हस्ताक्षर अभियान से आम जन को जलवायु परिवर्तन के प्रति किया आगाह

हस्ताक्षर अभियान से आम जन को जलवायु परिवर्तन के प्रति किया आगाह


वाराणसी, 23 सितम्बर (हि.स.)। सामाजिक संस्था क्लाइमेट एजेंडा की पहल पर युवाओं के नेतृत्व में शुक्रवार को अस्सी घाट पर क्लाइमेट स्ट्राइक का आयोजन किया गया। इसमें हस्ताक्षर अभियान के माध्यम से काशीवासियों को बढ़ते जलवायु परिवर्तन के खतरों के प्रति आगाह किया गया। इसके समाधान पर भी चर्चा की गयी। इस मौके पर प्रेरणा कला मंच की टीम ने नुक्कड़ नाटक के माध्यम से लोगों को जागरूक किया।

दुनिया भर में जलवायु परिवर्तन को एक ज्वलंत मुद्दे के रूप में उभारने में ग्रेटा थनबर्ग का नाम प्रसिद्ध है। ग्रेटा द्वारा स्वीडन में फ्राइडेस फ़ॉर फ्यूचर की प्रेरणा से पूरी दुनिया समेत भारत के अलग-अलग राज्यों में आज का दिन क्लाइमेट एक्शन के लिए ग्लोबल क्लाइमेट स्ट्राइक के लिए समर्पित रहा। भारत के उत्तर पूर्वी हिस्से, उत्तर भारत और पड़ोसी मुल्कों के कई इलाके भारी वर्षा के कारण बाढ़ से प्रभावित हुए। कई जगहों पर बड़े पैमाने पर जान माल की हानि हो रही है और हजारों लोगों को पलायन करना पड़ रहा है। यह सब जलवायु परिवर्तन के नतीजे हैं जो समय समय हमें संभलने की चेतावनी देते हैं। इस चेतवानी को गंभीरता से लेना व्यक्तिगत और सामूहिक रूप से सभी ज़िम्मेदारी तो है ही लेकिन इसमें सरकार की सबसे बड़ी जिम्मेदारी है कि वो जीवाश्म ईंधन में मुनाफे के बजाय आम जन के जीवन और पर्यावरण सुरक्षा को महत्व दें।

क्लाइमेट एजेंडा की निदेशक एकता शेखर ने बताया कि आज जिस तरह से जलवायु परिवर्तन हो रहे हैं। उससे न केवल लोगों के जीवन और गुणवत्ता को खतरा है। साथ ही आम जनता की आमदनी पर भी इन परिवर्तनों का भारी असर पड़ेगा। वैश्विक अर्थव्यवस्था पर जलवायु परिवर्तन के पड़ने वाले प्रभाव को लेकर जारी अंतरराष्ट्रीय रेटिंग फर्म एसएंडपी ग्लोबल की नई रिपोर्ट बताती है कि हम जलवायु परिवर्तन को गंभीरता से नहीं लेंगे तो अगले 28 वर्षों में भारत की जीडीपी में 15 फीसदी तक की गिरावट आ सकती है और 62 फीसदी कृषि पर पानी की कमी का असर पड़ सकता है। इस प्रकार जलवायु परिवर्तन का ख़तरा मानव स्वास्थ्य और जीवन के हर पहलू पर असर डालती है। इसलिए सरकार को केवल नई नई घोषणा और वायदे करने के बजाए एक्शन पर आना चाहिए और देश भर में जीवाश्म ईंधन समेत पर्यावरण पर हावी होने वाले सभी हानिकारक श्रोतों पर तत्काल प्रतिबंध लगाया जाना चाहिए। अभियान में अर्चना, साधना, प्रियांशी, सोनल आदि ने भागीदारी की।

हिन्दुस्थान समाचार/श्रीधर

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