संस्कृत विश्वविद्यालय के तीन होनहारों को पालि भाषा में जेआरएफ

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संस्कृत विश्वविद्यालय के तीन होनहारों को पालि भाषा में जेआरएफ


संस्कृत विश्वविद्यालय के तीन होनहारों को पालि भाषा में जेआरएफ


लखनऊ, 18 अक्टूबर (हि.स.)।

केन्द्रीय संस्कृत विश्वविद्यालय (लखनऊ परिसर) के बौद्ध दर्शन एवं पालि विद्या शाखा के तीन विद्यार्थियों पारुल मेश्राम, नागार्जुन बिष्ट और इन्द्रदीप शाक्य ने जेआरएफ हासिल किया है। बौद्ध दर्शन एवं पालि विद्याशाखा के अध्यक्ष प्रो. रामनन्दन सिंह ने इनके उज्ज्वल भविष्य की कामना की है। उन्होंने कहा है कि ‘‘विद्यार्थियों द्वारा सही दिशा में अध्ययन किया गया तथा विद्या शाखा के प्राध्यापकों ने समय-समय पर समुचित मार्गदर्शन किया है। इससे यह सफलता हासिल हुई। निश्चय ही पालि पढ़ने वाले अध्येताओं का भविष्य उज्ज्वल होगा।’’

विद्या शाखा के संयोजक प्रो. गुरुचरण सिंह नेगी का कहना है कि परिसर निदेशक प्रो. सर्वनारायण झा तथा तात्कालिक एकेडेमिक डीन प्रोफेसर बनमाली बिश्वाल द्वारा सिंचित यह विद्या शाखा रूपी बगिया अल्प समय में ही पल्लवित-पुष्पित हो रही है।’’ उन्होंने इस उपलब्धि पर तीनों अध्येताओं को हार्दिक बधाई दी है।

विद्या शाखा के सहाचार्य डाॅ. प्रफुल्ल गड़पाल ने तीनों को हार्दिक बधाई देते हुए उनके परिश्रम की सराहना की है। डाॅ. गड़पाल ने बताया कि ‘‘तीनों विद्यार्थी विपश्यना साधना विधि का नियमित अभ्यास करते हैं। आल इण्डिया में प्रथम स्थान प्राप्त करने वाली अध्येत्री पारुल मेश्राम इस समय बोधगया में 30 दिवसीय विपश्यना साधना शिविर कर रही हैं। पूर्व में भी पारुल ने अपनी सफलता के पीछे विपश्यना साधना विधि को प्रमुखता से रेखांकित किया।’’

विद्या शाखा की प्राध्यापिका डाॅ. कृष्णा कुमारी का कहना है कि ‘‘पालि भाषा को शास्त्रीय भाषा के रूप में प्रतिष्ठापना प्राप्त हुई है; जो अपने आप में ऐतिहासिक है, अनुपम है। इसी दौरान आज अभिधम्म दिवस के पावन अवसर पर विद्याशाखा के तीन अध्येताओं की यह सफलता हमारे लिए ऊर्जा प्रदान करने वाली है।

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हिन्दुस्थान समाचार / बृजनंदन

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