पुनश्चर्या पाठ्यक्रम से विद्वानों में नवीनता तथा सजीवता का संचार : प्रो. राम सेवक दूबे

पुनश्चर्या पाठ्यक्रम से विद्वानों में नवीनता तथा सजीवता का संचार : प्रो. राम सेवक दूबे
WhatsApp Channel Join Now
पुनश्चर्या पाठ्यक्रम से विद्वानों में नवीनता तथा सजीवता का संचार : प्रो. राम सेवक दूबे


--इविवि में पुनश्चर्या पाठ्यक्रम का समापन समारोह

प्रयागराज, 28 दिसम्बर (हि.स.)। जगद्गुरु रामानंदाचार्य राजस्थान संस्कृत विश्वविद्यालय के कुलपति तथा इविवि के पूर्व संस्कृत विभागाध्यक्ष प्रो.रामसेवक दुबे ने कहा कि विश्वविद्यालय द्वारा आयोजित पुनश्चर्या पाठ्यक्रम के माध्यम से विद्वानों के अध्ययन-अध्यापन में नवीनता तथा सजीवता का संचार होता है। यह कार्यक्रम उच्च लक्ष्य को प्राप्त होगा।

इलाहाबाद विश्वविद्यालय की कुलपति प्रोफेसर संगीता श्रीवास्तव के संरक्षकत्व में मालवीय मिशन शिक्षक प्रशिक्षण केंद्र एवं संस्कृत, पालि, प्राकृत एवं प्राच्य भाषा विभाग के संयुक्त तत्वावधान में 15 से 28 दिसम्बर तक ऑनलाइन पुनश्चर्या पाठ्यक्रम (संस्कृत शिक्षण) का वृहस्पतिवार को समापन हुआ।

इस अवसर पर मालवीय मिशन शिक्षण प्रशिक्षण केंद्र (एचआरडीसी) इलाहाबाद विश्वविद्यालय के कोऑर्डिनेटर प्रो.आशीष सक्सेना ने सम्पूर्ण व्याख्यानों को ज्ञानवर्धक बताते हुए सराहना व्यक्त की। पुनश्चर्या पाठ्यक्रम के संयोजक तथा संस्कृत विभाग इविवि के समन्वयक प्रो. प्रयाग नारायण मिश्र ने कहा कि इस पुनश्चर्या पाठ्यक्रम में प्रतिदिन देश भर के श्रेष्ठ विद्वानों के विभिन्न विषयों पर आमंत्रित व्याख्यान हुए। विभिन्न दिवसों में देश के प्रतिष्ठित संस्कृत विद्वानों के विभिन्न विभागों साहित्य, दर्शन, वेद, ज्योतिष, व्याकरण, भाषा विज्ञान आदि से सम्बंधित विषयों पर व्याख्यान आयोजित हुए। इन विद्वानों में प्रो. संतोष कुमार शुक्ल, प्रो.ओमप्रकाश पांडे, प्रो.रामनाथ झा, प्रो.रहस बिहारी द्विवेदी, प्रो.सुदीप जैन, प्रो.ललित त्रिपाठी, प्रो.गिरीश चंद्र पंत, डॉ बलदेवानंद सागर, प्रो.रमाकांत पांडे, प्रो. राधावल्लभ त्रिपाठी सहित अनेक अनेक मूर्धन्य विद्वानों ने व्याख्यान प्रस्तुत किये।

लाल बहादुर शास्त्री राष्ट्रीय संस्कृत विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो.मुरली मनोहर पाठक ने श्रीमद्भागवत महापुराण में भक्ति को परिभाषित करते हुए कहा कि भक्ति के माध्यम से ज्ञान एवं वैराग्य दोनों तत्वों की प्राप्ति होती है। संचालन करते हुए कार्यक्रम के सह समन्वयक एवं संस्कृत विभाग के आचार्य प्रो.अनिल प्रताप गिरि ने धन्यवाद ज्ञापन किया।

इस अवसर पर संस्कृत विभाग इविवि के सहायक आचार्य डॉ तेज प्रकाश, डॉ प्रचेतस्, डॉ अनिल कुमार सहित देश भर के अनेक विश्वविद्यालयों, महाविद्यालयों तथा संस्थानों के विद्वान उपस्थित रहे।

हिन्दुस्थान समाचार/विद्या कान्त/पदुम नारायण

हमारे टेलीग्राम ग्रुप को ज्‍वाइन करने के लि‍ये  यहां क्‍लि‍क करें, साथ ही लेटेस्‍ट हि‍न्‍दी खबर और वाराणसी से जुड़ी जानकारी के लि‍ये हमारा ऐप डाउनलोड करने के लि‍ये  यहां क्लिक करें।

Share this story