बजट अर्थव्यवस्था के बुनियादी ढांचे को मजबूत करने में महत्वपूर्ण : प्रो सुनील कांत मिश्र

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बजट अर्थव्यवस्था के बुनियादी ढांचे को मजबूत करने में महत्वपूर्ण : प्रो सुनील कांत मिश्र


-नीतिगत निरंतर बजट की विशेषता, रोजगार बढ़ाने पर बजट का फोकस : डॉ उमेश प्रताप सिंह

प्रयागराज, 02 अगस्त (हि.स.)। इविंग क्रिश्चियन कॉलेज के अर्थशास्त्र विभाग की ओर से शुक्रवार को “बजट 2024ः विकसित भारत के लिए रोडमैप“ विषय पर आयोजित संगोष्ठी में मुख्य वक्ता सीएमपी महाविद्यालय, वाणिज्य विभाग के प्रोफेसर डॉ सुनील कांत मिश्र ने कहा कि बजट में पिछले 10 वर्षों की नीतियों और कार्यक्रमों के आधार पर ही सरकार ने घोषणाएं की हैं। जो अर्थव्यवस्था के बुनियादी ढांचे को मजबूत करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएंगी। बजट विकसित भारत के प्राथमिकताओं को ध्यान में रखकर बनाया गया है, जो मूलतः पिछले वर्षों में सरकार द्वारा उठाए गए नीतिगत उपायों की निरंतरता बनाए रखे है।

उन्होंने कहा कि सरकार के जाति वर्गीकरण की नई संकल्पना के दूरगामी प्रभाव हो सकते हैं जिसके अंतर्गत किसान, युवा, महिला एवं गरीब को सम्मिलित किया गया है तथा इनके उत्थान के लिए प्रमुख अनेक कदमों को उल्लेखित किया गया है। उन्होंने कहा कि बजट में यह प्रशंसनीय है कि बदलते समय के अनुसार कृषि में जलवायु परिवर्तन जैसी गम्भीर समस्या से जूझने हेतु उपायों पर बात की गई है तो वहीं सहकारी कृषि को भी महत्व दिया गया है।

विशिष्ट वक्ता डॉ हर्ष मणि सिंह ने कहा कि विकसित भारत एक सतत् प्रक्रिया है जिसमे केवल आर्थिक मुद्दों के साथ ही सामाजिक एवं अन्य आयाम भी सम्मिलित हैं। इसके लिए समाज के सभी वर्गों को न सिर्फ आर्थिक रूप से बल्कि सामाजिक और राजनीतिक रूप से भी सशक्त बनाना होगा, जिसके लिए बजट में छोटे-छोटे प्रयास दिखते हैं। उन्होंने कहा कि कोविड के बाद कृषि को अधिक महत्व देते हुए किसानों की ऋण सहूलियत सुविधाओं पर प्राथमिकता से कार्य किया गया। फिर भी किसानों को आज भी सही समय पर ऋण सुविधाओं का अभाव बना हुआ है। उन्होंने कहा कि बेहतर यातायात सुविधाओं, मजबूत डिजिटल अधिसंरचना, पूजीगत व्यय में वृद्धि जैसे कदमों से अर्थव्यवस्था सशक्त हुई है। पिछले 10 वर्षों में सरकार द्वारा उठाए गए कदमों से महिलाओं का आर्थिक सशक्तिकरण हुआ है, जो रोजगार में वृद्धि, आर्थिक सामाजिक प्रतिष्ठा एवं परिवार में निर्णय क्षमता सुधार के रूप में देखने को मिल रहा है।

इलाहाबाद विश्वविद्यालय राष्ट्रीय सेवा योजना के समन्वयक तथा हिन्दी विभाग में प्रोफेसर डॉ राजेश कुमार गर्ग ने कहा बजट से आम जनता प्रभावित होती है। इसलिए बजट समाज के सभी वर्गों को ध्यान में रखते हुए बनाया जाता है। महत्वपूर्ण यह है कि यह समाज की तात्कालिक समस्याओं को सम्बोधित करने में कहां तक सफल रहा है।

कार्यक्रम का संचालन कर रहे विभागाध्यक्ष डॉक्टर उमेश प्रताप सिंह ने कहा कि नितिगत निरंतर इस बजट की विशेषता है। जिसमें रोजगार बढ़ाने पर बजट का फोकस है। परंतु सरकार निजी क्षेत्र के भरोसे है। उन्होंने कहा कि उपभोग और बचतों को बढ़ाने के लिए सरकार को मध्य वर्ग को करो में कुछ छूट प्रदान करनी चाहिए थी। विशेषकर एक छोटा सा कर देने वाला जो वर्ग है, बजट में उसकी उपेक्षा की गई है। हालांकि एक ही बजट में सम्भव नहीं है कि सरकार देश की सभी समस्याओं को एक साथ एक ही महत्व के साथ सम्बोधित कर सके। परंतु किसानो, जलवायु परिवर्तन, शिक्षा, शोध और अनुसंधान जेसे विषयों पर लगातार तेज गति से कार्य करने की आवश्यकता है। जिसके लिए सरकार ने कार्य तो किया है लेकिन यह उपाय बहुत थोड़े और नाकाफी हैं।

संगोष्ठी में सभी को धन्यवाद ज्ञापित करते हुए वरिष्ठ शिक्षक प्रोफेसर विवेक कुमार निगम ने कहा बजट में विकसित भारत का जो रोड मैप तैयार किया गया है वह कई वर्षों का परिणाम है और उसे अपने मुकाम तक पहुंचने में अभी दशकों लगेंगे। जिसके लिए हम सभी नागरिकों को भी सतर्क रहने की आवश्यकता होगी। कार्यक्रम में अर्थशास्त्र विभाग की तनया कृष्ण, हिन्दी के विभागाध्यक्ष डॉ सुदीप तिर्की, डॉ पद्मा भूषण प्रताप सिंह एवं डॉ गजराज पटेल सहित अनेक शिक्षक एवं सैकड़ों छात्र-छात्राएं उपस्थित थे।

हिन्दुस्थान समाचार / विद्याकांत मिश्र / मोहित वर्मा

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