ग्यारह दिवसीय प्रयागराज पुस्तक मेला का समापन, लगभग 40 लाख रुपये के पुस्तकों की बिक्री

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ग्यारह दिवसीय प्रयागराज पुस्तक मेला का समापन, लगभग 40 लाख रुपये के पुस्तकों की बिक्री


प्रयागराज, 28 दिसम्बर (हि.स.)। शहर के कटरा स्थित द पाम्स रिसोर्ट-रॉयल गार्डन में आयोजित ग्यारह दिवसीय प्रयागराज पुस्तक मेला रविवार को भव्य सफलता के साथ सम्पन्न हुआ। डिजिटल युग के इस दौर में भी पुस्तक संस्कृति की जीवंतता और पाठकों के बीच पुस्तकों के प्रति गहरी रुचि मेले में स्पष्ट रूप से दिखाई पड़ी। अवकाश तथा मेले का अंतिम दिन होने के कारण बड़ी संख्या में पुस्तक प्रेमी मेले में पहुंचे, जिससे स्टॉलों पर दिन भर रौनक बनी रही।

आयोजकों के अनुसार, अंतिम दिन पुस्तक प्रेमियों की अपार भीड़ उमड़ी और देश के विभिन्न शहरों से आए प्रकाशकों ने उत्साहजनक बिक्री दर्ज की। मेले के दौरान लगभग 40 लाख रुपये मूल्य की पुस्तकों की बिक्री हुई, जो इस बात का प्रमाण है कि डिजिटल माध्यमों के बढ़ते प्रभाव के बावजूद पाठकों का विश्वास आज भी मुद्रित पुस्तकों पर बना हुआ है।

मेले में राजकमल प्रकाशन, लोकभारती प्रकाशन, वाणी प्रकाशन, राजपाल एंड संस, भारतीय ज्ञानपीठ, सस्ता साहित्य मंडल, प्रकाशन विभागदृभारत सरकार, साहित्य भंडार, प्रकाशन संस्थान, अनबाउंड स्क्रिप्ट, बुकवाला, सम्यक प्रकाशन, हिंद युग्म, दिव्यांश प्रकाशन, शिल्पायन, गर्ग ब्रदर्स, दीक्षा स्टेशनरी, इंडिगो बुक्स, दिनकर पुस्तकालय, योगदा सतसंग, रितेश बुक एजेंसी, अदित्री बुक एजेंसी, बीइंग बुकिश, किताब पढ़ो, रामकृष्ण मठ, श्री कबीर ज्ञान प्रकाशन केंद्र (गिरिडीह) सहित अनेक प्रतिष्ठित प्रकाशकों ने अपने-अपने स्टॉल लगाए थे।

मेले की सफलता से उत्साहित आयोजक मनोज सिंह चंदेल ने बताया कि इस वर्ष मेले की थीम “विज़न 2047 : विकसित भारत - विकसित प्रदेश” रखी गई थी। जिसका उद्देश्य भारत की स्वतंत्रता के शताब्दी वर्ष तक सर्वसुलभ ज्ञान, शिक्षा और साक्षरता को बढ़ावा देना रहा। उन्होंने कहा कि डिजिटल प्रकाशन के बढ़ते चलन के बावजूद मुद्रित पुस्तकों के प्रति पाठकों का उत्साह यह स्पष्ट करता है कि समाज में आज भी किताबों के प्रति प्रेम और भरोसा कायम है।

सह आयोजक मनीष गर्ग ने बताया कि 18 से 28 दिसम्बर तक चले इस पुस्तक मेले को न केवल प्रयागराज, बल्कि आसपास के अन्य जिलों के पाठकों का भी भरपूर स्नेह मिला। प्रतिदिन बड़ी संख्या में पाठकों की उपस्थिति दर्ज की गई। उन्होंने कहा कि यह आयोजन केवल पुस्तकों की बिक्री तक सीमित नहीं रहा, बल्कि साहित्यिक संवाद, सांस्कृतिक विविधता और ज्ञान के आदान-प्रदान का एक सशक्त मंच भी बना। सांस्कृतिक मंच पर पुस्तक विमोचन, परिचर्चाएं, ‘लेखक से मिलिए’, कवि सम्मेलन तथा बच्चों के लिए निबंध प्रतियोगिता सहित अनेक कार्यक्रम आयोजित किए गए। समापन दिवस पर भी साहित्यिक गतिविधियां पूरे उत्साह और गरिमा के साथ सम्पन्न हुईं।

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हिन्दुस्थान समाचार / विद्याकांत मिश्र

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