सीडीआरआई के निदेशक ने अनुसंधान हितों को व्यापक बनाने के लिए संगोष्ठी पर दिया जोर
लखनऊ, 12 दिसम्बर (हि.स.)। सीएसआईआर-केंद्रीय औषधि अनुसंधान संस्थान लखनऊ ने अपने 6वें नोबेल सिंपोजियम का आयोजन किया। यह संगोष्ठी उस अनुसंधानों पर केंद्रित है, जिसने वर्ष 2023 में रसायन विज्ञान और शरीर विज्ञान या चिकित्सा में नोबेल पुरस्कार खोजों की नींव रखी।
सीएसआईआर-सीडीआरआई (सेंट्रल ड्रग रिसर्च इंस्टीट्यूट) की निदेशक डॉ. राधा रंगराजन ने विभिन्न वैज्ञानिक क्षेत्रों में अनुसंधान हितों को व्यापक बनाने में संगोष्ठी के महत्व पर जोर दिया और कहा कि इस वर्ष के नोबेल अनुसंधान सहयोगात्मक अनुसंधान (कोलोबोरटिव रिसर्च) का एक महान उदाहरण हैं (शोधार्थियों ने इन मूल्यवान नोबेल निष्कर्षों के बारे में अपनी समझ को बहुत ही रोचक ढंग से प्रस्तुत किया।
आयोजन का पहला सत्र क्वांटम डॉट्स की खोज की सैद्धांतिक अवधारणा एवं दैनिक जीवन में उसके व्यावहारिक अनुप्रयोग विषय पर केंद्रित था। सुचित्रा गुप्ता ने क्वांटम डॉट्स की खोज में नैनोस्केल पर आकार मायने रखता है विषय पर एक ज्ञानवर्धक व्याख्यान दिया, जो इस क्षेत्र में अभूतपूर्व कार्य के बारे में जानकारी प्रदान करता है। अर्पिता बनर्जी ने आगे के विकास के लिए अग्रणी क्वांटम डॉट्स की खोज के बारे में, जबकि सौविक बर्मन ने क्वांटम डॉट्स के टावर्स एप्लिकेशन: एक सुनहरे भविष्य के लिए एक मार्ग पर चर्चा की।
दूसरा सत्र कोविड-19 के खिलाफ एमआरएनए वैक्सीन के विकास के लिए अग्रणी न्यूक्लियोसाइड संशोधन के बारे मे रहा। सपना श्रीवास्तव ने अंडरवैल्यूड रिसर्च कंट्रीब्यूशन से नोबेल पुरस्कार डिस्कवरी: द जर्नी ऑफ कैटालिन कारिको शीर्षक व्याख्यान में अपनी विचार सझ किए। संगोष्ठी में ड्रयू वीज़मैन का अनुसंधान योगदान इम्यूनोलॉजी के साथ आरएनए थेरेप्यूटिक्स के संयोजन विषय पर सोनू खनका का व्याख्यान रहा एवं गिरधर भाटी ने समानांतर खोजें एवं पहले वयस्क सामूहिक टीकाकरण पर चर्चा की।
सत्र का समापन सीडीआरआई के निदेशक की टिप्पणियों के साथ हुआ। संगोष्ठी ने विज्ञान की प्रगति में इन शोध निष्कर्षों की महत्वपूर्ण भूमिका और समाज पर उनके प्रभाव को प्रदर्शित किया। क्वांटम डॉट्स से लेकर एमआरएनए वैक्सीन विकास तक विषयों की विविध श्रृंखला ने आधुनिक वैज्ञानिक सफलताओं की अंतःविषय प्रकृति का प्रदर्शन किया। सीएसआईआर सीडीआरआई वैश्विक वैज्ञानिक समुदाय की प्रगति में योगदान करते हुए वैज्ञानिक अनुसंधान में नवाचार, सहयोग और उत्कृष्टता को बढ़ावा देने के लिए प्रतिबद्ध है। संगोष्ठी के अंत में धन्यवाद ज्ञापन अब्दुल बासित खान ने किया।
हिन्दुस्थान समाचार/उपेन्द्र/बृजनंदन
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