अवसाद से बचने के लिए संवाद जरूरी : आनंद चौबे
बुविवि ने आयोजित किया मानसिक स्वास्थ्य और जीवन कौशल पर संवेदीकरण कार्यशाला
झांसी, 07 फरवरी (हि. स.)। मनुष्य का मन बहुत चंचल होता है और हमेशा किसी न किसी विषय में सोचता रहता है। कई बार हमें खुशी होती है तो कई बार निराशा भी महसूस होती है। निराशा हमें अवसाद की ओर जाती है जो हमारे लिए बहुत ही खतरनाक हो सकती है। इससे बचने के लिए यह जरूरी है कि हम आपस में बातचीत करें और अपने सुख दुख को एक दूसरे के साथ सांझा करें। यह विचार आज मंडलीय परियोजना इकाई झांसी के निदेशक डा. आनंद चौबे ने बुन्देलखण्ड विश्वविद्यालय द्वारा आयोजित मानसिक स्वास्थ्य एवं जीवन कौशल संवेदीकरण कार्यशाला को संबोधित करते हुए व्यक्त किया।
उल्लेखनीय है कि आज राष्ट्रीय सेवा योजना अंतर्गत संचालित राज्य परिवार नियोजन सेवा अभिनवीकरण परियोजना एजेंसी (सिफ्सा) द्वारा वित्त पोषित मानसिक स्वास्थ्य और जीवन कौशल परियोजना के तहत आज एक दिवसीय 18वें संवेदीकरण कार्यशाला का आयोजन किया गया। इसका उद्देश्य विद्यार्थियों को मानसिक रूप से सशक्त बनाने के साथ ही जीवन कौशल का विकास करना है। बुन्देलखण्ड विश्वविद्यालय सिफ्सा इकाई की नोडल अधिकारी सिफ्सा डा. श्वेता पाण्डेय ने बताया कि विगत वर्ष से अभी तक 18 संवेदीकरण कार्यशालाओं का आयोजन विश्वविद्यालय के अलग अलग विभागों में किया गया है जिसमें विद्यार्थी अपने विचारों को सांझा करने के साथ ही उन्हें मानसिक स्वास्थ्य देखभाल के तरीके, कानून, पहचान एवं अन्य विषयों के बारे में जागरूक किया गया है। उन्होंने कहा कि विश्वविद्यालय में सिफ्सा और मानसिक स्वास्थ्य के अंतर्गत मनकक्ष की स्थापना की गई है जहां कोई भी विद्यार्थी आकर बात कर सकता है।
इस अवसर पर ललित कला संस्थान के शिक्षक गजेन्द्र सिंह ने कहा कि कई बार विद्यार्थी संकोचवश अपनी बात अपने मित्रों या शिक्षकों से नहीं कहते हैं और परेशान होते रहते हैं। उन्होंने कहा कि जब भी कोई समस्या हो तो विद्यार्थियों को अपने शिक्षकों से खुलकर बात करनी चाहिए। इससे कोई न कोई समाधान समस्या का जरूर निकल आता है।
इस अवसर पर प्रतिभागियों को मानसिक स्वास्थ्य देखभाल विधेयक, मानसिक रोग की पहचान, मानसिक रूप से अक्षम व्यक्ति के अधिकार, मानसिक स्वास्थ्य के लिए टोल फ्री नम्बर एवं जिला मानसिक स्वास्थ्य कार्यक्रम के बारे में विस्तार से जानकारी दी गई।
हिन्दुस्थान समाचार/महेश/बृजनंदन
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