अंतरराष्ट्रीय बाजार में छाएगा रसायनमुक्त आम, निर्यात हब बनेगा उप्र : डा. एसएन सुशील
- कम लागत में आईपीएम विधि से आम का बढ़ेगा उत्पादन, आय होगी दोगुनी
- आम की फसल में आईपीएम पर दीर्घकालीन प्रशिक्षण का समापन
लखनऊ, 01 फरवरी (हि.स.)। जहां अंतरराष्ट्रीय बाजार में रसायनयुक्त आम छाएगा, वहीं उत्तर प्रदेश निर्यात का हब बनेगा। यह बातें गुरुवार को केंद्र सरकार के संयुक्त निदेशक डॉ. ज्ञानप्रकाश सिंह ने कही।
भारत सरकार के कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय, वनस्पति संरक्षण, संगरोध एवं संग्रह निदेशालय के उप कार्यालय क्षेत्रीय केंद्रीय एकीकृत नाशीजीव प्रबंधन केंद्र में गुरुवार को आम की फसल में आईपीएम पर दीर्घकालीन प्रशिक्षण कार्यक्रम का समापन हुआ।
आम की फसलों में रासायनिक कीटनाशकों के अंधाधुंध उपयोग से दुष्परिणामों को रोकने एवं रासायनिक कीटनाशी के प्रयोग के विकल्प के रूप में आईपीएम विधि को किसानों तक पहुंचाने के लिए राज्य कृषि रक्षा विभाग, उद्यान विभाग व कृषि विपणन एवं कृषि विदेश व्यापार निदेशालय के अधिकारियों को एकीकृत नाशीजीव प्रबंधन पर प्रशिक्षित किया गया।
केंद्र सरकार के संयुक्त निदेशक डॉ. ज्ञानप्रकाश सिंह ने कहा कि आईपीएम को बढ़ावा दें और कम लागत के साथ गुणवत्तायुक्त कृषि उत्पाद प्राप्त करें।
मुख्य अतिथि राष्ट्रीय कृषि कीट संसाधन ब्यूरो बेंगलुरु के निदेशक डा. एसएन सुशील ने 30 दिवसीय प्रशिक्षण के समापन पर कहा कि आम की फसल में रासायनिक कीटनाशकों का प्रयोग पर्यावरण के लिए बेहद नुकसानदायक है। रासायनिक कीटनाशकों के अवशेष आम के फलों में होने की वजह से उत्तर प्रदेश से आम के निर्यात में बाधा उत्पन्न हो रही है।
उन्होंने कहा कि आम को फल मक्खी कीट के प्रकोप से बचाने तथा निर्यातोन्मुखी गुणवत्तायुक्त आम के उत्पादन में आईपीएम विधि अत्यंत उपयोगी साबित होगा। कहा कि बगैर रसायन के उत्पादित आम का राष्ट्रीय एवं अंतरराष्ट्रीय बाजारों में अधिक मूल्य प्राप्त होता है। ऐसे में सभी प्रसार कार्यकर्ता आम के बागों में ही कीड़े-बीमारियों का प्रबंधन इस स्तर पर करें कि निर्यात को बढ़ावा मिल सके।
विशिष्ट अतिथि कृषि रक्षा निदेशक टीपी चौधरी ने बताया कि इंटीग्रेटेड पेस्ट मैनेजमेंट (आईपीएम) ही एकमात्र विकल्प है, जो रासायनिक कीटनाशकों के अनुचित उपयोग को कम कर सकता है। प्रदेश के सभी जनपदों में आईपीएम के अंतर्गत आने वाले विभिन्न प्रकार के ट्रैप्स तथा जैविक कीटनाशकों की उपलब्धता सुनिश्चित करने के लिए कृषि विभाग प्रयासरत है।
उन्होंने विभिन्न जनपदों से आए तकनीकी अधिकारियों से कहा कि आप सभी प्रशिक्षु प्रशिक्षण के उपरांत मास्टर ट्रेनर हो जाएंगे। ऐसे में आईपीएम अपनाने के लिए किसानों को प्रेरित करें तो उत्पादन के साथ आम निर्यात में भी सफलता मिलेगी।
उद्यान एवं खाद्य प्रसंस्करण के संयुक्त निदेशक डा. विजय बहादुर द्विवेदी ने कहा कि समस्त अधिकारी आईपीएम अपनाने के लिए किसानों को प्रेरित करें। यदि जरूरत पड़े तो केंद्रीय कीटनाशी बोर्ड एवं पंजीकरण समिति द्वारा संस्तुत रासायनिक कीटनाशक ही अंतिम विकल्प के तौर पर उपयोग में लाएं। कार्यक्रम का संचालन सहायक वनस्पति संरक्षण अधिकारी अमित सिंह ने किया। आरसीआईपीएमसी द्वारा संचालित आईपीएम से संबंधित विभिन्न प्रकार की प्रयोगशालाओं का भ्रमण कर सराहना की गई।
हिन्दुस्थान समाचार/कमलेश्वर शरण
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