात्रों को 30 दिन के लिए विश्वविद्यालय से निलंबित कर दिया गया है। वहीं,पांच छात्रों को 15 दिन के लिए लिए निलंबित किया गया है। निलंबित छात्रों को छात्रावास, लाइब्रेरी और एचआरए की सुविधा नहीं मिलेगी। इसके अलावा निलंबित छात्रों की काउंसलिंग करने और उनसे कम्युनिटी सर्विस कराने का आदेश दिया गया है। आरोप है कि इन छात्र —छात्राओं ने गैंगरेप के आरोपियों के गिरफ्तारी की मांग में विरोध-प्रदर्शन, राजनीतिक बयानबाजी की थी। प्रदर्शन के दौरान सियासी बयानबाजी शुरू होते ही सिंह द्वार पर आइसा और एबीवीपी के छात्र भिड़ गए। दोनों छात्र संगठनाें के कार्यकर्ताओं में मारपीट भी हुई थी। मारपीट में कई छात्र घायल हुए थे। इसके बाद कुछ छात्रों को गिरफ्तार कर जेल भी भेजा गया था। छात्र संगठन एबीवीपी की तहरीर पर लंका थाने में मुकदमा दर्ज हुआ था। इसी मुकदमे के आधार पर बीएचयू ने अनुशासनात्मक कार्रवाई के लिए स्टैंडिंग कमेटी बनाई और आरोपी छात्रों के खिलाफ कड़ा कदम उठाया। निलंबित छात्रों का आरोप है कि यह कार्रवाई उन छात्रों के खिलाफ की गई है, जो मौजूदा सरकार की नीतियों से असहमति रखते हैं। परिसर में हमेशा जरूरी सवालों पर मुखर रहे हैं।

हिन्दुस्थान समाचार / श्रीधर त्रिपाठी

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