फसल अवशेष जलाने से प्रदूषित होता है पर्यावरण: डॉ. अजय सिंह
कानपुर,07 फरवरी (हि.स.)। फसल अवशेषों में आग जलाने से पर्यावरण प्रदूषित होता है साथ ही साथ मृदा में पोषक तत्वों का नुकसान होता है। यह जानकारी बुधवार को बुद्ध लाल वर्मा इंटर कॉलेज भवन में कृषि विज्ञान केंद्र दिलीप नगर द्वारा फसल अवशेष योजना अंतर्गत जागरूकता कार्यक्रम में डॉ.अजय कुमार सिंह ने दी।
उन्होंने छात्र-छात्राओं को जागरूक करते हुए बताया कि पराली (फसल अवशेष) को खेत में मिला देने से मृदा की उर्वरा शक्ति बढ़ती है। खेत के अंदर जीवांश की मात्रा कम होने के कारण सब्जियों,फलों एवं अन्य फसलों में स्वाद व गुणवत्ता की बहुत कमी आ जाती है। जो कि फसल अवशेषों की खाद को मृदा में मिलाने से बढ़ाई जा सकती है।
इस अवसर पर केंद्र के वैज्ञानिक डॉ शशिकांत ने बताया गया कि पशुओं के गोबर की खाद को मिलाने व फसल अवशेषों को मिलाने से मृदा में जीवांश क्षमता बढ़ती है। इस अवसर पर छात्र-छात्राओं द्वारा फसल अवशेष प्रबंधन पर निबंध लेखन,चित्रकला एवं वाद-विवाद प्रतियोगिता का भी आयोजन किया गया। तथा छात्रों ने रैली भी निकाली।
इस कार्यक्रम में कृषि वैज्ञानिक डॉक्टर खलील खान, डा.निमिषा अवस्थी एवं वरिष्ठ गृह वैज्ञानिक डॉक्टर मिथिलेश वर्मा ने भी छात्र-छात्राओं को जागरूक किया।
कार्यक्रम को सफल बनाने में एफसीए गौरव शुक्ला एवं शुभम यादव ने विशेष योगदान दिया।कार्यक्रम के अंत में विद्यालय के प्रधानाचार्य सुभाष चंद्र ने सभी अतिथियों को धन्यवाद दिया। साथ ही छात्र छात्राओं से कहा कि अपने अभिभावकों को फसल अवशेष प्रबंधन के बारे में जानकारी अवश्य दें। इस अवसर पर विद्यालय के शिक्षक अरविंद त्रिपाठी, संगीता देवी, राम जी एवं संजय सिंह चौहान सहित अन्य विद्यालय स्टाफ उपस्थित रहे।
हिन्दुस्थान समाचार/राम बहादुर/बृजनंदन
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