चित्र- विचित्र के भजनों के साथ हुआ दीनदयाल धाम मेला का समापन

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चित्र- विचित्र के भजनों के साथ हुआ दीनदयाल धाम मेला का समापन


मथुरा, 03 सितम्बर(हि.स.)। बुधवार देरसायं को भजन संध्या में चित्र- विचित्र महाराज के भजन गायन से फरह कस्बा स्थित दीनदयाल धाम मेला में भक्ति की धारा बह निकली। श्रोता भजनों पर मंत्र मुग्ध होकर झूमते रहे। इस भक्ति धारा के साथ ही पं. दीनदयाल उपाध्याय के चार दिवसीय जन्मोत्सव मेला का समापन हो गया।

लोक कला और लोक संस्कृति को समर्पित चार दिनी जन्मोत्सव मेला में इस बार चारों दिन जहां एक ओर आध्यात्म की गंगा वहीं तो दूसरी ओर आज के ज्वलंत विषयों वायु प्रदूषण, पर्यावरण, भूमि और जल संरक्षण पर चर्चा करवाकर जनसामान्य खासकर ग्रामीण परिवेश में पर्यावरण संरक्षण की अलख जगाई गई। भारतीय समाज से विलुप्त हो रहीं भारत की प्राचीन विधा जिकड़ी भजन, रसिया दंगल, लोक गायन और लोक नृत्य को विभिन्न सांस्कृतिक कार्यक्रमों के माध्यम से युवाओं जोड़ते हुए पुनर्जीवित करने का महती प्रयास मेला के माध्यम से हुआ। सांस्कृतिक कार्यक्रमों लोक गायन, बधाई गीत और नौबत के माध्यम से जहां ग्रामीण महिलाओं को मंच के माध्यम से अपनी-अपनी प्रतिभाओं को दिखाने का अवसर मिला। तो वहीं दूसरी ओर राष्ट्र निर्माण में मातृ शक्ति की भूमिका विषय पर गोष्ठी करवाकर नारी सशक्तिकरण को आगे बढ़ाया। कवि सम्मेलन भी युवाओं में राष्ट्रवाद की भावना भरने में भी सफल रहा। जहां एक ओर हवन, संकीर्तन, सुंदर कांड पाठ, भजन और अध्यात्मिक प्रवचन सभा से मेला में अध्यात्म की गंगा बहती रही तो दूसरी ओर गौ पूजन कार्यक्रम से लोगों को गौ पालन और गौ सेवा के लिए प्रेरित किया गया।

मेला में जहां संस्कारों की सरिता वही तो संस्कृति, कृषि और गांव संवर्धन की झलक भी दिखाई दी। चार दिनी मेला के दौरान लगभग एक लाख से अधिक लोगों ने मेले का आनंद लिया। दानाखेगा निवासी क्षेत्रपाल शर्मा को जल सेवा देने के लिए समिति द्वारा मंच से सम्मानित किया गया।

मेला के आखिरी दिन की शाम चित्र- विचित्र के भजनों पर झूमती रही और श्रद्धालु तालिया बजाते हुए भजनों का आनंद लेते रहे। भजन गायन गायक चित्र- विचित्र की जोड़ी ने ने भजनों की ऐसी तान छेड़ी कि दीनदयाल धाम झूम उठा। कजरारे मोटे-मोटे तेरे नैन.... और सामरे को दिल में बसा कर तो देखो.... भजन की प्रस्तुति पर समूचा मेला पंडाल तालिया की गड़गड़ा से गूंज उठा। करतल ध्वनि के साथ राधे-राधे... के स्वर और मेरी विनती यही है राधा रानी.... भजन पर श्रद्धालु पुलकित हो गए। मेला का सम्पूर्ण वातावरण राधा की भक्ति में डूबता नजर आया। भजन संध्या के दौरान चित्र- विचित्र की जोड़ी ने साज के साथ चलो रे मन वृंदावन धाम रहेंगे... राधा- राधा नाम सुनाया तो माहौल वृंदावन जैसा हो गया। चित्र-विचित्र की जोड़ी के भजनों पर पंडाल तालिया और राधे-राधे की गूंज से महकता रहा और मेला का वातावरण भक्तिमय हो गया।

भजन संध्या का शुभारंभ मेला समिति अध्यक्ष सोहनलाल शर्मा मंत्री, मनीष अग्रवाल कोषाध्यक्ष नरेंद्र पाठक और प्रचारक डॉ दिनेश ने किया। कार्यक्रम संयोजक आशीष माहेश्वरी, पंकज शर्मा, मुरलीधर शर्मा, पी पी शर्मा द्वारा गायकों को स्मृति चिन्ह भेंट कर सम्मानित किया गया।

इस अवसर पर निदेशक सोनपाल, अवधेश उपाध्याय, मुकेश शर्मा, महिपाल सिंह, जगमोहन पाठक, अशोक शर्मा, विक्रम चंद दुबे आदि मुख्य रुप मे उपस्थित रहे।

हिन्दुस्थान समाचार / महेश कुमार

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