धौरहरा--भाजपा के सामने किला बचाने की चुनौतीबसपा से ब्राह्मण प्रत्याशी का नाम घोषित होने से रोचक मुकाबले के आसार!

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धौरहरा--भाजपा के सामने किला बचाने की चुनौतीबसपा से ब्राह्मण प्रत्याशी का नाम घोषित होने से रोचक मुकाबले के आसार!


भाजपा के सामने दुर्ग बचाने की चुनौती तो सपा में खाता खोलने की छटपटाहट

सीतापुर,12 अप्रैल (हि.स.)। करीब डेढ़ दशक पूर्व अस्तित्व में आई धौरहरा संसदीय सीट पर इस बार का चुनाव बेहद रोचक होने जा रहा है। यहां भाजपा के सामने अपना दुर्ग बचाने की चुनौती है, तो सपा में खाता खोलने की छटपटाहट भी है। वर्तमान में इस सीट पर 2014 से भाजपा का कब्जा है, और मौजूदा सांसद और भाजपा की राष्टीय राजनीति में सक्रिय रेखा वर्मा एक बार फिर से जीत की हैट्रिक बनाने के लिए चुनाव मैदान में हैं। उनके चुनावी कार्यालयों के उद्घाटन शुरू हो गए हैं,जनसंपर्क भी जारी है तो वहीं समाजवादी पार्टी ने इस सीट से अपने पूर्व प्रत्याशी आनंद भदौदिया को और बसपा ने श्याम किशोर अवस्थी को अपना प्रत्याशी घोषित कर चुनाव मैदान में उतारा है।

सनद रहे कि बसपा प्रत्याशी श्याम किशोर अवस्थी अभी कुछ माह पहले तक सांसद रेखा वर्मा के करीबियों में गिने जाते थे। बीते लोकसभा के चुनावों में उन्होंने रेखा वर्मा के समर्थन में वोट जुटाने का काम भी किया था। ब्राम्हण और कुर्मी मतदाताओं के बीच इनकी गहरी पैठ है। ऐसे में इस सीट पर अब रोचक मुकाबले के आसार बन गए हैं।

धौरहरा संसदीय सीट पर करीब 17.70 लाख मतदाता हैं। जिनमें अनुमानित 4.5 लाख से अधिक कुर्मी बिरादरी के मतदाता हैं। ऐसे में इस सीट से भाजपा ने एक बार फिर पुराने चेहरे और मौजूदा सांसद रेखा वर्मा पर दांव लगाया है। वह वर्ष 2014 और 2019 के लोक सभा चुनाव में इस सीट से भाजपा के टिकट पर चुनाव जीतने में सफल भी रहीं थीं।

भाजपा प्रत्याशी से लगातार 2 चुनाव हारे जितिन प्रसाद अब भाजपा में

वर्ष 2008 के परिसीमन के बाद धौरहरा लोकसभा सीट का अस्तित्व सामने आया। इस सीट पर पहली बार वर्ष 2009 हुए चुनाव में कांग्रेस के जितिन प्रसाद ने जीत दर्ज की। लेकिन वर्ष 2014 की मोदी लहर में भाजपा की रेखा वर्मा ने कांग्रेस के जितिन प्रसाद से यह सीट छीनकर केसरिया पताका फहराई। कांग्रेस के जितिन प्रसाद को 1,70,994 मत पाकर चौथे स्थान से ही संतोष करना पड़ा। जबकि बसपा के दाउद अहमद 2,34,682 मत पाकर दूसरे, सपा के आनंद भदौरिया 2,34,032 पाकर तीसरे स्थान पर रहे थे। वर्ष 2019 के चुनाव में सपा-बसपा गठबंधन के चलते यह सीट बसपा के खाते में गई थी। जिससे आनंद भदौरिया चुनाव मैदान से बाहर रहे थे, इस बार वह सपा प्रत्याशी के तौर पर क्षेत्र में अपनी उपस्थिति लगातार दर्ज कराए हुए हैं।

वर्ष 2014 के चुनाव में बसपा के दाउद अहमद को 2,34,682 मत मिले थे। वर्ष 2019 में सपा-बसपा गठबंधन में बसपा के अरशद इलियास सिद्दीकी को 3,52,294 मत मिले थे। इन दोनों चुनावों में दूसरे स्थान पर रहने वाली बसपा इस बार खाता खोलने को बेताब है। बसपा द्वारा ब्राह्मण प्रत्याशी घोषित किए जाने पर अब मुकाबले में रोचकता की संभावना नजर आ रही है। वहीं बदले राजनीतिक माहौल में जितिन प्रसाद अब भाजपा के साथ है और उत्तर प्रदेश सरकार में लोक निर्माण मंत्री भी है,तथा वर्तमान में पार्टी ने उन्हें पीलीभीत से लोकसभा प्रत्याशी घोषित किया है।

ऐसा रहा था वर्ष 2019 का चुनाव परिणाम -

प्रत्याशी ---- दल ---- प्राप्त मत

रेखा वर्मा ---भाजपा ----5,12,905

अरशद सिद्दीकी - बसपा ---- 3,52,294

जितिन प्रसाद --- कांग्रेस --- 1,62,856

मलखान सिंह ---- पीएसपी ---- 4,288

हिन्दुस्थान समाचार/महेश शर्मा/सीतापुर/बृजनंदन

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