काशी में मातृशक्तियों का संगम 31 को, शामिल होंगी ममता यादव और वृशाली जोशी

काशी में मातृशक्तियों का संगम 31 को, शामिल होंगी ममता यादव और वृशाली जोशी
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काशी में मातृशक्तियों का संगम 31 को, शामिल होंगी ममता यादव और वृशाली जोशी


-आरएसएस के शताब्दी वर्ष में महिला समन्वय मातृशक्ति सम्मेलनों के लिए तैयार

वाराणसी, 29 दिसम्बर (हि.स.) राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के गठन के सौ वर्ष 2025 में पूरे वाले हैं। संघ के शताब्दी वर्ष की कालजयी और गौरवशाली यात्रा में महिला समन्वय ने भी पूरे भारत वर्ष में संघ संरचना के दृष्टिकोण से विभागवार मातृशक्ति संगम' शीर्षक से मातृशक्ति सम्मेलनों की पूरी तैयारी की है। वाराणसी में 31 दिसंबर को मातृशक्तियों का संगम काशी हिन्दू विश्वविद्यालय के स्वतंत्रता भवन सभागार में होगा।

शुक्रवार को लंका स्थित विश्व संवाद केन्द्र के सभागार में आयोजित पत्रकार वार्ता में महिला समन्वय की प्रांत संयोजिका डॉ.मंजू द्विवेदी और कार्यक्रम संयोजक काशी प्रांत डॉ आनंद प्रभा सिंह,काशी विभाग की संयोजिका डॉ.भारती मिश्रा,कार्यक्रम की सह संयोजिका प्रो.नीलम गुप्ता ने संयुक्त से यह जानकारी दी।

पदाधिकारियों ने बताया कि सभागार में एक दिवसीय कार्यक्रम तीन सत्रों में चलेगा। पहला सत्र 'भारतीय चिन्तन में महिला' और द्वितीय सत्र 'भारत के विकास में महिलाओं की भूमिका' विषय पर है। दोनों सत्रों में मुख्य वक्ता ममता यादव (राष्ट्रीय सह संयोजिका महिला समन्वय) और वृशाली जोशी( अखिल भारतीय संगठन मंत्री) रहेगी। तीसरे सत्र विश्वमांगल्य सभा में 'जागृत महिलाओं' के साथ प्रश्नोत्तरी एवं काशी में विभिन्न क्षेत्रों में समाज के लिए विशिष्ट कार्य करने वाली 12 महिलाओं को सम्मानित भी किया जायेगा। साथ ही विशिष्ट भारतीय महिलाओं (प्राचीन से अर्वाचीन तक)की एक प्रेरणादाई प्रदर्शनी लगाई जायेगी तथा हस्तनिर्मित वस्तुओं के स्टाल भी लगेंगे।

डॉ मंजू द्विवेदी ने बताया कि काशी प्रांत के सातों विभागों में से अब तक पांच में यह आयोजन हो चुका है। दो विभाग काशी एवं प्रयागराज शेष है। उन्होंने बताया कि इस सम्मेलन का उद्देश्य महिला विषयक भारतीय चिन्तन की महत्ता पर प्रकाश डालना है। जिससे प्रत्येक 'महिला' परिवार,समाज और राष्ट्र का चिंतन भारतीय दृष्टिकोंण से करे। प्रगतिशीलता के पथ पर हम भारतीय चिन्तन के साथ ही अग्रसर हों, तभी एक सुसंकृत,समृद्ध और सशक्त राष्ट्र का निर्माण सम्भव है।

वैदिक वांग्मय में कहा गया है कि 'नारी समाजस्य कुशल वास्तुकारा अस्ति' अर्थात समाज और राष्ट्र निर्माण की कुशल शिल्पी है 'नारी'। इसी भाव से प्रत्येक महिला को सोचना,समझना और कार्य करना होगा।

हिन्दुस्थान समाचार/श्रीधर/राजेश

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