चंद्रयान-3 नई प्रौद्योगिकी विकसित करने में निभा रहा महत्वपूर्ण भूमिका: डॉ रितु करिधल

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चंद्रयान-3 नई प्रौद्योगिकी विकसित करने में निभा रहा महत्वपूर्ण भूमिका: डॉ रितु करिधल


5वें इण्डियन मैटेरियल्स कॉन्क्लेव में शामिल हुई इसरो की वरिष्ठ वैज्ञानिक

वाराणसी, 13 दिसम्बर (हि.स.)। भारतीय अंतरिक्ष अनुंसधान संगठन (इसरो) की वरिष्ठ वैज्ञानिक और चंद्रयान-3 मिशन की महत्वपूर्ण अंग रही डॉ रितु करिधल ने कहा कि चंद्रयान-3 में एक स्वदेशी लैंडर मॉड्यूल (एलएम), प्रोपल्शन मॉड्यूल (पीएम) और एक रोवर शामिल है, जिसका उद्देश्य अंतर ग्रहीय मिशनों के लिए आवश्यक नई प्रौद्योगिकियों को विकसित करना और प्रदर्शित करना है।

डॉ रितु मंगलवार को भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (काशी हिन्दू विश्वविद्यालय) स्थित स्कूल ऑफ मैटेरियल्स साइंस एंड टेक्नोलॉजी में आयोजित चार दिवसीय मैटेरियल्स रिसर्च सोसाइटी ऑफ इंडिया की 34वीं वार्षिक आम सभा की बैठक और 5वें इण्डियन मैटेरियल्स कॉन्क्लेव को सम्बोधित कर रही थीं। डॉ रितु ने कहा कि लैंडर में एक निर्दिष्ट चंद्र स्थल पर सॉफ्ट लैंडिंग करने और रोवर को तैनात करने की क्षमता है, जो अपनी गतिशीलता के दौरान चंद्र सतह का इन-सीटू रासायनिक विश्लेषण का कार्य कर रहा है।

गौरतलब हो कि डॉ रितु ने मार्स ऑर्बिटर मिशन को साकार करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है, जिसने अपने पहले ही प्रयास में मंगल ग्रह पर पहुंचने वाला पहला मिशन होने का इतिहास रचा। वह चंद्रयान-2 की मिशन निदेशक और चंद्रयान-3 टीम का अभिन्न अंग भी हैं। कार्यक्रम में संस्थान के निदेशक प्रो. प्रमोद कुमार जैन, मैटेरियल्स रिसर्च सोसाइटी ऑफ इंडिया के अध्यक्ष प्रो. एस.बी. कृपानिधि, सचिव प्रो. अनिल कुमार ने भी विचार प्रकट किया।

मंचासीन अतिथियों में विभाग की तरफ से एसोसिएट प्रोफेसर डॉ चंदना रथ, एसोसिएट प्रोफेसर डॉ अखिलेश कुमार सिंह रहे। सम्मेलन में प्रोफेसर डी.डी. शर्मा (आईआईएससी बैंगलोर), प्रोफेसर हरि श्रीकांत, यूनिवर्सिटी ऑफ साउथ फ्लोरिडा,आईआईटी भिलाई के निदेशक प्रोफेसर राजीव प्रकाश की खास उपस्थिति रही।

कार्यक्रम संयोजक डॉ चंदना रथ ने बताया कि इस आयोजन में देश और दुनिया से 120 वक्ताओं सहित 600 प्रतिभागी हिस्सा ले रहे हैं। कार्यक्रम में पोस्टर प्रदर्शनी का आयोजन किया गया। कार्यक्रम में 11 ट्रेंडिंग थीम शामिल हैं, जिनमें सेंसर के लिए इलेक्ट्रॉनिक पदार्थ, न्यूरोमॉर्फिक डिवाइस, इलेक्ट्रिकल, फोटोनिक पदार्थ और उपकरण, चुंबकीय, स्पिनट्रॉनिक्स और सुपरकंडक्टिंग पदार्थ, ऊर्जा और पर्यावरण के लिए पदार्थ, कम्प्यूटेशनल पदार्थ विज्ञान और इसके अनुप्रयोग, ग्लास, सिरेमिक और इसके अनुप्रयोग शामिल हैं। इसके अलावा बायोमटेरियल्स, आयन मैटर इंटरैक्शन और उसके अनुप्रयोग, संरचित पदार्थ और मिश्र धातु, क्वांटम पदार्थ और अनुप्रयोग भी शामिल है। उन्होंने बताया कि इसरो (इंडियन स्पेस रिर्चस ऑर्गेनाइजेशन), उद्योगों और भारत के प्रसिद्ध संस्थानों में काम करने वाले प्रमुख शिक्षाविदों, शोधकर्ताओं और प्रतिष्ठित वैज्ञानिकों द्वारा ध्यान केंद्रित किया जाएगा। विदेश से आए वैज्ञानिको द्वारा इन 11 विषयों पर आमंत्रित वार्ता, मौखिक प्रस्तुतियां 5 समानांतर सत्रों में प्रस्तुत जा रही है। एक सत्र विशेष रूप से महिला वैज्ञानिकों की प्रस्तुति के लिए बनाया गया है। डॉ चंदना रथ ने बताया कि मटेरियल्स रिसर्च सोसाइटी ऑफ इंडिया हमेशा उत्कृष्टता का प्रतीक रही है, जिसकी स्थापना भारत रत्न प्रो. सी.एन.आर. राव ने सन् 1989 में की थी।

हिन्दुस्थान समाचार/श्रीधर/आकाश

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