ज्ञान, विज्ञान और प्रज्ञान की त्रिवेणी है भारत : प्रो. कपिलदेव मिश्र

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ज्ञान, विज्ञान और प्रज्ञान की त्रिवेणी है भारत : प्रो. कपिलदेव मिश्र


ज्ञान, विज्ञान और प्रज्ञान की त्रिवेणी है भारत : प्रो. कपिलदेव मिश्र


--इविवि में सप्तदिवसीय संकाय विकास कार्यक्रम ‘भारतीय ज्ञान परम्परा’ का समापन

प्रयागराज, 07 दिसम्बर (हि.स.)। विश्वविद्यालय अनुदान आयोग-मालवीय मिशन शिक्षक प्रशिक्षण केंद्र, इलाहाबाद विश्वविद्यालय द्वारा आयोजित सप्त दिवसीय संकाय विकास कार्यक्रम भारतीय ज्ञान परम्परा का समापन रविवार को हुआ।

मुख्य वक्ता रानी दुर्गावती विश्वविद्यालय, जबलपुर के कुलपति प्रो. कपिलदेव मिश्र ने भारतीय ज्ञान परम्परा का वैश्विक परिप्रेक्ष्य एवं समकालीन शिक्षा में उसकी उपयोगिता विषय पर कहा कि सनातन काल से ही भारत ज्ञान का उपासक रहा है। भारत अर्थात् जो ज्ञान रूपी प्रकाश से रत है। इस ज्ञान का उल्लेख संस्कृत साहित्य में विद्या और अविद्या या परा और अपरा के रूप में मिलता है। प्राचीन काल में भारत का समाज केवल ज्ञान प्रधान नहीं अपितु आचरण और चरित्र प्रधान भी था। इसीलिए आचरण और चरित्र के कारण राम पूजनीय हैं। भारतीय ज्ञान व्यक्ति के चरित्र का निर्माण करता है।

उन्होंने कहा कि एक शिक्षक चाणक्य ने सामान्य बालक को भी राजा बना दिया, नरेंद्र को स्वामी विवेकानंद बना दिया, यह उस ज्ञान का ही प्रभाव है। भारतीय शिक्षा नीति का उद्देश्य भी यही है। समाज में संतुलन बनाने का आधार भी भारतीय ज्ञान ही है। हमें वर्तमान स्थितियों को देखते हुए केवल वक्तृत्व से नहीं अपितु कर्तृत्व से भी परिवर्तन करना होगा। आज के समय में भारतीय ज्ञान प्रणाली को पुनः मुख्यधारा में लाना शिक्षा संस्थानों की प्राथमिक आवश्यकता है।

मालवीय मिशन शिक्षक प्रशिक्षण केंद्र, इविवि निदेशक प्रो. प्रकाश जोशी ने कार्यक्रम से पूर्व अपना आशीर्वाद और शुभकामनाएं प्रेषित की। भारतीय ज्ञान परम्परा सप्त दिवसीय संकाय विकास कार्यक्रम के समन्वयक डॉ विकास शर्मा (सहायक आचार्य, संस्कृत विभाग, इविवि) ने समापन सत्र का सम्यक संचालन भी किया। उन्होंने बताया कि संकाय विकास कार्यक्रम का उद्देश्य भारतीय ज्ञान परम्परा, दर्शन, भाषा शास्त्र, कला, आयुर्वेद, विज्ञान एवं सांस्कृतिक विरासत से जुड़े मूलभूत सिद्धांतों को आधुनिक संदर्भों में समझाना एवं उच्च शिक्षण संस्थानों में भारतीय दृष्टिकोण आधारित शिक्षण को प्रोत्साहित करना था। यह कार्यक्रम भारतीय ज्ञान परम्परा के विविध आयामों को समझने में महत्वपूर्ण सिद्ध हुआ।

इविवि की पीआरओ प्रो जया कपूर ने बताया कि सम्पूर्ण भारत के विविध विश्वविद्यालयों एवं महाविद्यालयों से 146 शिक्षकों ने प्रतिभागिता किया और इस भारतीय ज्ञान परम्परा में विभिन्न विषयों के विशेषज्ञ आचार्यों के द्वारा व्याख्यान दिए गए। धन्यवाद ज्ञापन एवं कल्याण मन्त्र के साथ इस संकाय विकास कार्यक्रम का समापन किया गया।

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हिन्दुस्थान समाचार / विद्याकांत मिश्र

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