बदलते तापमान व कोहरे से फसलों में कीट व रोगों का खतरा, कृषक बरतें सावधानी : मृदा वैज्ञानिक
कानपुर, 21 दिसम्बर (हि. स.)। उत्तर प्रदेश के कानपुर जनपद में कम्पनी बाग़ स्थित चंद्रशेखर आजाद कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय के अधीन संचालित कृषि विज्ञान केंद्र दिलीप नगर के मृदा वैज्ञानिक डॉ खलील खान ने रविवार को फसलों को बचाने के लिए सलाह दी है।
डॉ खलील खान ने बताया कि आने वाले दिनों में मौसम को लेकर क्षेत्र में घने कोहरे की संभावना जताई है। उन्होंने बताया कि बदलते तापमान व कोहरे से फसलों में कीट व रोगों का खतरा हो सकता हैं। इससे किसानों को सतर्क रहना चाहिए। गेहूं की बुवाई के 20-30 दिन के मध्य पहली सिंचाई के बाद पौधों में जिंक की कमी के लक्षण दिखें तो पांच किग्रा जिंक सल्फेट तथा 16 किग्रा यूरिया को 800 लीटर पानी में घोलकर प्रति हेक्टेयर छिड़काव करें।
डॉ खान ने बताया कि संकरी पत्ती व चौड़ी पत्ती के खरपतवारों के एक साथ नियंत्रण के लिए सल्फोसल्फ्यूरान 75 प्रतिशत व मेटासल्फ्यूरॉन मेथाइल पांच प्रतिशत डब्लूजी 40 ग्राम (2.5 यूनिट) 1250 मिली सर्फेक्टेंट प्रति हेक्टेयर छिड़काव करें या फिर मेट्रीब्यूजिन 70 प्रतिशत डब्लूपी की 250 से 300 ग्राम मात्रा को 500 से 600 लीटर पानी में घोलकर प्रति हेक्टेयर की दर से फ्लैटफैननॉजिल से प्रथम सिंचाई के बाद खेत में ओट आने पर छिड़काव करें। राई, सरसों में नत्रजन की टॉप ड्रेसिंग करें, नमी कम होने पर हल्की सिंचाई करें। लीफ माइनर के नियंत्रण के लिए डाईमेथोएट 30 प्रतिशत ईसी 650 मिली प्रति हेक्टेयर या कार्बोफ्यूरान तीन प्रतिशत सीजी 66 ग्राम प्रति हेक्टेयर की दर से 300 लीटर पानी में घोलकर छिड़काव करें। चने में कटुआ कीट के नियंत्रण को क्लोरपाइरीफास 20 प्रतिशत ईसी की 2.5 लीटर मात्रा को 500 से 600 लीटर पानी में घोलकर प्रति हेक्टयर की दर से छिड़काव करें।
उन्होंने कहा कि खेत में जगह जगह सूखी घास के छोटे-छोटे ढेर को रख देने से दिन में कटुआ कीट की सूड़िया छिप जाती हैं, इसे सुबह समय में एकत्र कर नष्ट कर देना चाहिए। टमाटर, मिर्च फसल में विषाणु रोग का प्रकोप अधिक हो तो इसका फैलाव रोकने के लिए डाईमिथोएट या इमिडाक्लोप्रिड एक मिली को प्रति लीटर पानी में घोल बनाकर छिड़काव करें।
हिन्दुस्थान समाचार / मो0 महमूद

