लोस चुनाव : हाथी की सुस्त चाल से सीतापुर का राजनैतिक पारा गर्म
सीतापुर,16 अप्रैल(हि.स.)। सीतापुर में मतदान 13 मई को है। अप्रैल का आधा माह बीत चुका है। मौसम में जहां गर्मी का प्रकोप लगातार बढ़ता जा रहा है, वहीं चुनावी तापमान में अभी सुस्ती सी दिखाई पड़ रही है,इसका कारण सीतापुर सीट पर बसपा की सुस्त चाल है। बहुजन समाज पार्टी ने इस सीट पर अभी अपने पत्ते नहीं खोले हैं। हालांकि राजनीतिक हलकों में चर्चाओं का बाजार दिनों दिन गर्म हो रहा है।
इस सीट से मौजूदा सांसद राजेश वर्मा एक बार फिर से भाजपा के टिकट पर चुनाव मैदान में हैं। वे लगातार अपना चुनाव प्रचार तेज करने में जुटे हुए हैं, वहीं कांग्रेस-सपा गठबंधन प्रत्याशी के तौर पर अब नकुल दुबे के बाद पूर्व विधायक राकेश राठौर को अपना प्रत्याशी घोषित किया है।
वहीं यूपी की सियासत में चार बार सत्ता में रहने वाली बहुजन समाज पार्टी ने इस सीट पर अभी तक अपना प्रत्याशी घोषित नहीं किया है। ऐसे में सीतापुर लोकसभा सीट पर राजनीतिक संघर्ष का अंदाजा लगाना फिलहाल बेहद मुश्किल है।
भाजपा प्रत्याशी और मौजूदा सांसद राजेश वर्मा ने अपने प्रचार अभियान लगातार धार दे रहे हैं तो उनके मुकाबले कांग्रेस प्रत्याशी व कभी भाजपा का झंडा बुलंद करने वाले पूर्व विधायक राकेश राठौर हैं। मतदान में भले ही अभी एक माह से कम हो, लेकिन प्रत्याशियों के साथ ही उनके समर्थकों और पार्टी कार्यकर्ताओं पर चुनावी रंगत धीरे-धीरे चढ़ने लगा है। इसी आधार पर हार-जीत के कयास भी लगाए जाने लगे हैं। लेकिन, यह कयासबाजी तब तक विश्वसनीय नहीं हो सकती है, जब तक कि इस सीट से बसपा के प्रत्याशी का अधिकृत रूप से ऐलान न हो जाए।
तीन बार रहा है इस सीट पर बसपा का कब्जा
सीतापुर लोकसभा सीट पर बसपा ने लगतार तीन बार अपनी विजय पताका फहरा कर जीत की हैट्रिक बनाई है। मौजूदा भाजपा प्रत्याशी राजेश वर्मा वर्ष 1999 और वर्ष 2004 में इस सीट से बसपा के टिकट पर सांसद रह चुके हैं। इसके अलावा वर्ष में 2009 में बसपा की कैसर जहां इस सीट से सांसद चुनी जा चुकी हैं। हालांकि इसके बाद वर्ष 2014 और वर्ष 2019 के लोकसभा चुनाव में बसपा को इस सीट पर शिकस्त का सामना करना पड़ा था।
राजनीतिक जानकारों का कहना है कि बसपा की टिकट घोषित करने की सुस्त चाल का मुख्य कारण वर्तमान में उसके काडर में सुस्ती व उसके मतदाताओं की बेरुखी है। जानकर मानते हैं कि 2014 के बाद से बसपा के मतदाता का उसके प्रति मोहभंग भी है,दलित मतदाता छिटका है,इस कारण अब इस दल से टिकट मांगने वालों की वो भीड़ नहीं है जो 2014 से पहले हुआ करती थी। बसपा अपने काडर वोटों के बूते पहले मजबूत स्थान रखती थी।
बसपा प्रत्याशी को लेकर इंटरनेट मीडिया पर चर्चाओं का बाजार हुआ गर्म!
एक तरफ जहां सीतापुर सीट पर बसपा ने अपने पत्ते अधिकृत तौर पर नहीं खोले हैं तो वहीं दूसरी तरफ सोमवार की दोपहर से जनपद में बसपा प्रत्याशी को लेकर अफवाहों व चर्चाओं का बाजार बेहद गर्म रहा। इंटरनेट मीडिया पर बसपा को लेकर संदेश फैलते रहे, इन संदेशों में बिसवां से 2017 में भाजपा से विधायक रहे एक नेता का नाम फाइनल होने की चर्चा रही।
फिलहाल कयास कुछ भी हों, किंतु जब तक हाथी मैदान में अधिकृत तौर पर नहीं उतरता, तब तक किसी के नाम पर कुछ अंदाजा लगाना मुश्किल है।
हिन्दुस्थान समाचार/महेश शर्मा
हमारे टेलीग्राम ग्रुप को ज्वाइन करने के लिये यहां क्लिक करें, साथ ही लेटेस्ट हिन्दी खबर और वाराणसी से जुड़ी जानकारी के लिये हमारा ऐप डाउनलोड करने के लिये यहां क्लिक करें।